जम्मू-कश्मीर, वाईबीएन नेटवर्क | जम्मू-कश्मीर के पुंछ जिले के फकीर दरा गांव में स्थित एक सरकारी मिडल स्कूल आज सिर्फ शिक्षा का केंद्र नहीं, बल्कि भय और असुरक्षा का केंद्र बन गया है। नियंत्रण रेखा से महज़ कुछ किलोमीटर की दूरी पर बसे इस स्कूल के छात्र और शिक्षक रोज़ गोलियों और शेलिंग के साए में जीने को मजबूर हैं। हाल ही में पहलगाम में हुए आतंकी हमले के बाद एलओसी पर तनाव और भी बढ़ गया है, जिससे यहां के हालात और खौफनाक हो गए हैं। स्कूल प्रशासन और बच्चों की एक ही मांग है – "हमें बंकर चाहिए, ताकि जान बचा सकें।"
विद्यार्थियों और शिक्षकों में भय का माहौल
पहलगाम हमले के बाद सरकारी मिडल स्कूल के विद्यार्थियों और शिक्षकों में भय का माहौल है, खासकर पहलगाम आतंकी हमले के बाद नियंत्रण रेखा पर बढ़ते तनाव के कारण। यह स्कूल भारत का सबसे आखिरी स्कूल है और पाकिस्तान की सीमा के बेहद करीब है। जिसके कारण पाकिस्तानी सेना की गोलाबारी का स्कूल अक्सर निशाना बनता है। इस स्थिति को देखते हुए, स्कूल के बच्चों और शिक्षकों का की मांग है कि स्कूल में बंकर बनाए या उसे सुरक्षित स्थान पर स्थानांतरित करें।
मांग है कि हमें बंकर दिया जाए
एक छात्र ने स्कूल में पाकिस्तान की ओर से की गई फायरिंग के निशान दिखाते हुए कहा "यह फायरिंग 2019 में हुई थी, यहां बहुत खतरा मंडराया हुआ था। यहां हमारे पास छिपने की कोई जगह भी नहीं है। स्कूल की बहुत बुरी हालत हो चुकी है। हमारी मांग है कि हमें बंकर दिया जाए, ताकि हम सुरक्षित रह सकें..."
हमारे स्कूल को निशाना बनाया जाता है...
एक शिक्षक ने कहा, "यह भारत का सबसे आखिरी स्कूल है। यहां पास में ट्रेड सेंटर है, यहां से थोड़ी ही दूर पाकिस्तान है। जब भी हालात खराब होते हैं, शैलिंग होती है तो हमारे स्कूल को निशाना बनाया जाता है। हमारी खिड़की और दरवाज़े शैलिंग से क्षतिग्रस्त हो चुके हैं। उस समय स्कूल बंद होने के कारण कोई जनहानि नहीं हुई। शैलिंग के दौरान सुरक्षित रहने के लिए हमारे पास कोई जगह नहीं है। अगर हमें कोई बंकर दिया जाए तो हम बच्चों को और खुद को सुरक्षित रख सकेंगे।"
(इनपुट- आईएएएस )