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खालिस्तानी extremism : UK में भारत विरोधी साजिशें? जानिए — विदेश सचिव विक्रम मिसरी के सख्त तेवर | यंग भारत न्यूज Photograph: (Google)
नई दिल्ली, वाईबीएन डेस्क । भारत ने एक बार फिर यूनाइटेड किंगडम (UK) में बढ़ते खालिस्तानी extremism पर गहरी चिंता जताई है। आज मंगलवार 22 जुलाई 2025 को विदेश सचिव विक्रम मिसरी ने साफ कहा है कि यह सिर्फ भारत के लिए ही नहीं, बल्कि UK की सामाजिक व्यवस्था के लिए भी खतरा है। जानिए कैसे यह समस्या दोनों देशों के संबंधों पर असर डाल रही है और इससे निपटना क्यों ज़रूरी है।
भारत और UK के बीच रिश्ते हमेशा से मधुर रहे हैं, लेकिन पिछले कुछ समय से खालिस्तानी extremism एक ऐसी गांठ बन गया है, जिसे सुलझाना बेहद ज़रूरी है। लंदन में भारतीय उच्चायोग पर हुए हमले और खालिस्तानी झंडों के इस्तेमाल जैसी घटनाओं ने भारत की चिंताओं को और बढ़ा दिया है। इन घटनाओं ने न केवल भारत के भीतर आक्रोश पैदा किया, बल्कि अंतरराष्ट्रीय मंच पर भी इस मुद्दे को गंभीरता से उठाने पर मजबूर किया।
UK में खालिस्तानी गतिविधियां: एक गंभीर चुनौती
यूनाइटेड किंगडम (UK) लंबे समय से उन तत्वों के लिए एक सुरक्षित पनाहगाह रहा है जो भारत के खिलाफ खालिस्तानी अलगाववाद को बढ़ावा देते हैं। विदेश सचिव विक्रम मिसरी के बयान से यह स्पष्ट है कि भारत इस मुद्दे को हल्के में नहीं ले रहा है। उन्होंने जोर देकर कहा कि खालिस्तानी extremism से जुड़े समूहों की उपस्थिति पर भारत ने लगातार UK का ध्यान आकर्षित किया है और ऐसा करना जारी रखेगा।
मिसरी ने यह भी कहा कि यह केवल भारत की चिंता नहीं है, बल्कि UK के लिए भी यह एक चिंता का विषय होना चाहिए। आखिर क्यों? क्योंकि इस तरह की गतिविधियां न केवल भारत को प्रभावित करती हैं, बल्कि UK के भीतर सामाजिक सौहार्द और व्यवस्था को भी बिगाड़ सकती हैं। कल्पना कीजिए, एक ऐसा माहौल जहां अलगाववादी ताकतें खुलेआम काम करें, क्या यह किसी भी देश के लिए स्वीकार्य होगा?
#WATCH | Delhi | On Khalistani extremism in the United Kingdom, Foreign Secretary Vikram Misri says, "On the issue of the presence of Khalistani extremists and bodies close to these people is again something that we have brought to the attention of our partners in the UK; we will… pic.twitter.com/lBLYpTYTjD
— ANI (@ANI) July 22, 2025
भारत की अपेक्षाएं और कड़े संदेश
भारत की ओर से यह बिल्कुल साफ संदेश है कि वह अपने सहयोगियों से अपेक्षा करता है कि वे ऐसे तत्वों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई करें जो extremism को बढ़ावा देते हैं। भारत ने विभिन्न अंतरराष्ट्रीय मंचों पर और द्विपक्षीय वार्ताओं में इस मुद्दे को प्रमुखता से उठाया है। भारत का मानना है कि extremism किसी भी रूप में स्वीकार्य नहीं है, खासकर तब जब वह किसी देश की संप्रभुता और अखंडता को चुनौती दे।
यह मुद्दा सिर्फ कूटनीतिक बातचीत तक सीमित नहीं है, बल्कि इसका सीधा असर दोनों देशों के नागरिकों पर पड़ता है। भारतीय समुदाय, जो UK में बड़ी संख्या में मौजूद है, इस तरह की गतिविधियों से असुरक्षित महसूस कर सकता है। शांति और सद्भाव बनाए रखना दोनों देशों की सामूहिक जिम्मेदारी है।
सामाजिक ताना-बाना और सुरक्षा के मायने
खालिस्तानी extremism का मुद्दा केवल राजनीतिक या कूटनीतिक नहीं है, बल्कि इसका सीधा संबंध सामाजिक ताना-बाना और सुरक्षा से भी है। जब अलगाववादी समूह किसी अन्य देश की धरती पर सक्रिय होते हैं, तो वे न केवल उस देश के कानूनों का उल्लंघन करते हैं, बल्कि स्थानीय समुदाय के बीच अशांति भी पैदा कर सकते हैं।
हिंसा का डर: ऐसी गतिविधियों से हिंसा और कट्टरता बढ़ने का खतरा रहता है।
सामाजिक विभाजन: यह समुदायों के बीच अविश्वास और विभाजन पैदा कर सकता है।
अंतर्राष्ट्रीय संबंध: यह देशों के बीच संबंधों को तनावपूर्ण बना सकता है।
यह समझना महत्वपूर्ण है कि खालिस्तानी extremism का उदय किसी भी देश के लिए शांति और व्यवस्था के लिए खतरा है।
भारत और UK दोनों को इस मुद्दे पर मिलकर काम करने की ज़रूरत है। UK को यह सुनिश्चित करना होगा कि उसकी धरती का इस्तेमाल भारत के खिलाफ अलगाववादी गतिविधियों के लिए न हो। वहीं, भारत भी इस मुद्दे पर अपनी चिंताओं को लगातार UK के सामने रखता रहेगा।
खुफिया जानकारी साझा करना: दोनों देशों को खालिस्तानी extremist गतिविधियों से संबंधित खुफिया जानकारी साझा करनी चाहिए।
कड़ी कानूनी कार्रवाई: UK को ऐसे तत्वों के खिलाफ कड़ी कानूनी कार्रवाई करनी चाहिए जो हिंसा और अलगाववाद को बढ़ावा देते हैं।
जन जागरूकता: दोनों देशों को युवाओं और समुदायों के बीच खालिस्तानी extremism के खतरों के बारे में जागरूकता फैलानी चाहिए।
यह एक संवेदनशील मुद्दा है जिसमें धैर्य और दृढ़ता की आवश्यकता होगी। भारत और UK के बीच मजबूत संबंध बनाए रखने के लिए इस समस्या का समाधान बेहद ज़रूरी है।
भारत ने यूनाइटेड किंगडम (UK) में खालिस्तानी extremism पर गंभीर चिंता जताई है। विदेश सचिव विक्रम मिसरी ने कहा कि यह सिर्फ भारत के लिए ही नहीं, बल्कि UK की सामाजिक व्यवस्था के लिए भी खतरा है। इस मुद्दे पर दोनों देशों के बीच सहयोग और कड़ी कार्रवाई बेहद ज़रूरी है। क्या UK इन चिंताओं को गंभीरता से लेगा और प्रभावी कदम उठाएगा?
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