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Judiciary की साख पर बट्टा लगा रहे जज, जानिए CJI ने क्यों कहा ऐसा

कलकत्ता हाईकोर्ट के जज अभिजीत गंगोपाध्याय ने पहले सीएम ममता बनर्जी के खिलाफ मोर्चा खोला और जब सुप्रीम कोर्ट ने उन पर लगाम कसी तो वो बीजेपी में शामिल हो गए। नौकरी छोड़ने के बाद चुनाव लड़े और लोकसभा जा पहुंचे।

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Shailendra Gautam
BR Gavai Takes Oath As CJI

नई दिल्ली, वाईबीएन डेस्कः चीफ जस्टिस आफ इंडिया हाल ही में ब्रिटेन के सुप्रीम कोर्ट के एक फंक्शन में शामिल होने गए थे। वहां उन्होंने एक ऐसी चीज पर चिंता जताई जो वाकई गंभीर है। सीजेआई ने कहा कि न्यायपालिका की साख पर इसके अपने जज की बट्टा लगा रहे हैं।  Judiciary | Indian Judiciary | judiciary of india 

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रिटायर होने के बाद जज के सरकारी सेवा में जाने से न्यायपालिका की साख को खतरा

CJI बीआर गवई ने कहा है कि न्यायपालिका में भ्रष्टाचार और कदाचार के मामलों का जनता के विश्वास पर नकारात्मक प्रभाव पड़ता है, जिससे पूरी व्यवस्था की अखंडता में विश्वास कम हो सकता है। यूनाइटेड किंगडम के सुप्रीम कोर्ट में एक सम्मेलन में उन्होंने जजों के सेवानिवृत्ति के बाद की नौकरियों के बारे में भी बात की। उन्होंने कहा कि यदि कोई जज सेवानिवृत्ति के तुरंत बाद सरकार के साथ कोई अन्य नियुक्ति लेता है या चुनाव लड़ने के लिए बेंच से इस्तीफा देता है तो यह महत्वपूर्ण नैतिक चिंताएं पैदा करता है। इस तरह की हरकत सार्वजनिक जांच को आमंत्रित करती है। 

भ्रष्टाचार के मुद्दे पर CJI ने कहा कि जब भी भ्रष्टाचार के मामले सामने आए हैं, सुप्रीम कोर्ट ने तत्काल कदम उठाए किए हैं। उनका कहना था कि न्यायपालिका के भीतर भ्रष्टाचार और कदाचार के मामले सामने आने से जनता के विश्वास पर नकारात्मक प्रभाव पड़ता है, जिससे पूरी प्रणाली की अखंडता में विश्वास कम हो सकता है। हालांकि, इस विश्वास को फिर से बनाने का रास्ता इन मुद्दों को हल करने के लिए की गई त्वरित, निर्णायक और पारदर्शी कार्रवाई में शामिल है। भारत में जब भी ऐसे मामले सामने आए हैं तो सुप्रीम कोर्ट ने तत्काल और उचित उपाय किए हैं। सीजेआई की टिप्पणी इलाहाबाद उच्च न्यायालय के जस्टिस यशवंत वर्मा पर दिल्ली में उनके आधिकारिक आवास से बड़ी मात्रा में नकदी मिलने के बाद भ्रष्टाचार के आरोपों का सामना करने की पृष्ठभूमि में आई है। सीजेआई ने कहा कि प्रत्येक लोकतंत्र में न्यायपालिका को न केवल न्याय प्रदान करना चाहिए, बल्कि उसे एक ऐसी संस्था के रूप में भी देखा जाना चाहिए जो सत्ता के सामने सत्य को रखने का हकदार है। 

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अभिजीत गंगोपाध्याय ने जज की नौकरी छोड़ लड़ा था बीजेपी से चुनाव

ध्यान रहे कि कलकत्ता हाईकोर्ट के जज अभिजीत गंगोपाध्याय ने पहले सीएम ममता बनर्जी के खिलाफ मोर्चा खोला और जब सुप्रीम कोर्ट ने उन पर लगाम कसी तो वो बीजेपी में शामिल हो गए। नौकरी छोड़ने के बाद चुनाव लड़े और लोकसभा जा पहुंचे। ये मामला चर्चा का विषय रहा था। सेवानिवृत्ति के बाद कई जजों से सरकार से फायदे के पद हासिल किए। इससे साफ है कि जज की नौकरी करने के दौरान ही वो अपने लिए दूसरी नौकरी का जुगाड़ कर चुके थे। यानि उन्होंने सरकार को कुछ न कुछ फायदा तो पहुंचाया होगा। हालांकि सीजेआई खुद ऐलान कर चुके हैं कि वो सेवानिवृत्ति के बाद कोई सरकारी पद नहीं लेने जा रहे।

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