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लद्दाख में गरजा मिसाइल ‘आकाश प्राइम’ : आखिर क्यों कांप गए चीन-पाकिस्तान? | यंग भारत न्यूज Photograph: (Google)
नई दिल्ली, वाईबीएन डेस्क । भारत के लद्दाख सेक्टर में बुधवार, 16 जुलाई 2025 को आकाश प्राइम मिसाइल के सफल परीक्षण किए गए। भारतीय सेना की आर्मी एयर डिफेंस द्वारा किए गए परीक्षणों में मिसाइलों ने दो सीधे निशाने साधे। यह मिसाइल रक्षा अनुसंधान और विकास संगठन (DRDO) द्वारा विकसित की गई है। यह जानकारी एक न्यूज एजेंसी ने सोशल मीडिया साइट एक्स पर डीआरडीओ के हवाले से दी है।
बता दें कि लद्दाख की दुर्गम पहाड़ियों में, जहां हर सांस पर चुनौती है, भारतीय सेना ने बुधवार 16 जुलाई को आकाश प्राइम मिसाइल के दो सफल परीक्षण कर अपनी हवाई रक्षा क्षमता का लोहा मनवाया है। DRDO द्वारा विकसित इस मिसाइल ने अपने लक्ष्य पर अचूक वार किया, जिससे देश की सुरक्षा और मजबूत हुई है। यह न सिर्फ भारत की सैन्य ताकत में इजाफा है, बल्कि भविष्य की चुनौतियों के लिए एक स्पष्ट संदेश भी।
आकाश प्राइम: क्यों है इतनी खास?
यह सिर्फ एक मिसाइल नहीं, बल्कि भारत की आत्मनिर्भरता और तकनीकी कौशल का प्रतीक है। आकाश प्राइम अपने पूर्ववर्ती संस्करणों से कहीं अधिक उन्नत है। इसमें सुधारित मार्गदर्शन प्रणाली और बेहतर प्रदर्शन क्षमताएं हैं, जो इसे किसी भी हवाई खतरे का सामना करने में सक्षम बनाती हैं। लद्दाख जैसे रणनीतिक रूप से महत्वपूर्ण क्षेत्र में इसका सफल परीक्षण, चीन और पाकिस्तान जैसे पड़ोसी देशों के लिए एक कड़ा संदेश है।
अचूक निशाना: परीक्षण के दौरान मिसाइलों ने दो बार सीधे लक्ष्य को भेदा, जो इसकी सटीकता का प्रमाण है।
सुधारित तकनीक: आकाश प्राइम में उन्नत रडार और एवियोनिक्स लगे हैं, जो इसे कठिन मौसम और इलेक्ट्रॉनिक जैमिंग के बावजूद प्रभावी बनाते हैं।
आत्मनिर्भर भारत: यह मिसाइल पूरी तरह से भारत में डिजाइन और विकसित की गई है, जो 'आत्मनिर्भर भारत' अभियान की सफलता को दर्शाती है।
#WATCH | Successful trials of the Akash Prime missile carried out in the Ladakh sector on Wednesday, July 16. The missiles scored two direct hits in the trials conducted by the Indian Army’s Army Air Defence. The missile has been developed by the Defence Research and Development… pic.twitter.com/sTSNKVkIjS
— ANI (@ANI) July 17, 2025
लद्दाख में परीक्षण: रणनीतिक महत्व
लद्दाख क्षेत्र अपनी जटिल भौगोलिक परिस्थितियों और सीमा विवादों के कारण हमेशा सुर्खियों में रहा है। ऐसे संवेदनशील क्षेत्र में आकाश प्राइम का परीक्षण करना कई मायनों में महत्वपूर्ण है:
चीन को संदेश: पूर्वी लद्दाख में चीन के साथ चल रहे सीमा विवाद के मद्देनजर, यह परीक्षण भारतीय सेना की मजबूत हवाई रक्षा क्षमताओं को प्रदर्शित करता है।
पाकिस्तानी घुसपैठ पर लगाम: पाकिस्तान से होने वाली किसी भी हवाई घुसपैठ को रोकने में यह मिसाइल प्रणाली अत्यधिक प्रभावी साबित होगी।
ऊंचाई वाले क्षेत्रों में दक्षता: यह दर्शाता है कि यह मिसाइल ऊंचाई वाले, ठंडे और दुर्गम इलाकों में भी प्रभावी ढंग से काम कर सकती है।
रक्षा विशेषज्ञों का मानना है कि यह परीक्षण भारत की क्षेत्रीय सुरक्षा रणनीति का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है। यह सुनिश्चित करता है कि भारतीय हवाई क्षेत्र किसी भी प्रतिकूल हवाई गतिविधि से सुरक्षित रहे।
DRDO का कमाल: कैसे बनी ये मिसाइल?
रक्षा अनुसंधान और विकास संगठन (DRDO) ने आकाश प्राइम मिसाइल के विकास में वर्षों का समय और अथक प्रयास लगाया है। यह DRDO के वैज्ञानिकों और इंजीनियरों की कड़ी मेहनत का नतीजा है, जिन्होंने भारत को रक्षा प्रौद्योगिकी में आत्मनिर्भर बनाने का लक्ष्य रखा है। इस मिसाइल का विकास 'मेक इन इंडिया' पहल को भी बढ़ावा देता है, जिससे देश में ही उन्नत रक्षा प्रणालियों का उत्पादन संभव हो पाता है। यह मिसाइल मौजूदा आकाश मिसाइल प्रणाली का एक उन्नत संस्करण है, जिसे भारतीय सेना और भारतीय वायु सेना दोनों द्वारा इस्तेमाल किया जाता है।
भविष्य की रक्षा चुनौतियां और भारत की तैयारी
आज की दुनिया में हवाई खतरे लगातार बढ़ रहे हैं, चाहे वह ड्रोन हमला हो या दुश्मन के लड़ाकू विमानों की घुसपैठ। ऐसे में एक मजबूत और प्रभावी हवाई रक्षा प्रणाली किसी भी देश के लिए अनिवार्य है। आकाश प्राइम जैसी मिसाइलें भारत को इन उभरती चुनौतियों का सामना करने के लिए तैयार करती हैं। यह भारतीय सेना को दुश्मन के विमानों, हेलीकॉप्टरों और यहां तक कि क्रूज मिसाइलों का पता लगाने और उन्हें नष्ट करने की क्षमता प्रदान करती है।
यह परीक्षण सिर्फ एक सैन्य अभ्यास नहीं, बल्कि देश की सुरक्षा के प्रति भारत की प्रतिबद्धता का एक प्रमाण है। यह दर्शाता है कि भारत अपनी सीमाओं की रक्षा के लिए किसी भी हद तक जाने को तैयार है।
इन सफल परीक्षणों के बाद, आकाश प्राइम मिसाइल प्रणाली को जल्द ही भारतीय सेना की हवाई रक्षा इकाइयों में शामिल किया जाएगा। इससे न केवल हमारी सेना की मारक क्षमता बढ़ेगी, बल्कि यह देश की समग्र सुरक्षा को भी मजबूत करेगा। भारत अब उन चुनिंदा देशों में शामिल हो गया है जिनके पास ऐसी उन्नत हवाई रक्षा प्रणाली मौजूद है। यह वाकई हर भारतीय के लिए गर्व का क्षण है।
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