नई दिल्ली, वाईबीएन नेटवर्क।
भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) ने अंतरिक्ष विज्ञान में एक और ऐतिहासिक उपलब्धि हासिल कर ली है। गुरुवार को इसरो ने ‘स्पेडेक्स’ (SPADEX) मिशन के तहत दो उपग्रहों को सफलतापूर्वक ‘डी-डॉक’ (अलग) कर दिया। यह उपलब्धि न केवल भारत के अंतरिक्ष मिशनों के लिए महत्वपूर्ण है, बल्कि भविष्य में चंद्रमा की खोज, मानव अंतरिक्ष उड़ान और भारत के अपने अंतरिक्ष स्टेशन की स्थापना के सपने को साकार करने की दिशा में भी बड़ा कदम है।
क्या है स्पेडेक्स मिशन?
स्पेडेक्स (SPADEX - Space Docking Experiment) मिशन को इसरो ने 30 दिसंबर 2023 को लॉन्च किया था। इस मिशन के तहत दो उपग्रह – एसडीएक्स-01 और एसडीएक्स-02 को पृथ्वी की कक्षा में स्थापित किया गया। इसका मुख्य उद्देश्य था ‘स्पेस डॉकिंग’ तकनीक का परीक्षण करना। ‘स्पेस डॉकिंग’ वह प्रक्रिया होती है, जिसमें दो उपग्रह या अंतरिक्ष यान अंतरिक्ष में एक-दूसरे से जुड़ते हैं, ताकि ईंधन भरने, मरम्मत या अन्य वैज्ञानिक उद्देश्यों को पूरा किया जा सके। इस तकनीक का महत्व इसलिए बढ़ जाता है क्योंकि यही भविष्य में गगनयान मिशन, चंद्रयान-4, और भारत के पहले स्पेस स्टेशन के निर्माण की आधारशिला रखेगा। डॉकिंग तकनीक को विकसित किए बिना अंतरिक्ष में दीर्घकालिक मानव मिशन संभव नहीं हो सकते।
16 जनवरी को हुआ था ऐतिहासिक डॉकिंग
इसरो के वैज्ञानिकों ने 16 जनवरी 2024 को सफलतापूर्वक इन दोनों उपग्रहों को अंतरिक्ष में आपस में जोड़ने (डॉक) में सफलता पाई थी। यह भारत के लिए एक ऐतिहासिक क्षण था, क्योंकि अब तक सिर्फ अमेरिका, रूस, यूरोप और चीन ही यह तकनीक विकसित कर पाए थे। इस सफलता के बाद अगला लक्ष्य था – इन उपग्रहों को बिना किसी क्षति के अलग (डी-डॉक) करना।
डी-डॉकिंग की सफलता और इसके मायने
16 जनवरी के बाद से वैज्ञानिक इस तकनीक को और परखने में जुटे थे। और अब, 14 मार्च 2024 को, इसरो ने एक और मील का पत्थर छू लिया— दोनों उपग्रहों को सफलतापूर्वक अलग कर दिया गया। केंद्रीय विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी मंत्री डॉ. जितेंद्र सिंह ने इस बड़ी उपलब्धि की जानकारी ‘एक्स’ (पूर्व में ट्विटर) पर साझा करते हुए कहा- स्पेडेक्स उपग्रहों ने अविश्वसनीय रूप से डी-डॉकिंग की प्रक्रिया को पूरा किया। इससे भारतीय अंतरिक्ष स्टेशन, चंद्रयान 4 और गगनयान सहित भविष्य के महत्वाकांक्षी मिशनों के सुचारू संचालन का मार्ग प्रशस्त होगा। इसरो की टीम को बधाई। यह हर भारतीय के लिए गर्व का क्षण है।
भविष्य के मिशनों की नई राह
स्पेडेक्स मिशन की सफलता ने भारत के अंतरिक्ष अभियानों के लिए कई नए रास्ते खोल दिए हैं-
गगनयान मिशन: भविष्य में भारतीय अंतरिक्ष यात्री (गगननॉट्स) जब अंतरिक्ष में जाएंगे, तो वहां उनके लिए डॉकिंग तकनीक बेहद जरूरी होगी।
चंद्रयान-4 और गहरे अंतरिक्ष मिशन: अगर भारत भविष्य में चंद्रमा या मंगल पर अंतरिक्ष स्टेशन स्थापित करता है, तो स्पेस डॉकिंग तकनीक आवश्यक होगी।
भारतीय अंतरिक्ष स्टेशन: अमेरिका के International Space Station की तरह भारत भी अपना खुद का अंतरिक्ष स्टेशन स्थापित करने की योजना बना रहा है। इसमें भी डॉकिंग तकनीक अहम भूमिका निभाएगी।
भारत के अंतरिक्ष युग का नया दौर
इसरो की यह सफलता अंतरिक्ष विज्ञान और प्रौद्योगिकी में भारत को विश्वस्तरीय स्तर पर स्थापित कर रही है। स्पेडेक्स मिशन की यह सफलता यह साबित करती है कि अब भारत सिर्फ उपग्रह प्रक्षेपण में ही नहीं, बल्कि जटिल अंतरिक्ष अभियानों में भी दुनिया की बड़ी अंतरिक्ष एजेंसियों को टक्कर देने के लिए पूरी तरह तैयार है। यह सिर्फ एक प्रयोग नहीं, बल्कि भारत के अंतरिक्ष स्वप्न को हकीकत में बदलने की दिशा में बड़ा कदम है!