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Indian Railway बढ़ा रहा गरीब-मध्यम वर्ग के लिए सुविधाएं! अश्विनी वैष्णव ने क्या कहा? | यंग भारत न्यूज Photograph: (YBN)
नई दिल्ली, वाईबीएन डेस्क । भारतीय रेल, जो देश की जीवन रेखा मानी जाती है अब बड़े बदलावों के दौर से गुजर रही है। एक तरफ 'वंदे भारत' जैसी आधुनिक और तेज रफ्तार ट्रेनें हैं, तो दूसरी तरफ 'अमृत भारत' जैसी योजनाएं जो आम आदमी और गरीब वर्ग के लिए सुविधाएं बढ़ा रही हैं।
भारतीय रेल मंत्रलाय के अनुसार, रेलमंत्री अश्विनी वैष्णव ने बताया है कि रेलवे ने गरीबों को सस्ती सेवा देने के लिए लगभग 12,000 नए जनरल कोच बनाए हैं। यह एक महत्वपूर्ण कदम है क्योंकि भारत की बड़ी आबादी रोजमर्रा के सफर के लिए इन्हीं कोच पर निर्भर करती है। ये कोच बिना आरक्षण के होते हैं और कम किराए में यात्रा की सुविधा देते हैं।
आधुनिकता और आम आदमी का मेल: 'वंदे भारत' बनाम 'अमृत भारत'
यह कहना गलत नहीं होगा कि भारतीय रेलवे एक साथ दो दिशाओं में काम कर रही है। एक तरफ 'वंदे भारत' एक्सप्रेस है, जो आधुनिकता और गति का प्रतीक है। ये ट्रेनें कम समय में लंबी दूरी तय करती हैं और हवाई यात्रा का एक अच्छा विकल्प बन रही हैं। लेकिन इसका किराया आम आदमी की पहुंच से बाहर है।
दूसरी तरफ 'अमृत भारत' ट्रेनें हैं, जिन्हें 'आम आदमी की वंदे भारत' कहा जा रहा है। ये लंबी दूरी की, कम किराए वाली ट्रेनें हैं जो गरीब और मध्यम वर्ग के लिए बनाई गई हैं। इनमें सामान्य और स्लीपर कोचों का मिश्रण है, जिससे बड़ी संख्या में लोग आराम से सफर कर सकें। ये ट्रेनें उन यात्रियों के लिए एक बड़ा वरदान साबित हो सकती हैं जो घंटों तक जनरल कोच में खड़े होकर यात्रा करते हैं।
रेलवे हमारे समाज के मध्यम और गरीब वर्ग की सवारी है। गरीब से गरीब व्यक्ति को अफोर्डेबल सेवा मिले, इसलिए करीब 12,000 जनरल कोच बनाए गए। स्पेशल ट्रेनें, वंदे भारत और अमृत भारत जैसी आधुनिक ट्रेनें भी चलीं। यानि नयापन भी है और गरीबों का ध्यान भी: माननीय रेलमंत्री @AshwiniVaishnaw जी pic.twitter.com/IgaFkpuG5s
— Ministry of Railways (@RailMinIndia) May 5, 2025
रेलवे का भविष्य: क्या है असली चुनौती?
रेलमंत्री अश्विनी वैष्णव का यह बयान कि 'नयापन भी है और गरीबों का ध्यान भी' एक संतुलित दृष्टिकोण को दर्शाता है। लेकिन असली चुनौती यह है कि इन सभी योजनाओं को ज़मीन पर कैसे उतारा जाए।
जनरल कोच की कमी: हालांकि नए कोच बनाए गए हैं, लेकिन पीक सीजन में यात्रियों की भीड़ को संभालना आज भी एक बड़ी समस्या है।
वंदे भारत की पहुंच: 'वंदे भारत' ट्रेनों का नेटवर्क अब भी सीमित है और इसका किराया सभी के लिए सुलभ नहीं है।
अमृत भारत की गति: 'अमृत भारत' ट्रेनों को पूरी तरह से लागू होने में समय लगेगा और तब तक आम आदमी को पुरानी व्यवस्था पर ही निर्भर रहना होगा।
'वंदे भारत' से लेकर 'अमृत भारत' तक, हर वर्ग के लिए कुछ न कुछ है। लेकिन, यह देखना दिलचस्प होगा कि ये योजनाएं भारतीय रेल के भविष्य को किस तरह से बदलती है और क्या ये वाकई हर भारतीय के सफर को आसान बना पाएंगी?
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