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"974 कारतूस, AK सीरीज राइफलें, हथगोले… क्या मणिपुर को दहलाने की थी साजिश? जानिए - पूरी सच्चाई" | यंग भारत न्यूज Photograph: (X.com)
नई दिल्ली, वाईबीएन डेस्क ।मणिपुर में बीते कुछ महीनों से जारी अशांति ने पूरे देश को चिंतित कर रखा है। लेकिन अब एक बड़ी खबर सामने आई है, जिसने शांति की उम्मीदें जगा दी हैं। मणिपुर पुलिस, केंद्रीय सशस्त्र पुलिस बल (CAPF) और असम राइफल्स ने एक संयुक्त अभियान में 86 हथियार और 974 गोला-बारूद बरामद किए हैं। इस भारी-भरकम जखीरे में एके सीरीज राइफलें, इंसास राइफलें, पिस्तौल, एंटी-रायट गन और हथगोले जैसे खतरनाक हथियार शामिल हैं। यह बरामदगी इंफाल पूर्व, इंफाल पश्चिम, थोबल, काकचिंग और बिष्णुपुर जिलों में हुई है।
यह कार्रवाई ऐसे समय में हुई है जब मणिपुर में शांति और व्यवस्था बनाए रखने के लिए लगातार प्रयास किए जा रहे हैं। इन हथियारों की बरामदगी से साफ है कि राज्य में हिंसा फैलाने के लिए कुछ तत्व लगातार सक्रिय हैं। लेकिन सुरक्षाबलों की यह कार्रवाई उन तत्वों को एक कड़ा संदेश है।
डीजीपी कार्यालय, मणिपुर के अनुसार, यह ऑपरेशन सुनियोजित और खुफिया जानकारी पर आधारित था। सुरक्षा एजेंसियों को इन जिलों में अवैध हथियारों की मौजूदगी की पुख्ता जानकारी मिली थी। इसके बाद पुलिस, CAPF और असम राइफल्स ने मिलकर एक व्यापक अभियान चलाया। यह अभियान रात के अंधेरे और दुर्गम इलाकों में भी चलाया गया, जहां हथियार छिपाए गए थे।
सुरक्षाबलों की इस संयुक्त कार्रवाई ने कई संभावित बड़ी घटनाओं को टाल दिया है। सोचिए, अगर ये हथियार हिंसाग्रस्त इलाकों में पहुंच जाते, तो कितनी तबाही मच सकती थी? यह दिखाता है कि हमारे सुरक्षाबल कितनी मुस्तैदी से काम कर रहे हैं।
IPS डॉ. सागर प्रीत हुड्डा को चंडीगढ़ का DGP नियुक्त किया गया। pic.twitter.com/Ki2r0t6uLz
— ANI_HindiNews (@AHindinews) July 15, 2025
बरामद हथियारों का जखीरा: क्या-क्या मिला?
इस अभियान में बरामद हथियारों की सूची काफी लंबी है, जो चिंता बढ़ाने वाली है लेकिन साथ ही यह भी बताती है कि सुरक्षाबलों ने कितनी बड़ी सफलता हासिल की है।
एके सीरीज राइफलें: ये बेहद घातक और स्वचालित हथियार हैं, जिनका इस्तेमाल अक्सर बड़े हमलों में होता है।
इंसास राइफलें: भारतीय सेना द्वारा इस्तेमाल की जाने वाली ये राइफलें भी काफी शक्तिशाली होती हैं।
पिस्तौल और रिवाल्वर: ये छोटे हथियार अक्सर व्यक्तिगत हमलों और झड़पों में इस्तेमाल होते हैं।
एंटी-रायट गन और SBBL: भीड़ को नियंत्रित करने या तितर-बितर करने में इनका इस्तेमाल होता है।
हथगोले और इम्प्रोवाइज्ड एक्सप्लोसिव डिवाइस (IED): ये विस्फोटक उपकरण बड़ी तबाही मचाने में सक्षम हैं।
इन हथियारों की संख्या और प्रकार दोनों ही यह दर्शाते हैं कि उपद्रवी तत्व राज्य में बड़े पैमाने पर हिंसा फैलाने की फिराक में थे। इस बरामदगी ने उन मंसूबों पर पानी फेर दिया है।
शांति बहाली की राह में मील का पत्थर?
मणिपुर में जातीय संघर्ष और हिंसा के कारण हजारों लोग विस्थापित हुए हैं और कई जानें जा चुकी हैं। ऐसे में हथियारों की यह बरामदगी शांति बहाली की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है। जब तक समाज में अवैध हथियार मौजूद रहेंगे, तब तक शांति की उम्मीद कम ही रहेगी।
यह अभियान दिखाता है कि सरकार और सुरक्षा एजेंसियां मणिपुर में सामान्य स्थिति बहाल करने के लिए प्रतिबद्ध हैं। हालांकि, चुनौती अभी खत्म नहीं हुई है। अभी भी कई क्षेत्रों में हथियारों की मौजूदगी की आशंका है और इन पर लगाम कसना बेहद ज़रूरी है।
आगे क्या? चुनौतियां और समाधान
यह बरामदगी सिर्फ एक शुरुआत है। मणिपुर में स्थायी शांति के लिए अभी भी कई कदम उठाने बाकी हैं:
लगातार अभियान: अवैध हथियारों की बरामदगी के लिए ऐसे अभियान जारी रखने होंगे।
सामुदायिक भागीदारी: स्थानीय समुदायों को सुरक्षा एजेंसियों के साथ सहयोग करने के लिए प्रोत्साहित करना होगा। हथियारों की जानकारी देने वालों को सुरक्षा और प्रोत्साहन देना एक अच्छा कदम हो सकता है।
पुनर्वास और मुआवजा: हिंसा प्रभावित लोगों के पुनर्वास और उन्हें उचित मुआवजा दिलाना भी शांति प्रक्रिया का अभिन्न अंग है।
कानून का शासन: अपराधियों को कड़ी सजा दिलाना और कानून का शासन स्थापित करना बेहद जरूरी है।
मणिपुर में शांति बहाल करने के लिए सभी हितधारकों को एक साथ आना होगा। सरकार, सुरक्षाबल, स्थानीय प्रशासन और आम जनता, सभी को मिलकर काम करना होगा। यह बरामदगी एक उम्मीद की किरण है, जो दिखाती है कि अगर दृढ़ इच्छाशक्ति हो, तो शांति स्थापित करना संभव है।
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