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JAMMU KASHMIR
Jammu Kashmir news | जम्मू-कश्मीर, अपनी सामरिक स्थिति और नियंत्रण रेखा (LoC) के निकट होने के कारण, लंबे समय से आतंकवाद के खिलाफ भारत के सुरक्षा बलों का एक महत्वपूर्ण युद्धक्षेत्र रहा है। हाल के महीनों में अखनूर, किश्तवाड़ और कठुआ में हुई घटनाओं ने हमारे सैनिकों की बहादुरी को उजागर किया है, बल्कि क्षेत्र में शांति बनाए रखने की उनकी अटूट प्रतिबद्धता को भी रेखांकित किया है।
अखनूर में मुठभेड़: जेसीओ का सर्वोच्च बलिदान
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जम्मू जिले के अखनूर में एक शनिवार को आतंकवादियों के साथ मुठभेड़ में 9 पंजाब रेजिमेंट के जूनियर कमीशंड ऑफिसर (जेसीओ) सूबेदार कुलदीप चंद वीरगति को प्राप्त हुए। यह मुठभेड़ शुक्रवार देर रात केरी बट्टल क्षेत्र में शुरू हुई थी, जब सुरक्षा बलों को संदिग्ध गतिविधियों की सूचना मिली। सूबेदार कुलदीप चंद ने अपनी टीम का नेतृत्व करते हुए आतंकियों की घुसपैठ को रोकने का प्रयास किया, लेकिन इस दौरान वे शहीद हो गए।
व्हाइट नाइट कॉर्प्स ने उन्हें श्रद्धांजलि देते हुए कहा, “जीओसी व्हाइट नाइट कॉर्प्स और सभी सैनिक सूबेदार कुलदीप चंद के सर्वोच्च बलिदान को नमन करते हैं।” क्षेत्र को पूरी तरह से घेर लिया गया है, और सुरक्षा बल किसी भी खतरे को रोकने के लिए सतर्क हैं।
यह घटना LoC के साथ तैनात सैनिकों के सामने आने वाले जोखिमों को दर्शाती है, जहां घुसपैठ की कोशिशें बार-बार होती रहती हैं। सूबेदार कुलदीप चंद की वीरता भारतीय सेना के समर्पण का प्रतीक है।
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किश्तवाड़ में ऑपरेशन: जैश-ए-मोहम्मद के आतंकियों का खात्मा
इसी दौरान, किश्तवाड़ जिले के घने जंगलों में सुरक्षा बलों ने जैश-ए-मोहम्मद (JeM) के खिलाफ एक बड़े ऑपरेशन को अंजाम दिया। शुक्रवार को शुरू हुए इस ऑपरेशन में तीन आतंकियों को मार गिराया गया, जिनमें JeM का शीर्ष कमांडर सैफुल्लाह भी शामिल था। यह ऑपरेशन रातभर चला और सुरक्षा बलों की सटीकता और समन्वय को दर्शाता है।
अधिकारियों के अनुसार, ये आतंकी क्षेत्र में एक बड़े हमले की योजना बना रहे थे। सैफुल्लाह का खात्मा JeM के नेटवर्क के लिए एक बड़ा झटका है। किश्तवाड़ के कठिन इलाकों में खोजबीन अभी भी जारी है ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि कोई और खतरा बाकी न रहे।
यह सफलता खुफिया जानकारी पर आधारित ऑपरेशनों और सेना, पुलिस व अन्य एजेंसियों के बीच तालमेल की प्रभावशीलता को दर्शाती है। हालांकि, यह जंगली और दूरदराज के इलाकों में आतंकवाद से निपटने की चुनौतियों को भी उजागर करता है।
LoC पर हाल की घटनाएं
अखनूर और किश्तवाड़ के ऑपरेशन जम्मू-कश्मीर में बढ़ती सुरक्षा गतिविधियों का हिस्सा हैं। अप्रैल की शुरुआत में, 4-5 अप्रैल की रात को आरएस पुरा सेक्टर में सीमा सुरक्षा बल (बीएसएफ) ने एक पाकिस्तानी घुसपैठिए को मार गिराया। इससे पहले, 1 अप्रैल को पुंछ के कृष्णा घाटी सेक्टर में एक बड़े एनकाउंटर में चार से पांच घुसपैठियों को ढेर किया गया था।
1 अप्रैल की घटना में पाकिस्तान की ओर से युद्धविराम का उल्लंघन किया गया था, जिसमें तीन माइन ब्लास्ट और बिना उकसावे की फायरिंग शामिल थी। भारतीय सेना ने इसका मुंहतोड़ जवाब दिया। सेना ने कहा, “1 अप्रैल को पाकिस्तानी सेना ने LoC के पार से घुसपैठ की कोशिश की, जिसके कारण कृष्णा घाटी सेक्टर में एक माइन ब्लास्ट हुआ। हमारे सैनिकों ने जवाबी कार्रवाई की, और स्थिति नियंत्रण में है।”
ये घटनाएं युद्धविराम उल्लंघन और घुसपैठ की कोशिशों का एक पैटर्न दर्शाती हैं, जो अक्सर पाकिस्तान आधारित तत्वों के समर्थन से होती हैं। भारतीय सेना 2021 के डीजीएसएमओ युद्धविराम समझौते को बनाए रखने के लिए प्रतिबद्ध है और शांति की अपील करती है।
कठुआ में आतंकवाद के खिलाफ जंग
कठुआ जिला हाल के दिनों में आतंकवादी गतिविधियों का एक और केंद्र बन गया है, जहां पिछले 20 दिनों में चार मुठभेड़ें हुई हैं। इन ऑपरेशनों से आतंकी समूहों की बढ़ती हिम्मत का पता चलता है। नीचे हाल की घटनाओं का सारांश दिया गया है:
23 मार्च: हीरानगर सेक्टर में मुठभेड़
सुरक्षा बलों को खबर मिली थी कि JeM के प्रॉक्सी संगठन पीपुल्स एंटी-फासिस्ट फ्रंट (PAFF) से जुड़े पांच आतंकी हीरानगर में छिपे हैं। आतंकी भागने में कामयाब रहे, लेकिन ऑपरेशन ने उनकी योजनाओं को विफल कर दिया।
28 मार्च: भारी कीमत पर जीत
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एक तीव्र मुठभेड़ में सुरक्षा बलों ने दो आतंकियों को मार गिराया। हालांकि, इस ऑपरेशन में स्पेशल ऑपरेशन ग्रुप (SOG) के चार जवान—तारिक अहमद, जसवंत सिंह, जगबीर सिंह और बलविंदर सिंह—शहीद हो गए। डीएसपी धीरज सिंह सहित तीन अन्य जवान घायल हुए, जिनका इलाज चल रहा है।
31 मार्च: पंजतीर्थी मंदिर के पास मुठभेड़
31 मार्च की रात को पंजतीर्थी मंदिर के पास तीन आतंकियों के छिपे होने की सूचना मिली। एक आतंकी के मारे जाने की खबर आई, लेकिन आधिकारिक पुष्टि नहीं हुई। इस ऑपरेशन में सेना, सीआरपीएफ, एनएसजी और बीएसएफ ने ड्रोन और स्निफर डॉग्स की मदद से हिस्सा लिया।
राइजिंग स्टार कॉर्प्स ने 31 मार्च की रात राजबाग के रुई, जुथाना, घाटी, सान्याल और बिलावर के कुछ हिस्सों में संदिग्ध गतिविधियों की सूचना के बाद व्यापक खोज अभियान शुरू किया। ये प्रयास आतंकियों को जंगलों में भागने से रोकने के लिए जारी हैं।
उप महानिरीक्षक (डीआईजी) शिव कुमार शर्मा ने सुरक्षा बलों के संकल्प को दोहराते हुए कहा, “जब तक आखिरी आतंकी खत्म नहीं हो जाता, ऑपरेशन जारी रहेगा। हम स्थानीय लोगों से किसी भी संदिग्ध गतिविधि की तुरंत सूचना देने की अपील करते हैं।”
अफवाहों का खंडन
28 मार्च को कठुआ में हुई मुठभेड़ के बाद सोशल मीडिया पर अफवाहें फैलीं कि आतंकियों ने शहीद जवानों के हथियार लूट लिए। जम्मू-कश्मीर पुलिस ने इन दावों का खंडन करते हुए कहा, “हमारे शहीद जवानों के सभी हथियार और उपकरण बरामद कर लिए गए हैं। राष्ट्र-विरोधी तत्वों द्वारा फैलाई जा रही अफवाहें झूठी हैं।”
यह घटना गलत सूचनाओं को रोकने के महत्व को रेखांकित करती है, जो संवेदनशील ऑपरेशनों के दौरान जनता का विश्वास और मनोबल कमजोर कर सकती हैं।
आतंकवाद के खिलाफ लड़ाई
हाल की मुठभेड़ों में वृद्धि जम्मू-कश्मीर में आतंकवाद की बदलती प्रकृति को दर्शाती है। JeM और PAFF जैसे आतंकी समूह अब दूरदराज के इलाकों को निशाना बना रहे हैं, जहां घने जंगल और कठिन इलाके उन्हें छिपने में मदद करते हैं। सैफुल्लाह जैसे शीर्ष कमांडरों की मौजूदगी क्षेत्र में उग्रवाद को पुनर्जनन देने की कोशिशों का संकेत देती है।
हालांकि, भारत के सुरक्षा बलों ने इन चुनौतियों का डटकर सामना किया है। उनकी सफलता के प्रमुख कारक हैं...
खुफिया जानकारी पर आधारित ऑपरेशन: समय पर और सटीक जानकारी ने आतंकी नेटवर्क के खिलाफ पहले से हमला करने में मदद की है।
एजेंसियों के बीच समन्वय: सेना, पुलिस, सीआरपीएफ, बीएसएफ और एनएसजी के बीच संसाधनों और विशेषज्ञता का एकीकरण।
तकनीकी लाभ: ड्रोन, थर्मल इमेजिंग और स्निफर डॉग्स ने खोज और युद्ध ऑपरेशनों की प्रभावशीलता को बढ़ाया है।
समुदाय का समर्थन: स्थानीय लोग संदिग्ध गतिविधियों की सूचना देकर महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहे हैं, जैसा कि हीरानगर की घटना में देखा गया, जहां एक परिवार ने आतंकियों से बचकर पुलिस को सूचित किया।
इन सफलताओं के बावजूद, सूबेदार कुलदीप चंद और चार SOG जवानों जैसे वीर सैनिकों की शहादत इस लड़ाई की मानवीय कीमत को दर्शाती है। उनके बलिदान आतंकवाद को खत्म करने और स्थायी शांति स्थापित करने की दृढ़ता को और मजबूत करते हैं।
चुनौतियां और भविष्य की राह
जम्मू-कश्मीर में स्थिरता की खोज में कई चुनौतियां हैं...
सीमा पार घुसपैठ: पाकिस्तान का आतंकी समूहों को समर्थन एक बड़ी बाधा है। सीमा सुरक्षा को मजबूत करना और कूटनीतिक प्रयास घुसपैठ को रोकने के लिए जरूरी हैं।
आतंकियों के लिए इलाके का लाभ: क्षेत्र के जंगल और पहाड़ आतंकियों को प्राकृतिक आड़ प्रदान करते हैं। उन्नत निगरानी और विशेष प्रशिक्षण इस लाभ को कम कर सकते हैं।
गलत सूचना अभियान: सोशल मीडिया जागरूकता और झूठी खबरों दोनों को बढ़ाता है। मजबूत तथ्य-जांच तंत्र की आवश्यकता है।
स्थानीय सहयोग: आतंकियों की गतिविधियों को ट्रैक करने के लिए समुदाय के साथ विश्वास बनाए रखना महत्वपूर्ण है।
आगे बढ़ते हुए, एक बहुआयामी दृष्टिकोण की आवश्यकता है, जिसमें सैन्य ऑपरेशन, खुफिया नेटवर्क को मजबूत करना, और स्थानीय समुदायों के साथ सहयोग शामिल हो। इसके साथ ही, क्षेत्र में सामाजिक-आर्थिक विकास को बढ़ावा देना युवाओं को उग्रवाद की ओर बढ़ने से रोक सकता है।
जम्मू-कश्मीर में हाल की घटनाएं भारत के सुरक्षा बलों की वीरता और बलिदान की कहानी बयान करती हैं। सूबेदार कुलदीप चंद और अन्य शहीदों की शहादत हमें उनके कर्तव्य और देशभक्ति की याद दिलाती है। अखनूर, किश्तवाड़ और कठुआ में आतंकवाद के खिलाफ लड़ाई न केवल एक सैन्य चुनौती है, बल्कि शांति और समृद्धि के लिए एक व्यापक प्रयास का हिस्सा है।
जैसा कि डीआईजी शिव कुमार शर्मा ने कहा, “जब तक एक भी आतंकी बाकी है, हमारा मिशन जारी रहेगा।” यह संकल्प क्षेत्र में शांति बहाल करने की दिशा में एक मजबूत कदम है। हमें अपने सैनिकों की बहादुरी पर गर्व है, और हम उनके बलिदान को कभी नहीं भूलेंगे।