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न्याय कुछ लोगों का विशेषाधिकार नहीं, बल्कि हर नागरिक का अधिकार है: प्रधान न्यायाधीश गवई

सुप्रीम कोर्ट परिसर में कानूनी सहायता वितरण तंत्र को मजबूत करने पर आयोजित राष्ट्रीय सम्मेलन के उद्घाटन समारोह को संबोधित करते हुए न्यायमूर्ति गवई ने कहा कि कानूनी सेवा आंदोलन का असली पुरस्कार आंकड़ों या वार्षिक रिपोर्ट में नहीं है।

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Mukesh Pandit
CJI BR Gavai

Chief Justice Gavai। file

नई दिल्ली, वाईबीएन डेस्क। प्रधान न्यायाधीश बी आर गवई ने कहा कि न्याय कुछ लोगों का विशेषाधिकार नहीं बल्कि प्रत्येक नागरिक का अधिकार है। उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि न्यायाधीशों और वकीलों का यह कर्तव्य है कि वे सुनिश्चित करें कि न्याय का प्रकाश समाज के हाशिये पर खड़े अंतिम व्यक्ति तक पहुंचे। सुप्रीम कोर्ट परिसर में कानूनी सहायता वितरण तंत्र को मजबूत करने पर आयोजित राष्ट्रीय सम्मेलन के उद्घाटन समारोह को संबोधित करते हुए न्यायमूर्ति गवई ने कहा कि कानूनी सेवा आंदोलन का असली पुरस्कार आंकड़ों या वार्षिक रिपोर्ट में नहीं है, बल्कि उन नागरिकों की शांत कृतज्ञता और नए सिरे से विश्वास में है, जो कभी खुद को अनदेखा महसूस करते थे। 

न्याय कुछ लोगों का विशेषाधिकार नहीं

प्रधान न्यायाधीश ने कहा, न्याय कुछ लोगों का विशेषाधिकार नहीं है, बल्कि प्रत्येक नागरिक का अधिकार है और न्यायाधीशों, वकीलों तथा न्यायालय के अधिकारियों के रूप में हमारी भूमिका यह सुनिश्चित करने की है कि न्याय का प्रकाश समाज के हाशिये पर खड़े अंतिम व्यक्ति तक भी पहुंचे। न्यायमूर्ति गवई ने कहा कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की उपस्थिति कानूनी सहायता और सभी के लिए न्याय तक पहुंच को आगे बढ़ाने में विधायिका, कार्यपालिका और न्यायपालिका की साझा जिम्मेदारी की पुष्टि करती है। 

 सफलता का असली मापदंड संख्या में नहीं, विश्वास में

उन्होंने कहा कि सफलता का असली मापदंड संख्या में नहीं बल्कि आम आदमी के विश्वास में है, इस विश्वास में कि कोई न कोई, कहीं न कहीं, उनके साथ खड़ा होने को तैयार है। न्यायमूर्ति गवई ने कहा, और इसीलिए हमारा काम हमेशा इस भावना से निर्देशित होना चाहिए कि हम जीवन बदल रहे हैं। उन्होंने कहा, आपकी एक दिन की उपस्थिति, किसी गांव या जेल का दौरा, संकटग्रस्त व्यक्ति से आपकी बातचीत, किसी ऐसे व्यक्ति के लिए जीवन बदल देने वाली हो सकती है, जिसके लिए पहले कभी कोई मदद के लिए नहीं आया। 

जीवंत आंदोलन के रूप में देखें

नालसा (राष्ट्रीय विधिक सेवा प्राधिकरण) द्वारा अपनी 30वीं वर्षगांठ के उपलक्ष्य में आयोजित कार्यक्रम में मुख्य न्यायाधीश ने कहा कि कानूनी सहायता को प्रतिक्रियात्मक प्रणाली के रूप में नहीं, बल्कि एक जीवंत आंदोलन के रूप में देखा जाना चाहिए। मोदी इस कार्यक्रम में मुख्य अतिथि थे, जिसमें केंद्रीय कानून मंत्री अर्जुन राम मेघवाल, न्यायमूर्ति गवई के उत्तराधिकारी सूर्यकांत तथा उच्चतम न्यायालय और उच्च न्यायालयों के अन्य न्यायाधीश भी शामिल हुए।justice | Chief Justice Gavai | Supreme Court caste case | supreme court

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