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नई दिल्ली, वाईबीएन डेस्कः 2023 में कांग्रेस की चुनावी जीत के बाद जब सिद्धारमैया कर्नाटक के सीएम बने तो एक समझौते की खबरें आईं थीं कि सिद्धारमैया और शिवकुमार दोनों ढाई-ढाई साल तक शासन करेंगे। तब शिवकुमार के नजदीकी लोगों ने भी इसका संकेत दिया था। जून की शुरुआत में उपमुख्यमंत्री के विश्वस्त कई नेताओं ने दिसंबर में एक बड़ी घटना की बात कही थी। विधायक बसवराजू शिवगंगा से जब मंत्री बनने की उनकी महत्वाकांक्षा के बारे में पूछा गया तो उन्होंने कहा कि दिसंबर के बाद इन चीजों के बारे में बात करेंगे। अगर मेरे बॉस मुख्यमंत्री बनते हैं तो यह लगभग वैसा ही होगा जैसे कि मैं उस कुर्सी पर बैठ गया हूं। गौर करने वाली बात है कि कर्नाटक उन दो राज्यों में से एक है जहां कांग्रेस अपने दम पर सत्ता में है।
डीके से नहीं बनती सीएम की, अभी कमजोर हैं सिद्धरमैया
फिलहाल कर्नाटक की सत्ता विवादों के घेरे में है। भ्रष्टाचार और ढीले प्रशासन के अलावा सिद्धारमैया-शिवकुमार के बीच मतभेद के आरोप गहरा रहे हैं। सीएम बदलने की चर्चा ने तब जोर पकड़ा जब पार्टी ने महासचिव रणदीप सुरजेवाला को बेंगलुरु भेजा। सुरजेवाला कर्नाटक की राजधानी पहुंच चुके हैं। हालांकि, अपने भाषण में उन्होंने ओडिशा में जगन्नाथ रथ यात्रा के दौरान भगदड़ में हुई मौतों और बेंगलुरू में आईपीएल क्रिकेट टूर्नामेंट के फाइनल के बाद तीन लोगों की मौत पर बात की। उनका कहना था कि सूबे को बेहतर पुलिस व्यवस्था की बेहद ज्यादा जरूरत है। सुरजेवाला ने सूबे के नेतृत्व परिवर्तन पर कोई बात नहीं की पर माना जा रहा है कि वो राहुल गांधी के उस अघोषित मिशन पर हैं जिसमें कर्नाटक के सियासी समीकरणों को समझा जाना है।
दिसंबर में डीके के सीएम बनने की चर्चाएं
कर्नाटक के कई नेता दावा करते हैं कि सुरजेवाला नेतृत्व परिवर्तन की संभावना को टटोलने ही आए हैं। विधायक इकबाल हुसैन ने दावा किया था कि यह हाईकमान के दिमाग में है। उन्होंने कहा कि जब सही समय आएगा तो आलाकमान डीके शिवकुमार को मौका देगा। इस साल ऐसा होने की संभावना है। सभी नेता बड़े राजनीतिक मंथन की बात कर रहे हैं। उनका कहना है कि दो से तीन महीने में फैसला आ जाएगा। कुछ नेताओं का कहना है कि दिसंबर में राहुल गांधी डीके को सीएम बनाने जा रहे हैं।
सीएम ने बीजेपी को ठहराया जिम्मेदार पर सच कुछ और ही है
सिद्धारमैया और शिवकुमार के बीच के संबंध सहज नहीं हैं ये बात राहुल गांधी भी जानते हैं। दोनों ने 2023 के विधानसभा चुनाव के बाद मुख्यमंत्री पद के लिए एक-दूसरे से दो-दो हाथ भी किए थे। फिलहाल सत्ता संघर्ष तेज है क्योंकि दोनों खेमे तब से एक-दूसरे को घेर रहे हैं और एक-दूसरे पर आरोप लगा रहे हैं। सुरजेवाला के दौरे के कारण के बारे में पूछे जाने पर मुख्यमंत्री ने केवल इतना कहा कि वो संगठन को मजबूत करने के लिए राज्य में आ रहे हैं। वो अपना काम करेंगे। हालांकि उन्होंने भारतीय जनता पार्टी पर राज्य में कांग्रेस सरकार की स्थिरता और भविष्य के बारे में झूठ फैलाने का आरोप लगाया। लेकिन सिक्के का दूसरा पहलू ये भी है कि सत्ता के शीर्ष पद पर परिवर्तन की बात बीजेपी से ज्यादा कांग्रेस के खुद अपने लोग कर रहे हैं। हालांकि सुरजेवाला के दौरा से पहले कर्नाटक के मुख्यमंत्री सिद्धारमैया और उनके डिप्टी डीके शिवकुमार सोमवार सुबह एकता का प्रदर्शन करते हुए मुस्कुराए। लेकिन माना जा रहा है कि एक दूसरे के साथ आने की तस्वीर आलाकमान के इशारे पर ही सामने आई है।
1989 के बाद कर्नाटक में कांग्रेस ने जीती थीं सबसे ज्यादा सीटें
कर्नाटक विधानसभा की 224 सदस्यों का चुनाव करने के लिए 10 मई 2023 को विधान सभा चुनाव हुए थे। मतों की गिनती के बाद 13 मई 2023 को परिणाम घोषित किए गए थे। चुनाव में अंतिम मतदान 73.84 फीसदी रहा था, जो कर्नाटक में विधान सभा चुनावों के इतिहास में अब तक का सबसे अधिक रिकॉर्ड है। कांग्रेस ने 135 सीटें प्राप्त करके भारी मतों से चुनाव जीता। ये जीत इस वजह से भी खास है क्योंकि 1989 के चुनावों के बाद से कर्नाटक में सीटों और वोट शेयर के हिसाब से ये कांग्रेस की सबसे बड़ी जीत थी। भारतीय जनता पार्टी और जनता दल (सेक्युलर) को हार का सामना करना पड़ा। हालांकि बीजेपी ने येदुयिरप्पा को सीएम की कुर्सी से हटाकर भ्रष्टाचार के दाग धोने की कोशिश के तहत बसवराज बोम्मई को कमान सौंप दी थी। लेकिन ये पैंतरा काम नहीं आया। बीजेपी लाख कोशिशें करके भी कर्नाटक में अपनी हवा नहीं बना सकी। Karnataka, Chief Minister Siddaramaiah, Siddaramaiah, DK Shivakumar, General Secretary Randeep Surjewala, Bengaluru, Rahul gandhi