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उम्मीद की नई किरण Indian Army : जानिए — कैसे मिल रहा डोडा के हजारों ग्रामीणों को मिला नया जीवन? | यंग भारत न्यूज
नई दिल्ली, वाईबीएन डेस्क ।जम्मू-कश्मीर के डोडा जिले में भारतीय सेना की 26 राष्ट्रीय राइफल्स ने एक ऐसा कदम उठाया है, जिसने हजारों जिंदगियों में उम्मीद की नई किरण भर दी है। आज सोमवार 23 जून 2025 को डोडा के सबसे दुर्गम और पिछड़े इलाकों में से एक, छिल्ली गंडोह के मनू पंचायत में आयोजित एक मुफ्त चिकित्सा शिविर में हजारों ग्रामीणों की भीड़ उमड़ पड़ी। इस शिविर ने साबित कर दिया कि जब सेवा भाव से कोई कार्य किया जाता है, तो उसके परिणाम कितने सुखद होते हैं। यह सिर्फ एक चिकित्सा शिविर नहीं था, बल्कि सेना और स्थानीय लोगों के बीच बढ़ते विश्वास और सौहार्द का प्रतीक था।
पहाड़ों में स्वास्थ्य की संजीवनी: सेना बनी मसीहा
कल्पना कीजिए, एक ऐसा इलाका जहां बुनियादी स्वास्थ्य सुविधाओं का घोर अभाव हो। जहां बीमार पड़ने पर भी लोग डॉक्टर तक पहुंचने के लिए घंटों पैदल चलने को मजबूर हों। डोडा का छिल्ली गंडोह ऐसा ही एक क्षेत्र है। ऐसे में 26 राष्ट्रीय राइफल्स द्वारा आयोजित यह चिकित्सा शिविर किसी संजीवनी से कम नहीं था। हजारों की संख्या में महिलाएं, बच्चे और बुजुर्ग इस शिविर में पहुंचे और विभिन्न बीमारियों का इलाज कराया। सेना के डॉक्टरों और पैरामेडिकल स्टाफ ने निःस्वार्थ भाव से मरीजों की जाँच की, दवाएँ दीं और स्वास्थ्य संबंधी महत्वपूर्ण सलाह भी दी।
यह देखकर दिल खुश हो जाता है कि कैसे सेना सिर्फ सरहदों की रक्षा ही नहीं करती, बल्कि देश के नागरिकों की सेवा में भी तत्पर रहती है। इस चिकित्सा शिविर का उद्देश्य सिर्फ मुफ्त इलाज मुहैया कराना नहीं था, बल्कि स्थानीय आबादी के साथ जुड़ाव बढ़ाना और उनके जीवन को बेहतर बनाने में मदद करना भी था।
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हर चेहरे पर मुस्कान, हर दिल में सुकून
शिविर में सुबह से ही लोगों की लंबी कतारें लगनी शुरू हो गई थीं। बच्चों को टीके लगाए गए, बुजुर्गों को गठिया और अन्य उम्र संबंधी बीमारियों का इलाज मिला, और महिलाओं को स्त्री रोग संबंधी परामर्श दिया गया। सेना के जवानों ने भी इस दौरान ग्रामीणों की हर संभव मदद की। किसी को पानी पिलाया, किसी को बैठने में सहायता की, तो किसी को डॉक्टर तक पहुँचने में मार्गदर्शन किया। यह दृश्य सचमुच दिल को छू लेने वाला था।
कई ग्रामीण ऐसे भी थे, जो दशकों से किसी डॉक्टर के पास नहीं गए थे। उनके लिए यह चिकित्सा शिविर एक वरदान साबित हुआ। एक बुजुर्ग महिला ने बताया कि उन्हें कई सालों से घुटनों में दर्द रहता था, लेकिन पैसों की कमी और डॉक्टर तक पहुंचने की मुश्किल के कारण वह इलाज नहीं करा पा रही थीं। सेना के इस शिविर में उन्हें न केवल मुफ्त दवाएं मिलीं, बल्कि डॉक्टरों ने उन्हें व्यायाम और खान-पान संबंधी महत्वपूर्ण सलाह भी दी। उनके चेहरे पर संतोष और राहत की भावना स्पष्ट देखी जा सकती थी।
सेना और अवाम के बीच मजबूत होती कड़ी
यह चिकित्सा शिविर केवल एक स्वास्थ्य पहल से कहीं बढ़कर था। यह भारतीय सेना द्वारा चलाए जा रहे 'ऑपरेशन सद्भावना' का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है, जिसका उद्देश्य स्थानीय आबादी के जीवन स्तर को बेहतर बनाना और उनके साथ संबंधों को मजबूत करना है। ऐसे आयोजनों से सेना के प्रति स्थानीय लोगों का विश्वास बढ़ता है और उन्हें यह अहसास होता है कि सेना उनके साथ खड़ी है, सिर्फ मुश्किलों में नहीं, बल्कि उनके सुख-दुख में भी।
डोडा जैसे सीमावर्ती क्षेत्रों में, जहां अलगाववादी ताकतें लोगों को गुमराह करने की कोशिश करती रहती हैं, ऐसे मानवीय कार्य शांति और सद्भाव का संदेश फैलाते हैं। यह साबित करता है कि विकास और बेहतर भविष्य केवल तभी संभव है जब हम मिलकर काम करें।
भारतीय सेना के इस नेक कार्य के बारे में आपके क्या विचार हैं? क्या आपको लगता है कि ऐसे और चिकित्सा शिविर आयोजित किए जाने चाहिए? अपने बहुमूल्य विचार और सुझाव हमें कमेंट बॉक्स में जरूर बताएँ। आपकी राय हमारे लिए बहुत मायने रखती है!
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