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'कांवड़ यात्रा' बनाम 'उदयपुर फाइल्स' – सुप्रीम कोर्ट ने किसे चुना? जानिए पूरा फैसला

सुप्रीम कोर्ट ने कांवड़ यात्रा के दौरान 'उदयपुर फाइल्स' की रिलीज रोकने वाली याचिका खारिज कर दी है, क्योंकि दिल्ली हाईकोर्ट पहले ही फिल्म पर रोक लगा चुका है। यह फैसला धार्मिक भावनाओं के बीच संतुलन साधने की न्यायिक प्रक्रिया को दर्शाता है।

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Ajit Kumar Pandey
'कांवड़ियों यात्रा' बनाम 'उदयपुर फाइल्स' – सुप्रीम कोर्ट ने किसे चुना? जानिए पूरा फैसला | यंग भारत न्यूज

'कांवड़ियों यात्रा' बनाम 'उदयपुर फाइल्स' – सुप्रीम कोर्ट ने किसे चुना? जानिए पूरा फैसला | यंग भारत न्यूज Photograph: (Google)

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नई दिल्ली, वाईबीएन डेस्क ।सुप्रीम कोर्ट ने 'उदयपुर फाइल्स' फिल्म की रिलीज कांवड़ यात्रा के चलते रोकने वाली याचिका खारिज कर दी है। न्यायालय की अवकाश बेंच ने स्पष्ट किया कि दिल्ली हाईकोर्ट पहले ही फिल्म पर रोक लगा चुका है, इसलिए इस याचिका पर सुनवाई का कोई औचित्य नहीं। यह फैसला धार्मिक भावनाओं और कलात्मक स्वतंत्रता के बीच संतुलन की नई बहस छेड़ गया है।

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क्या धार्मिक भावनाओं का सम्मान कलात्मक अभिव्यक्ति से ऊपर है? यह सवाल तब फिर से चर्चा में आ गया जब सुप्रीम कोर्ट ने एक अहम याचिका पर सुनवाई करने से इनकार कर दिया। यह याचिका 'उदयपुर फाइल्स' नामक फिल्म की रिलीज को कांवड़ यात्रा समाप्त होने तक टालने की मांग कर रही थी। याचिकाकर्ताओं का तर्क था कि फिल्म में ऐसी सामग्री हो सकती है जिससे कांवड़ यात्रा के दौरान माहौल बिगड़ने की आशंका है।

न्यायालय की अवकाश पीठ ने इस मामले पर विचार करने से साफ इनकार कर दिया। पीठ ने कहा कि चूंकि दिल्ली उच्च न्यायालय पहले ही इस फिल्म की रिलीज पर रोक लगा चुका है, इसलिए इस नई याचिका पर सुनवाई का कोई औचित्य नहीं बनता। यह एक महत्वपूर्ण कानूनी नजीर है जो दिखाता है कि अदालतें पहले से लंबित मामलों में अनावश्यक हस्तक्षेप से बचती हैं।

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क्या था 'उदयपुर फाइल्स' और कांवड़ यात्रा का विवाद?

'उदयपुर फाइल्स' एक आगामी फिल्म है जिसके बारे में माना जा रहा है कि यह उदयपुर में हुई एक संवेदनशील घटना पर आधारित है। इस घटना ने देशभर में काफी आक्रोश पैदा किया था। वहीं, कांवड़ यात्रा हिंदू धर्म का एक महत्वपूर्ण वार्षिक आयोजन है, जिसमें लाखों शिव भक्त गंगाजल लेने के लिए लंबी पैदल यात्रा करते हैं। यह यात्रा बेहद शांतिपूर्ण और आस्था से परिपूर्ण मानी जाती है।

याचिकाकर्ताओं की चिंता यह थी कि यदि फिल्म को कांवड़ यात्रा के दौरान रिलीज किया जाता है, तो इसकी संवेदनशील सामग्री से उत्पन्न होने वाली किसी भी प्रतिक्रिया से यात्रा में खलल पड़ सकता है या सांप्रदायिक सौहार्द बिगड़ सकता है। यह एक जायज चिंता हो सकती थी, लेकिन सुप्रीम कोर्ट ने कानूनी प्रक्रिया को प्राथमिकता दी।

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दिल्ली हाईकोर्ट की रोक: क्यों और कब तक?

सुप्रीम कोर्ट के फैसले में दिल्ली हाईकोर्ट की भूमिका केंद्रीय है। दरअसल, दिल्ली हाईकोर्ट ने ही पहले 'उदयपुर फाइल्स' की रिलीज पर रोक लगाई थी। यह रोक फिल्म में मौजूद कुछ दृश्यों या संवादों को लेकर उत्पन्न हुए विवाद के कारण लगाई गई थी। आमतौर पर, ऐसी रोक तब लगाई जाती है जब अदालत को लगता है कि फिल्म से किसी व्यक्ति या समुदाय की मानहानि हो सकती है, या इससे सार्वजनिक व्यवस्था बिगड़ने का खतरा है।

दिल्ली हाईकोर्ट ने फिल्म के निर्माताओं को कुछ बदलाव करने या आपत्तिजनक सामग्री हटाने का निर्देश दिया होगा। जब तक ये शर्तें पूरी नहीं हो जातीं, फिल्म रिलीज नहीं की जा सकती। सुप्रीम कोर्ट ने इसी तथ्य को आधार बनाते हुए कांवड़ यात्रा से जुड़ी याचिका को खारिज किया।

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इस फैसले के बाद, 'उदयपुर फाइल्स' की रिलीज का भविष्य अब दिल्ली हाईकोर्ट के निर्णय और फिल्म निर्माताओं द्वारा किए जाने वाले संशोधनों पर निर्भर करेगा। कांवड़ यात्रा के सुरक्षित समापन और उदयपुर फाइल्स के कानूनी सफर पर देश की निगाहें बनी रहेंगी। यह घटनाक्रम भारतीय न्यायपालिका की कार्यप्रणाली और संवेदनशील मामलों से निपटने के उसके तरीके को दर्शाता है।

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