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Kanwar Yatra 2025 : लौटते शिवभक्तों का जनसैलाब देख हर कोई हुआ मंत्रमुग्ध!

कांवड़ मेला 2025 अपने चरम पर है, जहां शिवभक्त हरिद्वार से गंगाजल लेकर लौट रहे हैं। सड़कों पर आस्था, समर्पण और दृढ़ संकल्प का अद्भुत सैलाब उमड़ा है। यह यात्रा भक्ति और भाईचारे का प्रतीक है, जो लाखों लोगों को जोड़ती है।

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Ajit Kumar Pandey
Kanwar Yatra 2025 : लौटते शिवभक्तों का जनसैलाब देख हर कोई हुआ मंत्रमुग्ध! | यंग भारत न्यूज

Kanwar Yatra 2025 : लौटते शिवभक्तों का जनसैलाब देख हर कोई हुआ मंत्रमुग्ध! | यंग भारत न्यूज Photograph: (Google)

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नई दिल्ली, वाईबीएन डेस्क । कांवड़ मेला 2024 अपने चरम पर है और हरिद्वार में हर की पौड़ी से गंगाजल लेकर लौट रहे शिवभक्तों का हुजूम सड़कों पर उमड़ पड़ा है। बोल बम के जयकारों से पूरा वातावरण गूंज रहा है। यह नजारा सिर्फ भक्ति का नहीं, बल्कि आस्था, समर्पण और दृढ़ संकल्प का प्रतीक है, जो हर कांवड़िए के चेहरे पर साफ झलक रहा है।

पिछले कुछ दिनों से हरिद्वार, उत्तराखंड की सड़कें केसरिया रंग में रंगी हुई हैं। लाखों की संख्या में कांवड़िए, जिनमें युवा, बुजुर्ग, महिलाएं और बच्चे सभी शामिल हैं, गंगा मैया का पवित्र जल लेकर अपने गंतव्यों की ओर बढ़ रहे हैं। यह सिर्फ एक यात्रा नहीं, बल्कि एक अनुष्ठान है, जो सदियों से चला आ रहा है और हर साल एक नई ऊर्जा के साथ जीवंत हो उठता है।

अद्भुत नज़ारा: आस्था और उत्साह का संगम

हर की पौड़ी पर भोर से ही भक्तों की भीड़ उमड़ पड़ती है। गंगा में डुबकी लगाकर, वे पवित्र जल अपनी कांवड़ों में भरते हैं और फिर एक लंबी, थका देने वाली यात्रा पर निकल पड़ते हैं। यह यात्रा सैकड़ों किलोमीटर की हो सकती है, जिसे वे पैदल ही तय करते हैं। क्या आपने कभी सोचा है कि इतनी कठिनाई के बावजूद, उनके चेहरे पर मुस्कान क्यों बनी रहती है? इसका जवाब है – अगाध श्रद्धा और भगवान शिव के प्रति अटूट प्रेम।

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सड़कें, जो आमतौर पर वाहनों से भरी रहती हैं, अब कांवड़ियों के लिए एक विशाल भक्ति पथ बन गई हैं। जगह-जगह स्वयंसेवी संस्थाएं और स्थानीय लोग उनके लिए पानी, भोजन और प्राथमिक उपचार की व्यवस्था कर रहे हैं। यह आपसी सहयोग और भाईचारे का भी एक अनुपम उदाहरण है। इस यात्रा में कोई अमीर-गरीब का भेद नहीं होता, सब बस शिव के रंग में रंगे होते हैं।

कांवड़ यात्रा 2025 : चुनौतियां और समर्पण

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हालांकि, यह यात्रा चुनौतियों से भरी है। भीषण गर्मी, धूल, और कभी-कभी बारिश भी कांवड़ियों की राह में बाधा बनती है। लेकिन उनका संकल्प इतना मजबूत होता है कि ये मुश्किलें भी उनके कदम रोक नहीं पातीं। कई कांवड़िए तो नंगे पैर यात्रा करते हैं, जो उनके समर्पण की पराकाष्ठा को दर्शाता है। यह सिर्फ शारीरिक शक्ति का प्रदर्शन नहीं, बल्कि मानसिक दृढ़ता का भी एक इम्तिहान है।

सुरक्षा व्यवस्था: प्रशासन ने कांवड़ यात्रा के दौरान सुरक्षा के पुख्ता इंतजाम किए हैं। भारी संख्या में पुलिस बल तैनात है और ड्रोन कैमरों से भी निगरानी की जा रही है ताकि किसी भी अप्रिय घटना से बचा जा सके।

स्वास्थ्य सेवाएं: जगह-जगह मेडिकल कैंप लगाए गए हैं ताकि जरूरत पड़ने पर कांवड़ियों को तुरंत चिकित्सा सहायता मिल सके।

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स्वच्छता: गंगा और आसपास के क्षेत्रों की स्वच्छता बनाए रखने पर भी विशेष ध्यान दिया जा रहा है।

डिजिटल युग में कांवड़ यात्रा

आज की कांवड़ यात्रा सिर्फ पारंपरिक नहीं रह गई है। सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स पर कांवड़िए अपनी यात्रा के अनुभव साझा कर रहे हैं, रील्स बना रहे हैं और एक-दूसरे को प्रेरित कर रहे हैं। कांवड़ मेला 2025 के ट्रेंडिंग हैशटैग्स से आप इस यात्रा की लोकप्रियता का अंदाजा लगा सकते हैं। मोबाइल फोन पर बजते भजन और जयकारे इस यात्रा को और भी जीवंत बना रहे हैं।

यह भी देखने लायक है कि युवा पीढ़ी भी इस यात्रा में बढ़-चढ़कर हिस्सा ले रही है। यह दर्शाता है कि हमारी संस्कृति और परंपराएं आज भी उतनी ही जीवंत हैं, जितनी पहले थीं। कांवड़ यात्रा सिर्फ एक धार्मिक आयोजन नहीं, बल्कि एक सामाजिक और सांस्कृतिक उत्सव भी बन गया है।

एक ऐसी यात्रा जो बदल देती है जीवन

कई कांवड़ियों का मानना है कि यह यात्रा सिर्फ गंगाजल लेकर लौटने की नहीं है, बल्कि यह उन्हें आत्मिक शांति और जीवन में नई ऊर्जा प्रदान करती है। रास्ते में मिलने वाले अनुभव, नए लोगों से मेलजोल, और प्रकृति के करीब रहने का अवसर उन्हें एक अलग ही एहसास देता है। यह एक ऐसी यात्रा है जो उनके जीवन को किसी न किसी रूप में बदल देती है।

जब ये कांवड़िए अपने गांव या शहर में वापस लौटते हैं और शिव मंदिरों में गंगाजल अर्पित करते हैं, तो उनके चेहरे पर एक अलग ही चमक होती है – एक ऐसी चमक जो सिर्फ ईश्वर के प्रति आस्था से आती है। यह कांवड़ मेला 2025 लाखों लोगों के लिए एक अविस्मरणीय अनुभव बन रहा है।

यह सिलसिला अभी कुछ और दिनों तक जारी रहेगा। हरिद्वार, उत्तराखंड और आसपास के क्षेत्र पूरी तरह से भक्ति और उल्लास में डूबे रहेंगे। कांवड़ यात्रा वाकई एक ऐसा अनुभव है, जिसे शब्दों में पूरी तरह बयां नहीं किया जा सकता। इसे सिर्फ महसूस किया जा सकता है। क्या आप भी इस अद्भुत यात्रा का हिस्सा बनना चाहेंगे?

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