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केजरीवाल की तरह LG से तंग हुई जम्मू कश्मीर की उमर सरकार

उपमुख्यमंत्री सुरिंदर चौधरी ने दोहरे सत्ता केंद्रों का मुद्दा उठाते हुए कहा कि निर्वाचित सरकार लोगों के लिए काम नहीं कर पा रही है। उन्होंने कहा कि हमें दुख है कि हम सत्ता संभालने के आठ महीने बाद भी अपने युवाओं को रोजगार नहीं दे पा रहे हैं।

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Shailendra Gautam
Jammu and Kashmir Lieutenant Governor Manoj Sinha

नई दिल्ली, वाईबीएन डेस्कः अरविंद केजरीवाल अब दिल्ली के सीएम नहीं हैं लेकिन जब वो थे तब दिल्ली के उप राज्यपाल से दुखी थे। सरकार जो भी फैसला लेती थी एलजी उसे अटका देते थे। केजरीवाल इसके खिलाफ सुप्रीम कोर्ट तक गए पर कारगर हल नहीं निकल सका। केजरीवाल की तरह से ही अब दिल्ली की तरह के केंद्रशासित प्रदेश जम्मू कश्मीर की सरकार भी उप राज्यपाल से दुखी हो गई है। उमर के डिप्टी खुलकर नाराजगी जता रहे हैं।

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उमर के डिप्टी ने साधा एलजी पर निशाना

जम्मू-कश्मीर के उपमुख्यमंत्री और नेशनल कॉन्फ्रेंस के नेता सुरिंदर चौधरी ने रविवार को केंद्र शासित प्रदेश में दोहरे सत्ता केंद्रों का मुद्दा उठाते हुए कहा कि निर्वाचित सरकार लोगों के लिए काम नहीं कर पा रही है। उन्होंने मनोज सिन्हा से पूछा कि वह एलजी और सरकार की शक्तियों को परिभाषित करने वाले ट्रांजेक्शन ऑफ बिजनेस रूल्स से संबंधित फाइल क्यों नहीं लौटा रहे हैं। चौधरी ने कहा कि हमें दुख है कि हम सत्ता संभालने के आठ महीने बाद भी अपने युवाओं को रोजगार नहीं दे पा रहे हैं। चौधरी जम्मू से सीमावर्ती राजौरी जिले के सुंदरबनी के रास्ते सुदूर दद्दल कलासरा गांव के लिए एक बस को हरी झंडी दिखा रहे थे।

चौधरी बोले- एलजी सरकार को काम नहीं करने दे रहे

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उन्होंने कहा कि उमर अब्दुल्ला के नेतृत्व वाली जम्मू-कश्मीर सरकार देश की अन्य निर्वाचित सरकारों की तरह युवाओं और बुजुर्गों के कल्याण के लिए बड़े फैसले लेना चाहती थी, लेकिन दोहरे सत्ता केंद्रों के कारण ऐसा करने में नाकाम है। डिप्टी सीएम की ये टिप्पणी राजनीतिक महत्व रखती है क्योंकि उन्हें उमर अब्दुल्ला की तुलना में इस मुद्दे पर ज्यादा मुखर रुख अपनाते देखा गया है। पिछले अक्टूबर में कार्यभार संभालने के बाद उमर  एलजी के साथ अंडरस्टैंडिंग डेवलप करने पर जोर दे रहे हैं। चौधरी ने 2024 के जम्मू-कश्मीर विधानसभा चुनावों में तत्कालीन राज्य भाजपा प्रमुख रविंदर राणा को हराया था। चौधरी के तीखे तेवर दावा करते हैं कि जम्मू कश्मीरी के लोग 5 अगस्त 2019 को उठाए गए केंद्र के उस कदम से खुश नहीं हैं, जब उसने अनुच्छेद 370 को निरस्त कर दिया और जम्मू-कश्मीर राज्य को केंद्र शासित प्रदेश में बदल दिया।

बेमतलब नहीं है उप राज्यपाल का विरोध

सूत्रों ने बताया कि चौधरी के इस कदम का उद्देश्य कश्मीर के साथ-साथ जम्मू के पीर पंजाल और चिनाब घाटी के कुछ हिस्सों में एनसी को अपना वोट आधार बरकरार रखने में मदद करना है, जबकि पार्टी को जम्मू, सांबा और कठुआ के भाजपा के गढ़ों में भाजपा से मुकाबला करने के लिए तैयार करना है। उपमुख्यमंत्री ने विधानसभा में भी इन मुद्दों को उठाया है। भाजपा विधायकों के विरोध के बीच चौधरी ने ही सदन में एक प्रस्ताव पेश किया, जिसमें केंद्र से अनुच्छेद 370 की बहाली पर जम्मू-कश्मीर के निर्वाचित प्रतिनिधियों के साथ बातचीत करने का आग्रह किया गया।

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जम्मू-कश्मीर के 48 अधिकारियों के तबादले से शुरू हुई थी तनातनी

हाल ही में उमर सरकार ने आरोप लगाया था कि जम्मू-कश्मीर प्रशासनिक सेवा के 48 अधिकारियों को स्थानांतरित करने के एलजी के कदम ने जम्मू-कश्मीर पुनर्गठन अधिनियम के प्रावधानों का उल्लंघन किया है। अप्रैल में चौधरी के घर से ही सत्तारूढ़ विधायकों ने एलजी के हस्तक्षेप के खिलाफ आखिरी बार दिल्ली को चेतावनी दी थी।
भाजपा उपाध्यक्ष और जम्मू उत्तर के विधायक शाम लाल शर्मा ने कहा कि यह मुद्दा एलजी और सरकार से संबंधित है। दोनों को अपने-अपने क्षेत्रों का ध्यान रखना चाहिए और आपस में बात करके किसी भी भ्रम को दूर करना चाहिए। हालांकि सिन्हा ने कहा था कि केवल पुलिस उनके अधीन आती है जबकि बाकी प्रशासनिक विभाग निर्वाचित सरकार के दायरे में आते हैं।

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