नई दिल्ली, वाईबीएन डेस्क । भारत के विदेश सचिव विक्रम मिस्री और चीन के उप विदेश मंत्री सन वेइदोंग के बीच शुक्रवार 13 जून 2025 को महत्वपूर्ण मुलाकात हुई है, जिसमें कैलाश मानसरोवर यात्रा को फिर से शुरू करने पर सहमति बनी, जिससे श्रद्धालुओं में खुशी की लहर है। साथ ही, सीमा पार नदियों के जल-विज्ञान संबंधी डेटा के आदान-प्रदान पर भी सकारात्मक चर्चा हुई, जो दोनों देशों के संबंधों में सुधार का संकेत है।
भारत और चीन के बीच संबंधों को लेकर एक बड़ी और सकारात्मक खबर सामने आई है। बीते गुरुवार 12 जून 2025 को, भारत के विदेश सचिव विक्रम मिस्री ने चीन के उप विदेश मंत्री सन वेइदोंग से मुलाकात की। सन वेइदोंग 12 और 13 जून, 2025 को दो दिवसीय यात्रा पर भारत आए थे। इस उच्चस्तरीय बैठक में कई महत्वपूर्ण मुद्दों पर चर्चा हुई, जिनमें सबसे खास रहा कैलाश मानसरोवर यात्रा को फिर से शुरू करने का फैसला।
कैलाश मानसरोवर जाने वाले श्रद्धालुओं के लिए बड़ी खबर
इस घोषणा से उन लाखों श्रद्धालुओं में खुशी की लहर दौड़ गई है, जो लंबे समय से इस पवित्र यात्रा के दोबारा शुरू होने का इंतजार कर रहे थे। विदेश सचिव मिस्री ने इस साल की कैलाश मानसरोवर यात्रा को फिर से शुरू करने में चीनी पक्ष के सहयोग के लिए उनकी सराहना की। यह कदम ऐसे समय में आया है जब दोनों देशों के बीच सीमा विवादों के कारण संबंध तनावपूर्ण रहे हैं। ऐसे में, यह फैसला दोनों देशों के बीच विश्वास बहाली का एक मजबूत संकेत देता है।
कैलाश मानसरोवर यात्रा हिंदू धर्म में अत्यंत पवित्र मानी जाती है। यह यात्रा भगवान शिव के निवास स्थान, कैलाश पर्वत और पवित्र मानसरोवर झील के दर्शन के लिए की जाती है। कोविड-19 महामारी और उसके बाद सीमा पर तनाव के चलते यह यात्रा पिछले कुछ समय से बंद थी। अब जब इसे फिर से शुरू करने का निर्णय लिया गया है, तो यह आध्यात्मिक रूप से महत्वपूर्ण होने के साथ-साथ दोनों देशों के बीच संवाद और सहयोग के लिए भी एक महत्वपूर्ण मील का पत्थर साबित होगा।
जल-विज्ञान डेटा का आदान-प्रदान
कैलाश मानसरोवर यात्रा के अलावा, बैठक में एक और महत्वपूर्ण मुद्दा उठा, वह था सीमा पार नदियों के जल-विज्ञान संबंधी डेटा का आदान-प्रदान। विदेश सचिव मिस्री ने अप्रैल 2025 में हुई विशेषज्ञ-स्तरीय तंत्र की बैठक में हुई चर्चा का भी उल्लेख किया। इस बैठक में सीमा पार नदियों से संबंधित सहयोग और जल विज्ञान संबंधी डेटा के प्रावधान को फिर से शुरू करने पर बात हुई थी। मिस्री ने इस मामले में प्रगति की उम्मीद जताई है।
यह मुद्दा दोनों देशों के लिए महत्वपूर्ण है क्योंकि कई नदियां, जैसे ब्रह्मपुत्र, चीन से होकर भारत में आती हैं। इन नदियों के जल स्तर और प्रवाह से संबंधित डेटा का समय पर आदान-प्रदान बाढ़ प्रबंधन और जल संसाधनों के उचित उपयोग के लिए महत्वपूर्ण है। इस तरह के सहयोग से दोनों देशों के बीच भरोसा बढ़ेगा और क्षेत्रीय स्थिरता में मदद मिलेगी।
क्यों महत्वपूर्ण है यह मुलाकात?
यह मुलाकात ऐसे समय में हुई है जब भारत और चीन अपने संबंधों को एक नए आयाम देने का प्रयास कर रहे हैं। सीमा पर तनाव कम करने और व्यापारिक संबंधों को मजबूत करने के प्रयासों के बावजूद, कुछ चुनौतियां अभी भी बनी हुई हैं। ऐसे में, कैलाश मानसरोवर यात्रा और जल-विज्ञान डेटा के आदान-प्रदान जैसे मानवीय और तकनीकी सहयोग के मुद्दे संबंधों में नरमी लाने में सहायक हो सकते हैं।
यह दर्शाता है कि दोनों देश उन क्षेत्रों में सहयोग करने के इच्छुक हैं जहां उनके साझा हित हैं। कैलाश मानसरोवर यात्रा न केवल धार्मिक महत्व रखती है, बल्कि यह दोनों देशों के लोगों के बीच सांस्कृतिक आदान-प्रदान को भी बढ़ावा देती है। यह एक ऐसा मंच प्रदान करती है जहां लोग एक-दूसरे की संस्कृतियों और विश्वासों को बेहतर ढंग से समझ सकते हैं।
विदेश मंत्रालय के अनुसार, यह बैठक भविष्य में और अधिक संवाद और सहयोग का मार्ग प्रशस्त करती है। उम्मीद है कि इन सकारात्मक चर्चाओं से दोनों देशों के बीच लंबित मुद्दों को हल करने में मदद मिलेगी। यह देखना दिलचस्प होगा कि कैलाश मानसरोवर यात्रा के फिर से शुरू होने की वास्तविक प्रक्रिया कब शुरू होती है और सीमा पार नदियों के डेटा साझाकरण में कितनी प्रगति होती है।
यह स्पष्ट है कि भारत और चीन दोनों ही अपने संबंधों को बेहतर बनाने के लिए प्रतिबद्ध हैं। ऐसे सकारात्मक कदम क्षेत्रीय शांति और स्थिरता के लिए महत्वपूर्ण हैं। कैलाश मानसरोवर यात्रा का फिर से शुरू होना न केवल श्रद्धालुओं के लिए एक वरदान है, बल्कि यह दोनों देशों के बीच एक नए अध्याय की शुरुआत भी हो सकती है।
क्या आप इस फैसले से सहमत हैं? क्या आपको लगता है कि यह भारत-चीन संबंधों में सुधार लाएगा? कमेंट करें और अपनी राय दें!
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