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Maharashtra News : जबरन धर्मांतरण पर बवाल, जानिए — कैसे रुकेगा 'धर्म-परिवर्तन' का खेल? यंग भारत न्यूज
नई दिल्ली, वाईबीएन डेस्क ।महाराष्ट्र के सांगली में गर्भवती ऋतुजा सुकुमार राजगे की आत्महत्या के बाद जबरन धर्मांतरण को लेकर जबरदस्त आक्रोश फैल गया है। ससुराल वालों पर ईसाई धर्म अपनाने का दबाव बनाने का आरोप है, जिसके बाद ऋतुजा ने अपनी जान दे दी। यह घटना राज्यभर में धर्मांतरण विरोधी कानून लागू करने की मांग को और तेज कर रही है, जिससे धार्मिक स्वतंत्रता और समाज में बढ़ती अशांति पर गंभीर सवाल खड़े हो गए हैं।
महाराष्ट्र एक बार फिर धार्मिक स्वतंत्रता और आस्था के नाजुक संतुलन को लेकर गरमाया हुआ है। सांगली जिले में हुई एक हृदय विदारक घटना ने पूरे राज्य को झकझोर कर रख दिया है। एक गर्भवती महिला, ऋतुजा सुकुमार राजगे की कथित आत्महत्या ने जबरन धर्मांतरण के काले अध्याय को फिर से खोल दिया है। आरोप है कि ऋतुजा को उसके ससुराल वाले ईसाई धर्म अपनाने के लिए लगातार परेशान कर रहे थे, और इस मानसिक प्रताड़ना के चलते उसने मौत को गले लगा लिया। इस दुखद घटना के बाद महाराष्ट्र में जगह-जगह विरोध प्रदर्शन हो रहे हैं और धर्मांतरण विरोधी कानून को तुरंत लागू करने की मांग तेज हो गई है।
ऐसे चल रहा है धर्मांतरण का महाखेल
यह सिर्फ एक ऋतुजा की कहानी नहीं है, बल्कि उन अनगिनत लोगों की दर्दनाक गाथा है जो कथित रूप से धर्म परिवर्तन के दबाव का सामना कर रहे हैं। इस घटना ने एक बार फिर समाज में गहरे बैठे उन सवालों को सामने ला दिया है कि क्या धर्म का चुनाव व्यक्तिगत स्वतंत्रता है या यह दबाव और प्रलोभन का खेल बन गया है? सांगली में जैसे ही यह खबर फैली, लोगों का गुस्सा फूट पड़ा। सड़कों पर उतरकर लोगों ने धर्मांतरण के खिलाफ आवाज बुलंद की और दोषियों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की मांग की।
धर्मांतरण का मुद्दा भारत में हमेशा से संवेदनशील रहा है। कई राज्यों में पहले से ही धर्मांतरण विरोधी कानून लागू हैं, जिनका उद्देश्य जबरन या धोखे से धर्म परिवर्तन को रोकना है। हालांकि, महाराष्ट्र में अभी तक ऐसा कोई मजबूत कानून नहीं है, और यही कारण है कि इस घटना के बाद इसकी मांग और तेज हो गई है। लोगों का मानना है कि ऐसे कानून की अनुपस्थिति उन तत्वों को बढ़ावा देती है जो कमजोर और भोले-भाले लोगों को निशाना बनाते हैं।
Protests Erupt in Maharashtra Over Forced Conversion, demand immediate implementation of an Anti-Conversion Law!!
— Megh Updates 🚨™ (@MeghUpdates) June 17, 2025
Sangli sees public outcry after Rituja Sukumar Rajge, a pregnant woman, died by suicide—allegedly harassed by in-laws for refusing to convert to Christianity. pic.twitter.com/0HUHRrG3zF
धर्मांतरण पूरे देश में चिंता का विषय
सवाल यह उठता है कि आखिर क्यों लोग धर्म परिवर्तन के लिए मजबूर किए जाते हैं? क्या इसके पीछे आर्थिक प्रलोभन होता है, या सामाजिक दबाव, या फिर किसी खास विचारधारा का प्रभाव? ऋतुजा का मामला बताता है कि कैसे पारिवारिक रिश्ते भी इस दबाव का शिकार हो सकते हैं। अगर ससुराल वाले ही किसी को धर्म बदलने के लिए प्रताड़ित करने लगें, तो यह वाकई चिंता का विषय है। इस तरह की घटनाएं न केवल व्यक्ति की धार्मिक स्वतंत्रता का हनन करती हैं, बल्कि सामाजिक ताने-बाने को भी कमजोर करती हैं।
यह मामला केवल कानून व्यवस्था का नहीं है, बल्कि समाज के नैतिक मूल्यों और मानवीय संवेदनाओं का भी है। हमें एक ऐसे समाज का निर्माण करना होगा जहां हर व्यक्ति अपनी आस्था का पालन बिना किसी डर या दबाव के कर सके। सरकारों को इस मुद्दे पर गंभीरता से विचार करना होगा और ऐसे प्रभावी कदम उठाने होंगे जिससे भविष्य में ऐसी कोई और ऋतुजा धर्मांतरण के दबाव में अपनी जान न दे।
धर्मांतरण विरोधी कानून की मांग केवल एक वर्ग विशेष की मांग नहीं है, बल्कि यह धार्मिक सद्भाव और सामाजिक शांति के लिए जरूरी है। यह कानून किसी धर्म के खिलाफ नहीं है, बल्कि यह उन तत्वों के खिलाफ है जो छल, कपट या बलपूर्वक धर्म परिवर्तन कराते हैं। हमें यह समझना होगा कि भारत जैसे बहुधार्मिक देश में धार्मिक सहिष्णुता और आपसी सम्मान ही शांति और प्रगति की कुंजी है।
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