नई दिल्ली, वाईबीएन नेटवर्क। जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में हाल ही में हुए आतंकी हमले ने पूरे देश के झकझोर कर रख दिया है। आतंकी हमले में 26 लोगों की जान चली गई है। इस घटना ने एक बार फिर कश्मीर घाटी में शांति और सुरक्षा पर सवाल खड़े कर दिए हैं। इस हमले के बाद पूरे देश में आक्रोश की लहर है। आम नागरिकों से लेकर राजनीतिक दल और सामाजिक संगठन तक सभी पाकिस्तान और आतंक फैलाने वाले संगठनों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की मांग कर रहे हैं। सवाल यह उठ रहा है कि आखिर आतंकवादी क्यों लोगों की जान के साथ खिलवाड़ करते हैं। एक रिपोर्ट के मुताबिक, आतंकियों को बाकायदा 'तनख्वाह', बोनस और इनाम जैसी सुविधाएं मिलती हैं। आइए जानते हैं कि आतंकियों को कितनी सैलरी मिलती है और यह फंडिंग कहां से और कैसे होती है।
आतंक की 'नौकरी'
कोलंबिया यूनिवर्सिटी के CIAR Journal में प्रकाशित एक रिसर्च के अनुसार, जम्मू-कश्मीर में सक्रिय आतंकियों को भर्ती के समय ही एकमुश्त राशि दी जाती है। विदेशी आतंकियों को जहां करीब 50,000 रुपये तक की साइनिंग अमाउंट मिलती है, वहीं स्थानीय आतंकियों को 25,000 रुपये दिए जाते हैं।
कितना मासिक वेतन मिलता है?
रिपोर्ट में यह भी बताया गया है कि स्थानीय आतंकियों को 8,000 से 10,000 रुपये प्रति माह और विदेशी आतंकियों को 10,000 से 12,000 रुपये मासिक वेतन के तौर पर मिलते हैं। इसके अलावा अपना कार्यकाल पूरा करने पर उन्हें 2 लाख से 2.5 लाख रुपये तक का बोनस भी दिया जाता है।
बड़े हमलों पर मिलता है ‘स्पेशल इनाम’
रिपोर्ट के मुताबिक, यदि कोई आतंकी 'स्पेशल ऑपरेशन' में शामिल होता है- जैसे बम धमाका या बड़ा हमला, तो उसे 1 लाख से 2 लाख रुपये तक का इनाम भी मिलता है। यह इनाम हमले की गंभीरता और सफलता पर निर्भर करता है।
सुप्रीम लीडर की मोटी कमाई
रिसर्च में यह भी खुलासा हुआ है कि आतंकी संगठनों के टॉप कमांडर्स या 'सुप्रीम लीडर्स' को हर महीने 50,000 रुपये तक की मोटी सैलरी मिलती है। इतना ही नहीं, संगठन उनकी फैमिली का भी पूरा ख्याल रखता है।
परिवारों को मिलती है आर्थिक सहायता
यदि कोई आतंकी मारा जाता है, तो उसके परिवार को लाखों रुपये की एकमुश्त सहायता दी जाती है। इसके अलावा हर महीने एक निश्चित राशि और त्योहारों- खासकर ईद के मौके पर अलग से मदद दी जाती है।
ट्रेनिंग और हथियारों पर भारी खर्च
एक आतंकी की ट्रेनिंग पर लगभग 25,000 रुपये का खर्च आता है, जबकि हथियार, कपड़े और दूसरे उपकरणों पर 30,000 रुपये तक का खर्च किया जाता है।
कहां से आता है फंड?
रिपोर्ट्स के मुताबिक, इन आतंकियों और उनके संगठनों की फंडिंग कई स्रोतों से होती है- जिनमें विदेशी एजेंसियां, हवाला नेटवर्क, और एनआरआई फंडिंग प्रमुख हैं। ये पैसे कई बार धर्मार्थ संस्थानों की आड़ में भी भेजे जाते हैं।