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"मानेकशॉ सेंटर में चला रहस्यपूर्ण मिशन : क्या India बना रहा है 'अदृश्य ड्रोन आर्मी'?"

भारत ने UAV-C-UAS के स्वदेशीकरण पर ऐतिहासिक कार्यशाला की, जो रक्षा आयात घटाएगी। 'ऑपरेशन सिंदूर' की सीख से प्रेरित यह कदम 'आत्मनिर्भर भारत' को मजबूत करेगा, रणनीतिक स्वायत्तता बढ़ाएगा और रक्षा में नया अध्याय लिखेगा।

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Ajit Kumar Pandey

"मानेकशॉ सेंटर में चला रहस्यपूर्ण मिशन : क्या India बना रहा है 'अदृश्य ड्रोन आर्मी'?" | यंग भारत न्यूज Photograph: (Google)

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नई दिल्ली, वाईबीएन डेस्क ।भारत की रक्षा क्षमता को नई उड़ान मिलने वाली है, जी हां! आज मंगलवार 15 जुलाई 2025 को नई दिल्ली में आयोजित एक महत्वपूर्ण कार्यशाला में, भारत ने UAV और C-UAS के स्वदेशीकरण की दिशा में एक बड़ा कदम उठाया। यह पहल न केवल आयात पर निर्भरता कम करेगी बल्कि देश को भविष्य की चुनौतियों से निपटने के लिए भी तैयार करेगी।

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आपको बता दें कि भारतीय रक्षा मंत्रालय ने आज एक ऐतिहासिक पहल की, जिसमें हेडक्वार्टर इंटीग्रेटेड डिफेंस स्टाफ (HQ IDS) ने सेंटर फॉर जॉइंट वॉरफेयर स्टडीज (CENJOWS) के साथ मिलकर मानव रहित हवाई वाहन (UAV) और काउंटर-अनमैन्ड एरियल सिस्टम (C-UAS) के महत्वपूर्ण घटकों के स्वदेशीकरण पर एक कार्यशाला और प्रदर्शनी का आयोजन किया। यह आयोजन नई दिल्ली के मानेकशॉ सेंटर में हुआ और इसका मुख्य उद्देश्य विदेशों से आयात होने वाले इन महत्वपूर्ण घटकों पर भारत की निर्भरता को कम करना है। यह कदम भारत को रक्षा क्षेत्र में आत्मनिर्भर बनाने की दिशा में एक मील का पत्थर साबित होगा।

हाल ही में भारत-पाकिस्तान के बीच हुई शत्रुता, विशेष रूप से 'ऑपरेशन सिंदूर' के दौरान UAV और C-UAS की रणनीतिक महत्ता और परिचालन प्रभावशीलता स्पष्ट रूप से सामने आई थी। इन प्रणालियों ने वास्तविक समय के अभियानों में स्थितिजन्य जागरूकता बढ़ाने, सटीक लक्ष्यीकरण में मदद करने और मानवीय जोखिमों को कम करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। इन सफलताओं ने भारत की स्वदेशी रक्षा प्रौद्योगिकियों की परिपक्वता, विश्वसनीयता और मूल्य को सिद्ध किया।

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क्यों है यह पहल इतनी महत्वपूर्ण?

निर्भरता कम होगी: वर्तमान में, भारत UAV और C-UAS के कई महत्वपूर्ण घटकों के लिए विदेशी OEM (ओरिजिनल इक्विपमेंट मैन्युफैक्चरर) पर निर्भर है। यह निर्भरता न केवल सुरक्षा जोखिम पैदा करती है बल्कि देश की वित्तीय संसाधनों पर भी बोझ डालती है। स्वदेशीकरण से इन चुनौतियों से निपटा जा सकेगा।

रणनीतिक स्वायत्तता: रक्षा क्षेत्र में आत्मनिर्भरता किसी भी राष्ट्र की रणनीतिक स्वायत्तता के लिए महत्वपूर्ण है। यह सुनिश्चित करता है कि भारत अपनी सुरक्षा जरूरतों को पूरा करने के लिए किसी बाहरी देश पर निर्भर न रहे।

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रोजगार सृजन और आर्थिक विकास: स्वदेशी उत्पादन से देश में रोजगार के नए अवसर पैदा होंगे और रक्षा विनिर्माण क्षेत्र में निवेश को बढ़ावा मिलेगा, जिससे आर्थिक विकास को गति मिलेगी।

तकनीकी उन्नति: स्वदेशीकरण अनुसंधान और विकास को बढ़ावा देगा, जिससे भारत अत्याधुनिक रक्षा प्रौद्योगिकियों को विकसित करने में सक्षम होगा।

कार्यशाला में शामिल रक्षा विशेषज्ञों और नीति निर्माताओं ने इस पहल को 'आत्मनिर्भर भारत' की दिशा में एक निर्णायक कदम बताया। उनका मानना है कि यह केवल प्रौद्योगिकी का मामला नहीं है, बल्कि देश की संप्रभुता और सुरक्षा का भी मामला है। बुलेटिन में बताया गया है कि कार्यशाला का उद्देश्य सभी प्रासंगिक हितधारकों, जिसमें रक्षा विशेषज्ञ, नीति निर्माता, सैन्य नेता, वैज्ञानिक और निजी उद्योग शामिल हैं, को एक साथ लाना है ताकि स्वदेशीकरण के लिए एक रणनीतिक रोडमैप विकसित किया जा सके। यह एक ऐसा मंच होगा जहां नवाचार, ज्ञान साझाकरण और मानव रहित प्रणालियों में दीर्घकालिक क्षमता निर्माण पर ध्यान केंद्रित किया जाएगा।

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चीफ ऑफ डिफेंस स्टाफ (CDS) जनरल अनिल चौहान ने इस अवसर पर मुख्य अतिथि के रूप में शिरकत की। चीफ ऑफ इंटीग्रेटेड डिफेंस स्टाफ एयर मार्शल आशुतोष दीक्षित समापन भाषण देंगे, जिसमें चर्चाओं का सारांश और अपेक्षित परिणाम प्रस्तुत किए जाएंगे। यह कार्यक्रम UAV और C-UAS प्रणालियों और उनके महत्वपूर्ण उप-घटकों के स्वदेशीकरण पर केंद्रित एक रणनीतिक नीति दस्तावेज का आधार बनेगा।

यह पहल प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के 'आत्मनिर्भर भारत' के दृष्टिकोण के अनुरूप है, जिसका उद्देश्य राष्ट्रीय सुरक्षा को मजबूत करना, रक्षा तैयारियों को बढ़ाना और भारत को वैश्विक स्तर पर एक विनिर्माण केंद्र के रूप में बदलना है। कार्यशाला में स्वदेशी प्रौद्योगिकियों, अभिनव विचारों और घरेलू उत्पादन में मौजूदा चुनौतियों पर चर्चा की जाएगी।

भारत अब सिर्फ रक्षा उपकरण खरीदने वाला देश नहीं रहेगा, बल्कि उन्हें बनाने वाला देश भी बनेगा। यह न केवल हमारी सेना को मजबूत करेगा, बल्कि वैश्विक मंच पर हमारी स्थिति को भी सुदृढ़ करेगा। यह कदम रक्षा क्षेत्र में भारत को एक नया मुकाम देगा और भविष्य की सुरक्षा चुनौतियों से निपटने के लिए हमें और भी सक्षम बनाएगा।

UAV और C-UAS: आधुनिक युद्ध के हीरो

UAV (ड्रोन): ये मानव रहित विमान निगरानी, टोही, लक्ष्यीकरण और यहां तक कि हमले के अभियानों में भी उपयोग किए जाते हैं। इनकी क्षमताएं मानवीय जोखिम के बिना दुर्गम क्षेत्रों तक पहुंचने और डेटा एकत्र करने में मदद करती हैं।

C-UAS (काउंटर-ड्रोन सिस्टम): ये सिस्टम दुर्भावनापूर्ण ड्रोन खतरों का पता लगाने, ट्रैक करने और उन्हें बेअसर करने के लिए डिज़ाइन किए गए हैं। बढ़ती ड्रोन प्रौद्योगिकी के साथ, C-UAS किसी भी देश की सुरक्षा के लिए महत्वपूर्ण हो गए हैं।

इन प्रणालियों का स्वदेशीकरण भारत को रक्षा प्रौद्योगिकी में एक वैश्विक नेता के रूप में स्थापित करेगा, जिससे न केवल हमारी सुरक्षा मजबूत होगी, बल्कि वैश्विक स्तर पर भी हमारी पहचान बनेगी। यह एक ऐसा भविष्य है जहां भारत अपने पैरों पर खड़ा होगा, अपनी सुरक्षा खुद सुनिश्चित करेगा, और दुनिया को अपनी ताकत दिखाएगा।

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