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"जब कुछ अंतिम रूप ले लेगा..." - आखिर क्या चल रहा है पर्दे के पीछे? पढ़िए भारत-अमेरिका के बीच डील की पूरी कहानी

भारत-अमेरिका व्यापार सौदे पर सस्पेंस गहरा रहा है। विदेश मंत्रालय के बयान ने उम्मीद जगाई है कि समझौता जल्द हो सकता है, पर अंतिम घोषणा बाकी है। यह सौदा दोनों देशों के लिए आर्थिक विकास, निर्यात वृद्धि और निवेश आकर्षित करने में महत्वपूर्ण है।

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Ajit Kumar Pandey
RANDHIR JAISWAL

"जब कुछ अंतिम रूप ले लेगा..." - आखिर क्या चल रहा है पर्दे के पीछे? पढ़िए भारत-अमेरिका के बीच डील की पूरी कहानी | यंग भारत न्यूज Photograph: (Google)

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नई दिल्ली, वाईबीएन डेस्क ।भारत और अमेरिका के बीच बहुप्रतीक्षित व्यापार सौदे पर जारी चुप्पी कई सवाल खड़े कर रही है। क्या यह सौदा अब अंतिम चरण में है या फिर इसमें अभी और वक्त लगेगा? विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रणधीर जायसवाल के हालिया बयान ने एक बार फिर उम्मीदों को हवा दी है, लेकिन इसकी अंतिम घोषणा कब होगी, यह अभी भी रहस्य बना हुआ है।

असल में यह व्यापार सौदा यूएस और भारत दोनों देशों के लिए आर्थिक दृष्टि से बेहद महत्वपूर्ण है। अमेरिका भारत का सबसे बड़ा व्यापारिक भागीदार है, और यह समझौता द्विपक्षीय व्यापार को नई ऊंचाइयों पर ले जा सकता है। इससे न केवल व्यापार घाटा कम होगा, बल्कि भारतीय उत्पादों को अमेरिकी बाजारों में बेहतर पहुंच मिलेगी, जिससे देश की अर्थव्यवस्था को गति मिलेगी। दूसरी ओर, अमेरिका को भी भारतीय बाजार में निवेश के नए अवसर मिलेंगे, खासकर प्रौद्योगिकी और सेवाओं के क्षेत्र में।

दशकों पुराना सपना और नए आयाम

भारत और अमेरिका के बीच एक व्यापक व्यापार समझौते की चर्चा दशकों से चल रही है। विभिन्न सरकारों ने इस दिशा में प्रयास किए हैं, लेकिन कई मुद्दों पर सहमति न बन पाने के कारण यह अब तक अधर में लटका हुआ है। इस बार, हालांकि, दोनों देशों के बीच संबंधों की गर्मजोशी और रणनीतिक साझेदारी को देखते हुए, उम्मीद है कि यह सौदा जल्द ही साकार होगा। यह सिर्फ व्यापारिक नहीं, बल्कि भू-राजनीतिक संबंधों को भी नई मजबूती देगा।

किन मुद्दों पर फंसा है पेंच?

हालांकि, इस सौदे में कुछ जटिल मुद्दे भी हैं जिन पर दोनों पक्ष अभी भी विचार-विमर्श कर रहे हैं। इनमें कृषि उत्पाद, बौद्धिक संपदा अधिकार (IPR) और डेटा स्थानीयकरण जैसे विषय शामिल हैं।

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कृषि उत्पाद: भारत चाहता है कि अमेरिका भारतीय कृषि उत्पादों पर आयात शुल्क कम करे, जबकि अमेरिका अपने डेयरी और पोल्ट्री उत्पादों के लिए भारतीय बाजार में अधिक पहुंच चाहता है।

बौद्धिक संपदा अधिकार: अमेरिका अक्सर भारत में IPR नियमों को और कड़ा करने की मांग करता रहा है, खासकर फार्मास्युटिकल क्षेत्र में।

डेटा स्थानीयकरण: भारत डेटा स्थानीयकरण पर जोर देता है, जबकि अमेरिकी कंपनियां इस पर आपत्ति जताती रही हैं।

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इन मुद्दों पर सहमति बनाना निश्चित रूप से एक चुनौती है, लेकिन जिस तरह से बातचीत आगे बढ़ रही है, उससे लगता है कि समाधान जल्द ही निकल सकता है।

विदेश मंत्रालय का संकेत: क्या करीब है ऐलान?

विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रणधीर जायसवाल ने आज गुरूवार 17 जुलाई 2025 को कहा है कि "यह एक ऐसा मामला है जिस पर दोनों पक्षों के बीच चर्चा चल रही है। जब कुछ अंतिम रूप ले लेगा, तो हम साझा करेंगे।" यह बयान संकेत देता है कि बातचीत अंतिम चरण में है और एक घोषणा जल्द ही हो सकती है। हालांकि, 'जब कुछ अंतिम रूप ले लेगा' वाक्यांश अभी भी थोड़ी अनिश्चितता बनाए हुए है। यह बयान दोनों देशों के उच्च-स्तरीय वार्ताओं के बीच आया है, जिससे लगता है कि समझौते पर पहुंचने के लिए सक्रिय प्रयास जारी हैं।

व्यापार समझौते का भारत पर संभावित प्रभाव

यह व्यापार समझौता भारत के लिए कई मायनों में गेम-चेंजर साबित हो सकता है:

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निर्यात में वृद्धि: भारतीय निर्यातकों को अमेरिकी बाजार में बेहतर पहुंच मिलेगी, जिससे निर्यात बढ़ेगा और व्यापार घाटा कम होगा।

निवेश को बढ़ावा: अमेरिकी कंपनियों से भारत में निवेश बढ़ेगा, जिससे रोजगार के नए अवसर पैदा होंगे और तकनीकी हस्तांतरण को बढ़ावा मिलेगा।

आर्थिक विकास: कुल मिलाकर, यह समझौता भारत के आर्थिक विकास को गति देगा और इसे वैश्विक व्यापार परिदृश्य में एक मजबूत स्थिति प्रदान करेगा।

वैश्विक आपूर्ति श्रृंखला: यह भारत को वैश्विक आपूर्ति श्रृंखलाओं में एक अधिक विश्वसनीय और महत्वपूर्ण भागीदार के रूप में स्थापित करेगा।

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