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"हर 90 मिनट में एक सूर्योदय! जानिए — ISS पर कैसा रहा शुभांशु शुक्ला का पहला सप्ताह"

भारतीय अंतरिक्ष यात्री शुभांशु शुक्ला ने Axiom 4 मिशन के तहत ISS पर अपना पहला हफ्ता पूरा किया। उन्होंने ऑफ-ड्यूटी के दौरान परिवार से बात की, जो उनके मानवीय पक्ष को दर्शाता है।

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Ajit Kumar Pandey

"हर 90 मिनट में एक सूर्योदय! जानिए — ISS पर कैसा रहा शुभांशु शुक्ला का पहला सप्ताह" | यंग भारत न्यूज Photograph: (X.com)

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नई दिल्ली, वाईबीएन डेस्क ।शुभांशु शुक्ला ने अपना पहला सप्ताह सफलतापूर्वक पूरा कर लिया है। आज शुक्रवार 4 जुलाई 2025 को एक ऑफ-ड्यूटी दिन के दौरान अपने परिवार से बातचीत कर उन्होंने इस ऐतिहासिक यात्रा के भावनात्मक पलों को साझा किया। यह पल भारत के लिए गर्व का विषय है, क्योंकि शुक्ला अंतरिक्ष में महत्वपूर्ण वैज्ञानिक प्रयोगों को अंजाम दे रहे हैं।

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शुभांशु शुक्ला, जो Axiom 4 मिशन के हिस्से के रूप में अंतर्राष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन (ISS) पर हैं, ने अपनी अंतरिक्ष यात्रा का पहला सप्ताह सफलतापूर्वक पूरा कर लिया है। इस दौरान उन्होंने विभिन्न वैज्ञानिक प्रयोगों में हिस्सा लिया और ऑफ-ड्यूटी के दिन शुक्रवार 4 जुलाई 2025 को अपने परिवार से बात की, जिससे पता चला कि कैसे एक अंतरिक्ष यात्री भी अपने घर और रिश्तों को मिस करता है। यह मिशन न केवल भारत के बढ़ते अंतरिक्ष कौशल को दर्शाता है, बल्कि युवा पीढ़ी को विज्ञान और अन्वेषण के लिए प्रेरित भी करता है।

ISS पर जीवन : शुभांशु शुक्ला का पहला सप्ताह और अनुभव

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कल्पना कीजिए, पृथ्वी से 400 किलोमीटर ऊपर, जहां आप हर 90 मिनट में एक सूर्योदय और सूर्यास्त देखते हैं! यही वह जगह है जहां शुभांशु शुक्ला पिछले एक सप्ताह से रह रहे हैं। उनके पहले सप्ताह में मुख्य रूप से ISS के वातावरण के अनुकूल होना, सूक्ष्म गुरुत्वाकर्षण में रहने की चुनौतियों को समझना और मिशन के वैज्ञानिक उद्देश्यों की तैयारी करना शामिल था।

अनुकूलन और प्रशिक्षण: शुभांशु शुक्ला ने ISS के जटिल प्रणालियों को समझने में समय बिताया। भारहीनता की स्थिति में शरीर को ढालना आसान नहीं होता, और पहले कुछ दिन अक्सर सबसे चुनौतीपूर्ण होते हैं।

वैज्ञानिक प्रयोगों की शुरुआत: शुरुआती प्रशिक्षण के बाद, उन्होंने कुछ प्राथमिक वैज्ञानिक प्रयोगों में भाग लेना शुरू कर दिया है। इन प्रयोगों में विभिन्न क्षेत्रों जैसे कि मानव शरीर पर अंतरिक्ष के प्रभाव, सामग्री विज्ञान और उन्नत प्रौद्योगिकी विकास शामिल हैं।

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दैनिक दिनचर्या: ISS पर अंतरिक्ष यात्रियों की एक निर्धारित दिनचर्या होती है जिसमें वैज्ञानिक कार्य, स्टेशन का रखरखाव, व्यायाम और आराम का समय शामिल होता है। यह सब कुछ एक बहुत ही अनुशासित तरीके से होता है।

परिवार से भावनात्मक जुड़ाव : अंतरिक्ष से घर की पुकार

यह एक ऐसा क्षण था जिसने दुनिया भर के लाखों लोगों का ध्यान खींचा। एक ऑफ-ड्यूटी दिन पर, शुभांशु शुक्ला ने अपने परिवार से वीडियो कॉल पर बात की। यह बातचीत भावनात्मक थी, जहां उन्होंने अपनी अंतरिक्ष यात्रा के अनुभव साझा किए और अपने प्रियजनों की खैरियत पूछी। यह पल दर्शाता है कि भले ही कोई अंतरिक्ष में कितनी भी दूर चला जाए, लेकिन परिवार से जुड़ाव हमेशा बना रहता है। इस तरह के क्षण न केवल अंतरिक्ष यात्रियों के मनोबल को बढ़ाते हैं, बल्कि आम लोगों को भी अंतरिक्ष यात्रियों के मानवीय पक्ष से परिचित कराते हैं।

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एक अंतरिक्ष यात्री होना एक सपना हो सकता है, लेकिन यह बलिदान और कड़ी मेहनत से भरा होता है।

Axiom 4 मिशन : भारत के लिए क्यों महत्वपूर्ण?

Axiom 4 मिशन केवल शुभ्रांशु शुक्ला की व्यक्तिगत उपलब्धि नहीं है, बल्कि यह भारत के अंतरिक्ष कार्यक्रम के लिए एक महत्वपूर्ण कदम है।

अंतर्राष्ट्रीय सहयोग: यह मिशन अंतर्राष्ट्रीय अंतरिक्ष समुदाय में भारत की बढ़ती भूमिका को दर्शाता है। Axiom Space जैसी निजी कंपनियों के साथ सहयोग भविष्य के अंतरिक्ष अन्वेषणों के लिए नए अवसर खोल रहा है।

वैज्ञानिक अनुसंधान: ISS पर किए गए प्रयोगों से प्राप्त डेटा पृथ्वी पर जीवन को बेहतर बनाने में मदद कर सकता है। इससे नई दवाओं, सामग्रियों और प्रौद्योगिकियों का विकास हो सकता है।

प्रेरणा का स्रोत: शुभांशु शुक्ला जैसे भारतीय अंतरिक्ष यात्री युवा पीढ़ी के लिए एक प्रेरणा स्रोत हैं, जो उन्हें विज्ञान, प्रौद्योगिकी, इंजीनियरिंग और गणित (STEM) के क्षेत्र में करियर बनाने के लिए प्रोत्साहित करते हैं।

आत्मनिर्भर भारत: यह मिशन 'आत्मनिर्भर भारत' अभियान को भी बल देता है, क्योंकि भारत अपनी अंतरिक्ष क्षमताओं को लगातार बढ़ा रहा है।

भारत का अंतरिक्ष कार्यक्रम लगातार नए आयाम छू रहा है। गगनयान मिशन भी जल्द ही भारतीय अंतरिक्ष यात्रियों को अंतरिक्ष में भेजेगा।

शुभांशु शुक्ला का मिशन और भविष्य की योजनाएं

शुभांशु शुक्ला अगले कुछ हफ्तों तक ISS पर रहेंगे और विभिन्न महत्वपूर्ण वैज्ञानिक प्रयोगों में भाग लेंगे। उनका मिशन भारत के लिए बहुमूल्य डेटा और अनुभव लाएगा। Axiom 4 मिशन के बाद, भारत अपने स्वयं के मानव अंतरिक्ष मिशन, गगनयान, पर ध्यान केंद्रित करेगा, जो भारतीय अंतरिक्ष यात्रियों को पृथ्वी की निचली कक्षा में भेजेगा। शुभांशु शुक्ला जैसे अंतरिक्ष यात्री भारत के लिए अंतरिक्ष अन्वेषण के नए द्वार खोल रहे हैं।

यह तो बस शुरुआत है, भारत का अंतरिक्ष सफर अभी बहुत लंबा है! 

Shubhanshu Shukla | Indian in space

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