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Jagannath Rath Yatra : परंपरा से खिलवाड़ पर उठे सवाल! गजपति महाराजा दिव्यसिंह देव ने क्यों जताई चिंता | यंग भारत न्यूज
नई दिल्ली, वाईबीएन डेस्क ।इस्कॉन द्वारा भगवान जगन्नाथ की रथ यात्रा और स्नान यात्रा को अलग-अलग तिथियों पर आयोजित करने पर पुरी के गजपति महाराजा दिव्यसिंह देव ने गहरी चिंता जताई है। आज सोमवार 23 जून 2025 को उन्होंने इसे सदियों पुरानी परंपरा का उल्लंघन बताया है, जिससे दुनियाभर के जगन्नाथ भक्त हैरान हैं। महाराजा का कहना है कि जब इस्कॉन कृष्ण जन्माष्टमी जैसे पर्वों पर ऐसा नहीं करता, तो जगन्नाथ यात्रा के साथ ऐसा खिलवाड़ क्यों? यह खबर सदियों पुरानी जगन्नाथ रथ यात्रा की पवित्रता और परंपराओं पर हो रहे आघात का खुलासा करती है।
जगन्नाथ रथ यात्रा: इस्कॉन पर क्यों उठ रहे सवाल?
भगवान जगन्नाथ की सदियों पुरानी परंपराओं को लेकर एक बड़ा विवाद खड़ा हो गया है। पुरी के गजपति महाराजा दिव्यसिंह देव ने अंतरराष्ट्रीय कृष्णभावनामृत संघ (इस्कॉन) पर जगन्नाथ रथ यात्रा और स्नान यात्रा को उसकी निर्धारित तिथियों से अलग आयोजित करने का आरोप लगाया है। महाराजा ने इसे भगवान जगन्नाथ की पवित्र परंपराओं का घोर उल्लंघन बताया है, जिससे दुनिया भर के जगन्नाथ भक्त स्तब्ध हैं। यह मुद्दा सिर्फ तिथियों का नहीं, बल्कि आस्था और सदियों से चली आ रही मान्यताओं की पवित्रता का है।
गजपति महाराजा दिव्यसिंह देव ने जारी किया बयान
गजपति महाराजा दिव्यसिंह देव ने एक बयान जारी कर इस्कॉन के इस कृत्य पर अपनी गहरी नाराजगी व्यक्त की है। उन्होंने कहा, "1967 में सैन फ्रांसिस्को में इस्कॉन की रथ यात्रा शुरू हुई थी। तब से लेकर अब तक, ज्यादातर रथ यात्राएं 9 दिनों में पूरी हो जाती थीं। लेकिन, कुछ समय बाद, जब इस्कॉन ने खुद को पूरी दुनिया में स्थापित कर लिया, तो उन्होंने पूरे साल रथ यात्राएं और स्नान यात्राएं भी करना शुरू कर दिया।" महाराजा ने आगे कहा, "जगन्नाथ के सभी भक्त इस उल्लंघन से स्तब्ध हैं। वे कृष्ण जन्माष्टमी पर ऐसी चीजें नहीं करते, तो फिर जगन्नाथ स्नान यात्रा के लिए ऐसा क्यों कर रहे हैं?"
यह सवाल वाकई गंभीर है। भगवान जगन्नाथ की यात्राएं, विशेषकर जगन्नाथ रथ यात्रा, हिंदू धर्म की सबसे महत्वपूर्ण और पवित्र परंपराओं में से एक हैं। इन यात्राओं का समय, अनुष्ठान और विधि-विधान शास्त्रों और सदियों से चली आ रही परंपराओं द्वारा तय किए जाते हैं। इन परंपराओं में किसी भी तरह का बदलाव या मनमाना आयोजन भक्तों की भावनाओं को आहत करता है और धर्म की मूल भावना के खिलाफ जाता है।
#WATCH | Puri, Odisha: On ISKCON conducting Jagannath Rath Yatra on different dates, Gajapati Maharaja Dibyasingha Deba says, "From 1967, ISKCON's rath yatra started in San Francisco; majorly, all the rath yatras were completed in 9 days only... but after some time, when ISKCON… pic.twitter.com/HAAFGdH6A9
— ANI (@ANI) June 23, 2025
गजपति महाराजा दिव्यसिंह देव का बयान एक चेतावनी
इस्कॉन, जो कि दुनिया भर में कृष्ण भक्ति का प्रचार करता है, उसकी अपनी एक व्यापक पहुंच है। लाखों लोग इस्कॉन के माध्यम से कृष्ण भक्ति से जुड़े हैं। ऐसे में, जब एक प्रमुख धार्मिक संगठन खुद ही स्थापित परंपराओं का उल्लंघन करता है, तो यह चिंता का विषय बन जाता है। महाराजा दिव्यसिंह देव का यह बयान न केवल इस्कॉन के लिए बल्कि सभी धार्मिक संगठनों के लिए एक चेतावनी है कि वे अपनी सुविधा या प्रसार के लिए मूल धार्मिक सिद्धांतों और परंपराओं से खिलवाड़ न करें।
यह समझना महत्वपूर्ण है कि जगन्नाथ रथ यात्रा केवल एक उत्सव नहीं है, बल्कि यह एक गहरा आध्यात्मिक अनुभव है जो भक्तों को भगवान के करीब लाता है। इस यात्रा की प्रत्येक तिथि, प्रत्येक अनुष्ठान का अपना एक विशेष महत्व है। जब इन निर्धारित तिथियों और अनुष्ठानों में बदलाव किया जाता है, तो यह उस पवित्रता और आध्यात्मिक ऊर्जा को बाधित करता है जिसे भक्त पीढ़ियों से महसूस करते आ रहे हैं।
इस्कॉन को इस मामले पर गंभीरता से विचार करना चाहिए। यदि उनका उद्देश्य भगवान जगन्नाथ के संदेश को जन-जन तक पहुंचाना है, तो उन्हें यह सुनिश्चित करना होगा कि यह संदेश मूल परंपराओं और धार्मिक अनुष्ठानों का सम्मान करते हुए प्रसारित हो। अन्यथा, ऐसे कृत्यों से भक्तों में भ्रम और असंतोष पैदा हो सकता है। पुरी के महाराजा का यह आह्वान सिर्फ एक बयान नहीं, बल्कि करोड़ों भक्तों की भावनाओं की अभिव्यक्ति है जो भगवान जगन्नाथ की पवित्रता को अक्षुण्ण देखना चाहते हैं। यह विवाद दिखाता है कि धार्मिक परंपराओं का सम्मान कितना महत्वपूर्ण है।
क्या आपको लगता है कि धार्मिक परंपराओं में बदलाव करना सही है? अपनी राय कमेंट बॉक्स में जरूर बताएं और इस महत्वपूर्ण खबर को दूसरों के साथ साझा करें ताकि हर कोई इस विषय पर अपनी राय रख सके!
odisa |