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जैन आचार्य विद्यानंद महाराज की जन्म शताब्दी: PM Modi 'धर्म चक्रवर्ती' की उपाधि से सम्मानित

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने जैन आचार्य विद्यानंद जी महाराज के शताब्दी समारोह में भाग लिया। इस दौरान उन्हें 'धर्म चक्रवर्ती' की उपाधि से सम्मानित किया गया। इस अवसर पर पीएम मोदी ने आचार्य की जयंती पर डाक टिकट और सिक्के जारी किए।

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Pratiksha Parashar
PM Modi

नई दिल्ली, वाईबीएन डेस्कप्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने शनिवार को राजधानी दिल्ली स्थित विज्ञान भवन में प्रसिद्ध जैन आचार्य 108 विद्यानंद जी महाराज के शताब्दी समारोह में भाग लिया। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी को आचार्य विद्यानंद जी महाराज की शताब्दी समारोह में 'धर्म चक्रवर्ती' की उपाधि से सम्मानित किया गया है। पीएम मोदी ने आचार्य विद्यानंद जी महाराज की 100वीं जयंती के अवसर पर डाक टिकट और सिक्के जारी किए।

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मैं इसके उपयुक्त नहीं...

आचार्य विद्यानंद जी महाराज के शताब्दी समारोह में धर्म चक्रवर्ती की उपाधि से सम्मानित किए जाने पर पीएम मोदी ने कहा, "इस अवसर पर आपने मुझे 'धर्म चक्रवर्ती' की उपाधि से विभूषित किया। उन्होंने कहा कि मैं खुद को इसके लिए उपयुक्त नहीं मानता, लेकिन यह हमारी संस्कृति है कि संतों से हमें जो कुछ भी मिलता है, हम उसे 'प्रसाद' के रूप में स्वीकार करते हैं। इसलिए मैं विनम्रतापूर्वक इस 'प्रसाद' को स्वीकार करता हूं और इसे मां भारती को समर्पित करता हूं।

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जैनियों पर बोले पीएम मोदी

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने इस दौरान कार्यक्रम को संबोधित करते हुए कहा कि मैं जैनियों के एक कार्यक्रम में, अहिंसा में विश्वास रखने वालों के बीच में हूं। प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि भारत दुनिया की सबसे प्राचीन जीवित संस्कृति है। हम हजारों वर्षों से अमर हैं, क्योंकि हमारे विचार अमर हैं, हमारे चिंतन अमर हैं, हमारा दर्शन अमर है। इस दर्शन का स्रोत हमारे ऋषि, मुनि और आचार्य हैं।

मैं भाग्यशाली हूं

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प्रधानमंत्री मोदी ने कहा ति आचार्य विद्यानंद जी मुनिराज 'युग पुरुष' थे, वे 'युग द्रष्टा' थे। मैं भाग्यशाली हूं कि मुझे उनके आध्यात्मिक आभा को साक्षात अनुभव करने का अवसर मिला। पीएम मोदी ने कहा कि उनके शताब्दी समारोह के इस मंच से मैं उनके प्रेम और आत्मीयता को महसूस कर सकता हूं। पीएम ने कहा कि यह दिन इसलिए भी खास है, क्योंकि 28 जून 1987 को आचार्य विद्यानंद मुनिराज को 'आचार्य' की उपाधि मिली थी। यह सिर्फ सम्मान नहीं था बल्कि जैन संस्कृति को विचारों, संयम और करुणा से जोड़ने वाली पवित्र धारा भी थी। आज जब हम उनकी 100वीं जयंती मना रहे हैं तो यह हमें उस ऐतिहासिक क्षण की याद दिलाता है।

आचार्य विद्यानंद जी महाराज कौन हैं?

आचार्य श्री का जन्म 22 अप्रैल 1925 को कर्नाटक के बेलगावी ज़िले के शेडबाल में हुआ था। उन्होंने किशोरावस्था में ही दीक्षा ग्रहण कर ली थी और जैन आगम के 8,000 से अधिक श्लोक कंठस्थ कर लिए। उन्होंने जैन दर्शन, अनेकांतवाद, और मोक्षमार्ग दर्शन सहित 50 से अधिक ग्रंथों की रचना की। उन्होंने कई दशकों तक नंगे पांव भारत भ्रमण किया और कायोत्सर्ग साधना, ब्रह्मचर्य और कठोर तप का पालन किया। वर्ष 1975 में भगवान महावीर के 2500वें निर्वाण महोत्सव के अवसर पर उन्होंने जैन ध्वज और प्रतीक चिह्न की परिकल्पना और प्रस्तुति में ऐतिहासिक भूमिका निभाई। यह पांच रंगों वाला ध्वज और हथेली पर अंकित अहिंसा प्रतीक आज जैन समाज का एकता का प्रतीक बन चुका है।  pm modi | pm narendra modi 

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