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प्रज्ञा सिंह ठाकुर Photograph: (Google)
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नई दिल्ली, आईएएनएस। 17 साल के इंतजार के बाद, राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनआईए) की विशेष अदालत गुरुवार को 2008 के मालेगांव बम विस्फोट मामले में अपना फैसला सुनाएगी। अदालत ने अभियोजन और बचाव पक्ष की ओर से सुनवाई और अंतिम दलीलें पूरी करने के बाद 19 अप्रैल को अपना फैसला सुरक्षित रख लिया था। कोर्ट ने कहा कि अप्रैल में सुनवाई पूरी हो चुकी है, लेकिन मामले में एक लाख से अधिक पन्नों के सबूत और दस्तावेज होने के कारण, फैसला सुनाने से पहले सभी रिकॉर्ड की जांच के लिए अतिरिक्त समय चाहिए था।
सभी आरोपियों कोर्ट में पेश होने का आदेश
सभी आरोपियों को फैसले के दिन कोर्ट में मौजूद रहने का आदेश दिया गया है।कोर्ट ने यह भी चेतावनी दी है कि जो आरोपी उस दिन अनुपस्थित रहेगा, उसके खिलाफ कार्रवाई की जाएगी। इस मामले में सात लोग, जिनमें लेफ्टिनेंट कर्नल प्रसाद पुरोहित, पूर्व भाजपा सांसद प्रज्ञा सिंह ठाकुर और रिटायर्ड मेजर रमेश उपाध्याय शामिल हैं, जिन पर मुकदमा चल रहा है। इन सभी लोगों पर गैरकानूनी गतिविधि (रोकथाम) अधिनियम (यूएपीए) और भारतीय दंड संहिता (आईपीसी) की विभिन्न धाराओं के तहत आरोप लगाए गए हैं। सभी आरोपी वर्तमान में जमानत पर हैं।
विस्फोट में छह लोगों की गई थी जान
29 सितंबर 2008 को महाराष्ट्र के मालेगांव में रमजान के पवित्र महीने में और नवरात्रि से ठीक पहले एक विस्फोट हुआ। इस धमाके में छह लोगों की जान चली गई और 100 से ज्यादा लोग घायल हो गए। एक दशक तक चले मुकदमे के दौरान अभियोजन पक्ष ने 323 गवाहों से पूछताछ की, जिनमें से 34 अपने बयान से पलट गए। शुरुआत में, इस मामले की जांच महाराष्ट्र आतंकवाद निरोधी दस्ते (एटीएस) ने की थी। हालांकि, 2011 में एनआईए को जांच सौंप दी गई।
एनआईए ने कहा था प्रज्ञा ठाकुर के खिलाफ सबूत नहीं
2016 में एनआईए ने अपर्याप्त सबूतों का हवाला देते हुए प्रज्ञा सिंह ठाकुर और कई अन्य आरोपियों को बरी करते हुए एक आरोप पत्र दाखिल किया। घटना के लगभग 17 साल बाद आए इस फैसले का बेसब्री से इंतजार किया जा रहा है और इसके महत्वपूर्ण कानूनी और राजनीतिक परिणाम होने की संभावना है।