नई दिल्ली, वाईबीएन डेस्क । पुरी ओड़िसा में 27 जून 2025 से शुरू हो रही जगन्नाथ रथ यात्रा की तैयारियां पूरे जोर-शोर से चल रही हैं। भगवान जगन्नाथ, भाई बलभद्र और बहन सुभद्रा की ये ऐतिहासिक यात्रा 5 जुलाई को 'बहुदा यात्रा' के साथ संपन्न होगी। लाखों भक्तों की मौजूदगी में होने वाली यह यात्रा आस्था, परंपरा और संस्कृति का अनोखा संगम है।
पुरी, ओडिशा की धरती एक बार फिर आस्था के महासागर से सराबोर होने जा रही है। 27 जून 2025 से शुरू हो रही जगन्नाथ रथ यात्रा के लिए तैयारियां अंतिम चरण में हैं। ओडिशा सरकार, मंदिर प्रशासन और स्थानीय समितियां दिन-रात इस भव्य आयोजन को सफल बनाने में जुटी हैं।
रथ यात्रा, न सिर्फ धार्मिक महत्व रखती है, बल्कि यह भारत की सांस्कृतिक आत्मा को जीवंत करती है। भगवान जगन्नाथ, उनके भ्राता बलभद्र और भगिनी सुभद्रा के विशाल लकड़ी के रथ जब सैकड़ों भक्तों के हाथों से खींचे जाते हैं, तो श्रद्धा और भक्ति की ऐसी लहर दौड़ती है जिसे महसूस किए बिना समझा नहीं जा सकता।
गुंडिचा यात्रा: देवताओं की सालाना सैर
रथ यात्रा के दौरान तीनों देवता अपने मूल निवास जगन्नाथ मंदिर से निकलकर करीब 3 किलोमीटर दूर स्थित गुंडिचा मंदिर तक जाते हैं। वहां एक सप्ताह तक विश्राम करने के बाद, 5 जुलाई को 'बहुदा यात्रा' यानी वापसी यात्रा होती है।
इस संपूर्ण अनुष्ठान में एक गहरी अध्यात्मिक व्याख्या भी छुपी होती है – जैसे भगवान अपने भक्तों के बीच आते हैं, उनका हाल-चाल लेते हैं और फिर अपने धाम लौट जाते हैं। यह दर्शन भारतीय सनातन संस्कृति में 'ईश्वर सुलभता' का प्रतीक है।
2025 की रथ यात्रा क्यों है खास?
2025 में 27 जून शुक्रवार को शुभ मुहूर्त में रथ यात्रा शुरू होगी।
इस बार अनुमान है कि 20 लाख से अधिक श्रद्धालु पुरी पहुंचेंगे।
डिजिटल रथ यात्रा की भी खास व्यवस्था – लाइव स्ट्रीमिंग, AR दर्शन और मोबाइल एप्स के ज़रिए भक्त देश-विदेश से भी जुड़ सकेंगे।
तैयारियों का ग्राउंड रिपोर्ट जैसा हाल
पुरी प्रशासन ने बताया है कि 1100 CCTV कैमरे लगाए जा रहे हैं। 30 हजार पुलिसकर्मी और वॉलंटियर्स की तैनाती होगी।
मेडिकल टीम, वाटर ATM, मोबाइल शौचालय और हेलीपैड की व्यवस्था भी पूरी की जा रही है।
वहीं, काष्ठ शिल्पकारों द्वारा रथ निर्माण भी परंपरागत विधि से किया जा रहा है। हर साल नए लकड़ी के रथ बनाए जाते हैं, और उनमें लकड़ी, रंग, कपड़े और धातुओं की अद्भुत कलाकारी होती है।
भक्ति का महासागर: भाव और भीड़ का अद्भुत संगम
जगन्नाथ रथ यात्रा केवल एक त्योहार नहीं, बल्कि समरसता और सर्वधर्म समभाव की जीवंत मिसाल है। इसमें न जाति का भेद होता है, न भाषा का – हर कोई एक ही लक्ष्य से प्रेरित होता है: भगवान जगन्नाथ के चरणों तक पहुंचना।
इस आयोजन में शामिल होकर लोग अपने जीवन के सारे कष्ट भूल जाते हैं, और जो दूर से केवल दर्शन करते हैं, उन्हें भी आभास होता है जैसे भगवान स्वयं उनके द्वार पर आए हों।
अब तकनीक से भी जुड़े रथ यात्रा से
2025 में पुरी प्रशासन ने तकनीकी पहलुओं को भी बढ़ावा दिया है:
- मोबाइल ऐप्स के ज़रिए लाइव दर्शन
- AR/VR दर्शन की सुविधा
- Google और YouTube पर 360 डिग्री अनुभव
रथ यात्रा सिर्फ यात्रा नहीं, एक जीवन दर्शन है
जगन्नाथ रथ यात्रा हर साल हमें याद दिलाती है कि ईश्वर न सिर्फ मंदिरों में बल्कि लोगों के बीच भी है। भक्तों का प्यार, एकता और समर्पण इस पर्व को इतना विराट बना देता है कि दुनिया इसे देखने पुरी खिंची चली आती है।
अगर आप कभी जीवन में अध्यात्म को महसूस करना चाहते हैं, तो इस बार रथ यात्रा जरूर देखिए — चाहे पुरी जाकर या ऑनलाइन जुड़कर। रथ नहीं खींच सके तो अपनी भावना से जुड़िए, यही सच्ची भक्ति है।
Odisha Breaking News |