नई दिल्ली, वाईबीएन डेस्क: पुलवामा जैसे आतंकी हमलों और हाल ही में हुए पहलगाम हमले के बाद भारत अब आतंक के स्रोत पाकिस्तान को वैश्विक मंचों पर उजागर करने की दिशा में एक निर्णायक कदम उठा रहा है। इसके तहत सात अलग-अलग देशों में भारतीय सांसदों के नेतृत्व में प्रतिनिधिमंडल भेजे जाएंगे, जो पाकिस्तान की आतंकी गतिविधियों की पोल खोलेंगे और भारत की आतंकवाद के प्रति ‘जीरो टॉलरेंस’ नीति को मजबूती से दुनिया के सामने रखेंगे।
किन सांसदों को सौंपी गई जिम्मेदारी?
केंद्रीय मंत्री किरेन रिजिजू ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म X पर इस अभियान की जानकारी साझा की। उन्होंने बताया कि यह एक सर्वदलीय प्रयास है, जिसमें विभिन्न दलों के सांसद शामिल होंगे। शशि थरूर (कांग्रेस) अमेरिका जाएंगे, जबकि बैजयंत पांडा (बीजेपी) की अगुवाई में एक डेलिगेशन सऊदी अरब, कुवैत, बहरीन और अल्जीरिया का दौरा करेगा। इस प्रतिनिधिमंडल में AIMIM प्रमुख असदुद्दीन ओवैसी भी शामिल होंगे। अन्य प्रतिनिधिमंडल का नेतृत्व रविशंकर प्रसाद (बीजेपी), संजय कुमार झा (जेडीयू), कनिमोई करुणानिधि (डीएमके), सुप्रिया सुले (NCP - शरद पवार गुट) और श्रीकांत शिंदे (शिवसेना - शिंदे गुट) करेंगे।
दुनिया को मिलेगा सख्त संदेश
रिजिजू ने बताया कि इन प्रतिनिधिमंडलों का उद्देश्य सिर्फ पाकिस्तान के झूठ और आतंक की सच्चाई सामने लाना ही नहीं है, बल्कि यह भी दिखाना है कि भारत आतंकवाद के खिलाफ न सिर्फ गंभीर है, बल्कि एकजुट और सख्त रुख भी रखता है। इन दौरों में सांसदों के साथ वरिष्ठ राजनयिक और राजनीतिक विश्लेषक भी शामिल होंगे।
सरकार की दोहरी नीति
भारत ने अब तय कर लिया है कि पाकिस्तान के आतंकी नेटवर्क और उसकी सरकार की दोहरी नीति को अब और छिपने नहीं दिया जाएगा। वैश्विक समुदाय के सामने इन प्रतिनिधिमंडलों के माध्यम से भारत यह स्पष्ट करेगा कि पाकिस्तान आतंकवाद का सबसे बड़ा केंद्र है और इसकी सरकार विश्व बिरादरी को गुमराह कर रही है।