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मदरसों में फर्जीवाड़े का 'ईमान'दार खेल : कागज़ों पर थे छात्र, खातों में बहता रहा सरकारी पैसा — 57 लाख का महाघोटाला बेनकाब! | यंग भारत न्यूज Photograph: (Google)
नई दिल्ली, वाईबीएन डेस्क । मध्य प्रदेश में एक बड़े वजीफा घोटाले का पर्दाफाश हुआ है, जहां 40 से अधिक मदरसों ने 972 छात्रों के नाम पर फर्जी तरीके से ₹57 लाख से ज़्यादा की वजीफा राशि हड़प ली। यह चौंकाने वाला खुलासा केंद्र सरकार की जांच में हुआ है, जिसके बाद क्राइम ब्रांच ने FIR दर्ज कर ली है।
मदरसों की यह कहानी सिर्फ आंकड़ों की नहीं है बल्कि उन छात्रों के भविष्य से खिलवाड़ की है, जिनके नाम पर पैसों की हेराफेरी की गई। शिकायत के अनुसार, पिछड़ा वर्ग एवं अल्पसंख्यक कल्याण मंत्रालय के एडिशनल डायरेक्टर ने भोपाल क्राइम ब्रांच को बताया कि केंद्रीय जांच में कुछ मदरसों और संस्थाओं ने 11वीं और 12वीं के छात्रों के नाम पर फर्जी वजीफा निकाला गया है। यह वो छात्र हैं जो वास्तव में इन मदरसों में पढ़ते ही नहीं थे, या फिर मदरसों के पास उन्हें पढ़ाने की मान्यता ही नहीं थी।
40+ मदरसे शामिल: जांच में अब तक 40 से ज़्यादा मदरसे और संस्थाएं इस बड़े वजीफा घोटाला में लिप्त पाई गई हैं।
972 छात्रों का भविष्य दांव पर: इन मदरसों ने करीब 972 छात्रों के नाम का इस्तेमाल कर फर्जी तरीके से वजीफा निकाला।
₹57 लाख से अधिक की हेराफेरी: शुरुआती जांच में ₹57 लाख से ज़्यादा की वजीफा राशि का फर्जीवाड़ा सामने आया है। यह आंकड़ा अभी और बढ़ सकता है।
मान्यता का अभाव: कई मदरसों के पास 11वीं और 12वीं के छात्रों को पढ़ाने की मान्यता ही नहीं थी, फिर भी वे वजीफे के लिए आवेदन करते रहे।
#WATCH भोपाल, मध्य प्रदेश: क्राइम ब्रांच भोपाल के एडिशनल DCP शैलेंद्र सिंह चौहान ने कहा, "क्राइम ब्रांच द्वारा एक FIR दर्ज की गई है। (राज्य) पिछड़ा वर्ग एवं अल्पसंख्यक कल्याण मंत्रालय के एडिशनल डायरेक्टर ने शिकायत दर्ज कराई थी, जिसमें कहा गया है कि केंद्र सरकार की ओर से कराई गई… pic.twitter.com/qXCl2w4mR1
— ANI_HindiNews (@AHindinews) July 3, 2025
जांच एजेंसियों की पड़ताल
क्राइम ब्रांच भोपाल के एडिशनल DCP शैलेंद्र सिंह चौहान ने इस मामले की गंभीरता को समझते हुए कहा है कि FIR दर्ज कर ली गई है और जांच के लिए सभी संबंधित दस्तावेज मांगे गए हैं।
जांच में यह भी सामने आया है कि कई छात्रों के नाम और पते गलत थे, या फिर वे उन शिक्षण संस्थानों में कभी पढ़े ही नहीं थे। यह एक संगठित गिरोह की ओर इशारा करता है जो सुनियोजित तरीके से इस वजीफा चोरी को अंजाम दे रहा था।
फर्जी मदरसे, असली गुनाह
यह सिर्फ पैसों के गबन का मामला नहीं है, बल्कि उन वास्तविक ज़रूरतमंद छात्रों के हक पर डाका डालने जैसा है, जिन्हें वास्तव में इस छात्रवृत्ति की ज़रूरत थी। यह घोटाला शिक्षा व्यवस्था में व्याप्त भ्रष्टाचार को उजागर करता है। जब सरकारी योजनाएं ऐसे फर्जीवाड़े का शिकार होती हैं, तो आम लोगों का उन पर से भरोसा उठने लगता है।
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