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मजिस्ट्रेट लिखवा रही थीं फैसला, स्टेनोग्राफर ने की ऐसी हरकत कि सकते में आ गए सारे

दिल्ली की एक कोर्ट में अजीबोगरीब वाकया सामना आया। एक मामले में मजिस्ट्रेट कोर्ट के स्टेनोग्राफर से फैसला लिखवा रही थीं कि उसने ऐसी हरकत कर दी जिससे कामकाज बीच में रोकना पड़ गया।

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Shailendra Gautam
COURT

कड़कड़डूमा कोर्ट में हुआ ये वाकया

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बार एंड बेंच की खबर के मुताबिक दिल्ली की कड़कड़डूमा कोर्ट की जूडिशियल मजिस्ट्रेट नेहा गर्ग की कोर्ट में ये वाकया हुआ। मजिस्ट्रेट राज्य बनाम सुखदेव उर्फ सुक्खा के मामले की सुनवाई कर रही थीं।

सड़क हादसे के मामले में सुना रही थीं फैसला 

साल 2012 में एक ट्रक चालक ने अपनी गाड़ी को तेज गति से चलाते हुए दोपहिया वाहन को टक्कर मार दी थी। इस घटना में मोटरसाइकिल पर सवार एक व्यक्ति की मौत हो गई थी। अदालत ने पुलिस की तरफ से पेश किए गए मामले में दोनों पक्षों की दलीलें सुनीं। लंबी जिरह और साक्ष्यों पर गौर करने के बाद अदालत ने ट्रक चालक को दोषी माना था। कोर्ट ने ट्रक चालक को भारतीय दंड संहिता (आईपीसी) की धारा 279 (सार्वजनिक रास्ते पर तेज गति से वाहन चलाने) और धारा 304 ए (लापरवाही से मौत का कारण बनने) के तहत दोषी ठहराया था।

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खुदकुशी की धमकी देकर कोर्ट से चला गया स्टेनोग्राफर

29 अप्रैल को मजिस्ट्रेट अपना फैसला लिखवा रही थीं। लेकिन अदालत को उस समय कामकाज बंद करना पड़ गया जब स्टेनोग्राफर ने आत्महत्या करने की धमकी दी और अदालत कक्ष से बाहर चला गया। मजिस्ट्रेट उसकी हरकत से स्तब्ध थीं। 
मजिस्ट्रेट नेहा गर्ग ने कोर्ट की कार्यवाही को मुल्तवी करते हुए फैसले में लिखा कि फैसला नहीं सुनाया जा सका क्योंकि अदालत के नियमित स्टेनोग्राफर ने अदालत को यह धमकी देकर छोड़ दिया कि वह आत्महत्या कर लेगा। इसलिए निर्णय सुनाने के लिए पुनः सूचीबद्ध किया जाए। 
हालांकि यह स्पष्ट नहीं हो सका है कि स्टेनोग्राफर ने यह हरकत किस वजह से की। न ही ये पता चला है कि वो काम पर लौटा कि नहीं। लेकिन जिस तरह की हरकत उसने की उससे महिला मजिस्ट्रेट स्तब्ध रह गई थीं। उस दिन फिर कोर्ट में कामकाज नहीं हुआ। यहां तक कि उस मामले का फैसला भी बीते दिन लिखाया जा सका। 

उधर मजिस्ट्रेट ने सारे मामले की रिपोर्ट सेशन जज को भेज दी है। स्टेनोग्राफर पर अनुशासनहीनता का आरोप लगाया गया है। उसके बारे में फैसला सेशन जज को लेना है।

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