नई दिल्ली, वाईबीएन डेस्क। भारत और पाकिस्तान के बीच बढ़ते तनाव के बीच तुर्किए (Turkey) और अज़रबैजान (Azerbaijan) द्वारा पाकिस्तान का खुला समर्थन करना अब इन दोनों देशों को भारी पड़ गया है। तुर्की और अजरबैजान के खिलाफ भारत में विरोध के सुर उठ रहे हैं और इन देशों के विरुद्ध व्यापक बहिष्कार अभियान शुरू हो गया है।। लगभग 15,000 से ज्यादा पर्यटकों ने तुर्की की ट्रिप कैंसिल कर दी है। साथ ही, फलों और सूखे मेवों का कारोबार करने वाले व्यापारियों ने भी तुर्की से व्यापारिक संबंध समाप्त करने की घोषणा की है। इन कदमों के कारण तुर्की को आर्थिक रूप से भारी नुकसान हो सकता है, जिसका अनुमान करीब 32,000 करोड़ रुपये तक लगाया गया है।
ट्रैवल एजेंनियों ने खोला मोर्चा
तुर्की और अजरबैजान देशों की पाकिस्तान-समर्थक टिप्पणियों से आहत भारतीय टूर और ट्रैवल उद्योग ने इनका बहिष्कार (boycott) करना शुरू कर दिया है। मेक माय ट्रिप, हॉलिडे इंडिया जैसी दिग्गज ट्रैवल कंपनियों ने खुलेआम तुर्की और अजरबैजान के बहिष्कार की बात कही है। भारत की कई प्रमुख ट्रैवल एजेंसियों ने अब तुर्किए और अज़रबैजान के टूर पैकेज बेचना बंद कर दिया है। इसके साथ ही इन डेस्टिनेशंस के प्रचार-प्रसार पर भी रोक लगा दी गई है। सोशल मीडिया पर #BoycottTurkey और #BoycottAzerbaijan जैसे हैशटैग ट्रेंड कर रहे हैं, जिनके जरिए आम लोग और इंडस्ट्री से जुड़े विशेषज्ञ अपनी नाराज़गी जाहिर कर रहे हैं।
पर्यटन उद्योग पर असर की आशंका
तुर्किए और अज़रबैजान दोनों ही देश भारतीय पर्यटकों के लिए खासे लोकप्रिय रहे हैं। तुर्किए अपनी ऐतिहासिक और सांस्कृतिक विरासत, जबकि अज़रबैजान अपनी प्राकृतिक सुंदरता के लिए प्रसिद्ध है। हर साल हजारों भारतीय इन देशों का दौरा करते रहे हैं। लेकिन मौजूदा बहिष्कार से इनकी टूरिज्म इंडस्ट्री को बड़ा आर्थिक नुकसान हो सकता है। विशेषज्ञों का मानना है कि यदि यह विरोध लंबे समय तक जारी रहा, तो भारतीय पर्यटक वैकल्पिक गंतव्यों जैसे दुबई (Dubai), मालदीव (Maldives), श्रीलंका (Sri Lanka) और यूरोप (Europe) की ओर रुख कर सकते हैं।
भारत की विदेश नीति का पर्यटन पर असर
भारत-पाक के बीच राजनीतिक तनाव की यह कूटनीतिक गूंज अब पर्यटन क्षेत्र में भी महसूस की जा रही है। भारत में बढ़ते राष्ट्रवादी माहौल और सोशल मीडिया की ताकत ने यह साफ कर दिया है कि विदेश नीति और पर्यटन अब अलग-अलग नहीं रह गए हैं। आने वाले समय में यह देखना दिलचस्प होगा कि तुर्किए और अज़रबैजान इस स्थिति का जवाब किस तरह देते हैं और भारतीय इंडस्ट्री में यह बहिष्कार कितना प्रभावशाली साबित होता है।
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