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जानें कौन हैं Nepal के बालेन्द्र शाह, जिनकी तरफ देख रही है पूरी Gen-Z? | यंग भारत न्यूज Photograph: (X.com)
नई दिल्ली, वाईबीएन डेस्क ।नेपाल में मची राजनीतिक उथल-पुथल के बीच काठमांडू के युवा मेयर बालेन्द्र शाह लोगों की उम्मीद बन गए हैं। देश में भ्रष्टाचार और सोशल मीडिया बैन के खिलाफ हुए हिंसक प्रदर्शनों के बाद प्रधानमंत्री केपी शर्मा ओली ने इस्तीफा दे दिया है। ऐसे में जेन-ज़ी पीढ़ी का मानना है कि बालेन्द्र शाह ही देश को मौजूदा संकट से बाहर निकाल सकते हैं।
सोमवार को भ्रष्टाचार और डिजिटल स्वतंत्रता पर प्रतिबंधों के खिलाफ काठमांडू में हिंसक विरोध प्रदर्शन हुए। पुलिस और प्रदर्शनकारियों के बीच हुई झड़पों में 19 लोगों की मौत हो गई, जबकि सैकड़ों घायल हो गए।
इस दौरान हजारों की संख्या में जेन-ज़ी सड़कों पर उतर आई थी। इस आंदोलन को बालेन्द्र शाह ने अपना समर्थन दिया, जिसके बाद सोशल मीडिया पर लोग उनसे राष्ट्रीय राजनीति में आने की गुजारिश करने लगे। वे उनसे मेयर पद से इस्तीफा देकर अपनी नई पार्टी बनाने की मांग कर रहे हैं।
कौन हैं बालेन्द्र शाह, जिन्होंने रातों-रात बटोरी शोहरत?
बालेन्द्र शाह को उनके समर्थक 'बालेन' के नाम से भी जानते हैं। वह एक रैपर, सिविल इंजीनियर और काठमांडू के 15वें मेयर भी हैं। साल 2022 के मेयर चुनाव में उन्होंने एक निर्दलीय उम्मीदवार के रूप में जीत हासिल कर इतिहास रचा। तब से ही वह लगातार सुर्खियों में बने हुए हैं।
जनता के नेता : बालेन्द्र शाह की लोकप्रियता का सबसे बड़ा कारण उनका काम करने का तरीका है। मेयर बनने के बाद उन्होंने सड़कों की सफाई टैक्स चोरी रोकने और भ्रष्टाचार पर नकेल कसने जैसे कई बड़े काम किए हैं। उनकी जीरो टॉलरेंस नीति ने उन्हें जनता के बीच एक ईमानदार और भरोसेमंद नेता की पहचान दी है।
वैश्विक पहचान: बालेन्द्र शाह के काम को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भी सराहना मिली है। 2023 में टाइम मैगजीन ने उन्हें दुनिया के 100 उभरते नेताओं की सूची में शामिल किया था।
जेन-ज़ी के चहेते क्यों हैं बालेन्द्र शाह?
बालेन्द्र शाह एक युवा नेता हैं, जो युवाओं की भाषा और भावनाओं को समझते हैं। जब उन्होंने जेन-ज़ी के नेतृत्व में चल रहे आंदोलन का समर्थन किया, तो उन्होंने यह भी कहा कि अब वह इस आंदोलन में शामिल होने के लिए बहुत बूढ़े हो चुके हैं, लेकिन उनका पूरा समर्थन प्रदर्शनकारियों के साथ है। उनके इस बयान ने युवाओं के साथ उनका भावनात्मक रिश्ता और मजबूत कर दिया। वे बालेन्द्र शाह को नेपाल की राजनीति में एक नई और ईमानदार लहर के तौर पर देख रहे हैं।
क्या भारत के खिलाफ हैं बालेन्द्र शाह?
बालेन्द्र शाह अपने मुखर बयानों के लिए भी जाने जाते हैं। उन्होंने नेपाल की संप्रभुता और राष्ट्रीय पहचान से जुड़े मुद्दों पर कई बार कड़ा रुख अपनाया है। 'आदिपुरुष' विवाद: भारतीय फिल्म 'आदिपुरुष' में सीता माता को भारत की बेटी बताने वाले डायलॉग का उन्होंने कड़ा विरोध किया था। उन्होंने फिल्म को काठमांडू के सिनेमाघरों में चलने से मना कर दिया, जब तक कि वह डायलॉग हटा नहीं दिया जाता।
इस दौरान उन्होंने भारत के खिलाफ बयान भी दिए थे, जिसके बाद उनका नाम सुर्खियों में आया।
नेपाल की संप्रभुता: बालेन्द्र शाह ने नेपाल की सरकार और अदालत को भारत का गुलाम तक कह दिया था। वे अखंड नेपाल की वकालत करते हैं और मानते हैं कि देश की संप्रभुता से कोई समझौता नहीं हो सकता।
नेपाल में राजनीतिक अस्थिरता के बीच सभी की निगाहें बालेन्द्र शाह पर टिकी हैं। क्या वे वास्तव में मेयर पद से इस्तीफा देकर राष्ट्रीय नेतृत्व संभालेंगे?
क्या वह जेन-ज़ी की उम्मीदों पर खरे उतरेंगे? यह देखना दिलचस्प होगा कि बालेन्द्र शाह का अगला कदम क्या होता है और क्या वह नेपाल की राजनीति को एक नई दिशा दे पाते हैं।
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