नई दिल्ली, वाईबीएन डेस्क । आंध्र प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री वाईएस जगन मोहन रेड्डी की रैली में एक दिल दहला देने वाली घटना ने पूरे राज्य को झकझोर कर रख दिया था। एक बुजुर्ग वाईएसआरसीपी कार्यकर्ता को कथित तौर पर जगन मोहन रेड्डी की कार ने कुचल दिया, जिससे उनकी मौके पर ही मौत हो गई। इस त्रासदीपूर्ण घटना ने न केवल राजनीतिक गलियारों में हलचल मचाई, बल्कि आम लोगों के मन में भी कई सवाल खड़े कर दिए।
आज सोमवार 23 जून 2025 को गुंटूर जिला पुलिस ने इस मामले में वाईएस जगन मोहन रेड्डी समेत छह लोगों को आरोपी बनाया है। यह घटना सिर्फ एक हादसा नहीं, बल्कि एक ऐसी त्रासदी है जिसने मानवीय लापरवाही और राजनीतिक रैलियों की सुरक्षा पर गंभीर सवाल खड़े किए हैं। आखिर क्या हुआ था उस मनहूस दिन, जिसने एक कार्यकर्ता की जान ले ली और जगन रेड्डी को कटघरे में खड़ा कर दिया?
क्या जनसभाएं दर्दनाक हादसों का सबब बनतीं जा रहीं
राजनीति और जनसभाएं, अक्सर नेताओं और जनता के बीच सीधा संवाद स्थापित करने का जरिया होती हैं। लेकिन कभी-कभी, यही जनसभाएं दर्दनाक हादसों का सबब बन जाती हैं। आंध्र प्रदेश की राजनीति में एक ऐसा ही काला अध्याय तब जुड़ गया, जब एक रैली के दौरान एक बुजुर्ग वाईएसआरसीपी कार्यकर्ता की जान चली गई। घटना में पूर्व मुख्यमंत्री वाईएस जगन मोहन रेड्डी की कार कथित तौर पर शामिल थी, और इस मामले ने पूरे देश का ध्यान अपनी ओर खींचा।
यह घटना सिर्फ एक आम दुर्घटना नहीं थी। इसमें एक राजनीतिक दल के प्रति अटूट निष्ठा रखने वाले एक आम कार्यकर्ता की जान गई, जिसकी उम्मीद थी कि वह अपने नेता को करीब से देख पाएगा। चश्मदीदों के मुताबिक, भीड़ अनियंत्रित हो रही थी और सुरक्षा व्यवस्था भी उतनी पुख्ता नहीं थी, जितनी होनी चाहिए थी। ऐसे में, अचानक एक गाड़ी के पहियों तले कुचलकर किसी की जान चली जाना, एक बेहद दुखद और दुर्भाग्यपूर्ण स्थिति है।
गुंटूर जिला पुलिस ने पूर्व सीएम समेत 6 को आरोपी बनाया
गुंटूर जिला पुलिस ने इस मामले को गंभीरता से लिया। शुरुआती जांच के बाद, पुलिस ने पूर्व मुख्यमंत्री वाईएस जगन मोहन रेड्डी और पांच अन्य लोगों के खिलाफ एफआईआर दर्ज की। यह अपने आप में एक बड़ी बात है कि किसी पूर्व मुख्यमंत्री पर इस तरह के गंभीर आरोप लगाए गए हैं। एफआईआर में लापरवाही से मौत और सार्वजनिक सुरक्षा को खतरे में डालने जैसी धाराएं शामिल होने की संभावना है। यह दिखाता है कि कानून के लिए हर कोई बराबर है, भले ही वह कितना भी बड़ा नेता क्यों न हो।
इस खौफनाक हादसे के बाद, राजनीतिक गलियारों में आरोप-प्रत्यारोप का दौर शुरू हो गया। विपक्षी दलों ने वाईएसआरसीपी और जगन मोहन रेड्डी पर लापरवाही का आरोप लगाया। उन्होंने यह भी सवाल उठाया कि क्या इतनी बड़ी रैली के लिए पर्याप्त सुरक्षा इंतजाम किए गए थे? वहीं, वाईएसआरसीपी ने इस घटना को एक दुर्भाग्यपूर्ण हादसा बताया और पीड़ित परिवार के प्रति संवेदना व्यक्त की। हालांकि, इस घटना ने राजनीतिक रैलियों में सुरक्षा प्रोटोकॉल और भीड़ नियंत्रण की आवश्यकता पर फिर से बहस छेड़ दी है।
क्या दिल दहला देने वाली घटना दे रही सबक!
यह दिल दहला देने वाली घटना हमें कई अहम सबक सिखाती है। पहला, नेताओं और उनके सुरक्षाकर्मियों को भीड़ के बीच वाहन चलाते समय अतिरिक्त सावधानी बरतनी चाहिए। दूसरा, रैलियों और जनसभाओं के आयोजकों को भीड़ प्रबंधन और सुरक्षा के लिए पुख्ता इंतजाम करने चाहिए। तीसरा, आम जनता को भी अपनी सुरक्षा का ध्यान रखना चाहिए और अनावश्यक रूप से वाहनों के रास्ते में आने से बचना चाहिए। एक छोटी सी चूक या लापरवाही किसी की जान ले सकती है।
मृतक कार्यकर्ता का परिवार इस घटना से गहरे सदमे में है। उन्होंने अपने प्रियजन को खो दिया है, और उनके लिए यह एक कभी न भरने वाला घाव है। मुआवजे और न्याय की मांग के साथ-साथ, वे चाहते हैं कि भविष्य में ऐसी घटनाएं दोबारा न हों। इस खौफनाक हादसा को एक सबक के तौर पर लिया जाना चाहिए ताकि भविष्य में ऐसी घटनाओं को रोका जा सके।
पुलिस जांच अभी भी जारी है, और उम्मीद है कि सभी तथ्यों का खुलासा होगा। यह मामला न केवल कानूनी रूप से महत्वपूर्ण है, बल्कि यह सार्वजनिक सुरक्षा और राजनीतिक जवाबदेही के लिए भी एक मिसाल कायम करेगा। यह घटना यह भी दर्शाती है कि आम जनता की सुरक्षा कितनी महत्वपूर्ण है और नेताओं को अपने पद की गरिमा और जिम्मेदारी का हमेशा पालन करना चाहिए।
क्या आपको लगता है कि नेताओं की रैलियों में सुरक्षा प्रोटोकॉल और सख्त होने चाहिए? इस दुखद घटना पर आपके विचार क्या हैं? नीचे कमेंट बॉक्स में अपनी राय जरूर दें और इस खबर को ज्यादा से ज्यादा शेयर करें ताकि हर कोई जागरूक हो सके!
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