Iran-Israel War: इसरायल और ईरान के बीच जारी संघर्ष का असर दुनियाभर में दिखाई देने लगा है। खास तौर से ड्राईफ्रूट्स को लेकर। भारत समेत दुनिया के कई देशों में सूखे मेवों और नट्स की कीमतों में और बढ़ोतरी हो सकती है। दरअसल, पहले से ही पाकिस्तान के रास्ते आयात पर रोक और अफगानिस्तान-ईरान से आपूर्ति बाधित होने के कारण इन उत्पादों की कीमतें 15 प्रतिशत से लेकर 100 प्रतिशत तक बढ़ चुकी हैं। अब इस संघर्ष के चलते व्यापारियों को और भी अधिक संकट का सामना करना पड़ सकता है। हाल-फिलहाल दोनों देशों के बीच संघर्ष थमने के कम ही आसार हैं। निश्चित ही इसका असर कच्चे तेल की कीमतों से लेकर अन्य वस्तुओं पर भी पड़ेगा।
ईरान और अफगानिस्तान सबसे बड़े आयातक
बता दें, भारत में सूखे मेवों के बड़े आयातक ईरान और अफगानिस्तान हैं। इन देशों से आने वाले पिस्ता, खजूर और किशमिश की मांग हर साल काफी अधिक रहती है। दूसरे त्योहारों के मौसम में इनकी मांग चरम पर होती है। व्यापारियों ने हाल ही में केंद्र सरकार से मुलाकात कर अफगान मूल के सूखे मेवों के ईरान के रास्ते आयात पर लगने वाले शुल्क की स्पष्टता मांगी है। लेकिन अब ईरान-इजरायल के बीच बढ़ते तनाव ने उद्योग के सामने नई चुनौती खड़ी कर दी है। ईरान दुनिया के सबसे अधिक मेवा उत्पादक देशों में से एक है। इसके अलावा ईरान पिस्ता उत्पादक देश है, जिसका भारत भी बड़े स्तर पर आयात करता है। साथ ही ईरानी खजूर की किस्में जैसे माजाफाती और पियारोम भारत में काफी फेमस हैं।
2,700 टन ईरानी खजूर भारत आयात किया जाता है
जानकारों का कहना है कि प्रतिवर्ष लगभग 2,700 टन ईरानी खजूर भारत आयात किए जाते हैं। ईरानी किशमिश, विशेषकर कश्मीरी किस्म की सुनहरी और हरी किशमिश, भारतीय उपभोक्ताओं में काफी पसंद की जाती है। वर्ष 2023 में लगभग 1,000 टन किशमिश का आयात ईरान से हुआ था। जबकि वर्ष 2024 में इससे भी अधिक आयात किया गया। यदि दोनों देशोंके बीच संघर्ष लंबी खींचता है तो इसका असर ईरान से आने वाले मेवों की कीमतों पर भी पड़ेगा।
क्या है वजह?
ट्रेड इकोनॉमी वेबसाइट के अनुसार, भारत हर साल करीब 1.47 अरब डॉलर मूल्य के सूखे मेवे और नट्स का आयात करता है। इसमें ईरान, अमेरिका और ऑस्ट्रेलिया प्रमुख निर्यातक रहे हैं। पिस्ता, खजूर, किशमिश, बादाम और अखरोट भारत द्वारा सबसे अधिक मंगाए जाने वाले उत्पादों में शामिल हैं। ईरान-इजरायल संघर्ष की वजह से ईरान से होने वाला आपूर्ति नेटवर्क प्रभावित हो सकता है। इससे इन वस्तुओं की उपलब्धता भारत में कम हो सकती है और कीमतें और चढ़ सकती हैं।
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