/young-bharat-news/media/media_files/2025/07/30/isro-nasa-mission-nisar-2025-07-30-18-13-40.jpg)
मिशन ISRO—NASA : धरती के दिल की धड़कन समझने वाला नया जासूस, NISAR की सफल लॉन्चिंग | यंग भारत न्यूज Photograph: (Google)
नई दिल्ली, वाईबीएन डेस्क । क्या आप उस भूकंप के बारे में चिंतित हैं जो अचानक आ सकता है? क्या आप उस सुनामी से डरते हैं जो चेतावनी दिए बिना तटों से टकरा सकती है? अगर हां, तो आपके लिए एक अच्छी खबर है! NISAR उपग्रह, इसरो (भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन) और नासा (नेशनल एरोनॉटिक्स एंड स्पेस एडमिनिस्ट्रेशन) का एक संयुक्त प्रयास, पृथ्वी पर हमारी नज़र रखने के तरीके में क्रांति लाने के लिए तैयार है। यह अत्याधुनिक उपग्रह, जो अब अपनी कक्षा में है, हमें भूकंप, सुनामी और ज्वालामुखी विस्फोट जैसी प्राकृतिक आपदाओं की पहले से कहीं ज़्यादा सटीक और समय पर चेतावनी देने में मदद करेगा।
धरती एक जीवंत ग्रह है, जिसके भीतर लगातार हलचल मची रहती है। प्लेट विवर्तनिकी, ज्वालामुखी गतिविधि और अन्य भूवैज्ञानिक प्रक्रियाएं अक्सर विनाशकारी घटनाओं को जन्म देती हैं। अब तक, इन घटनाओं की भविष्यवाणी करना या उनके प्रभावों को कम करना एक चुनौती रहा है। लेकिन NISAR उपग्रह के साथ, यह सब बदलने वाला है। यह उपग्रह पृथ्वी की सतह में होने वाले सूक्ष्म परिवर्तनों को भी ट्रैक कर सकता है, जिससे हमें आने वाले खतरों के बारे में महत्वपूर्ण सुराग मिल सकते हैं।
कैसे काम करेगा NISAR?
NISAR का पूरा नाम नासा-इसरो सिंथेटिक अपर्चर रडार (NASA-ISRO Synthetic Aperture Radar) है। यह एक उन्नत रडार इमेजिंग उपग्रह है जो पृथ्वी की सतह पर होने वाले छोटे-से-छोटे बदलावों को भी मापने में सक्षम है। इसमें दो तरह के रडार सिस्टम लगे हैं - एल-बैंड (L-band) और एस-बैंड (S-band) रडार। ये रडार बादलों या किसी भी मौसम की स्थिति में भी पृथ्वी की सतह की तस्वीरें ले सकते हैं।
ज्वालामुखी निगरानी: यह उपग्रह ज्वालामुखियों की सतह में होने वाले मामूली उभार या धंसाव का पता लगाएगा, जो विस्फोट का संकेत हो सकता है।
भूकंपीय गतिविधि: पृथ्वी की टेक्टोनिक प्लेटों की गति और उनमें होने वाले तनाव का अध्ययन कर, NISAR भूकंप की संभावना वाले क्षेत्रों की पहचान करने में मदद करेगा।
सुनामी चेतावनी: समुद्र तल में होने वाले परिवर्तनों को ट्रैक करके, यह सुनामी की प्रारंभिक चेतावनी प्रणाली को मजबूत करेगा।
आप सोच रहे होंगे कि यह सिर्फ एक उपग्रह कैसे इतनी बड़ी जानकारी दे सकता है? दरअसल, यह अपनी उच्च-रिज़ॉल्यूशन वाली छवियों और डेटा को इतनी तेज़ी से संसाधित करता है कि वैज्ञानिक वास्तविक समय के पास होने वाली घटनाओं को समझ सकते हैं।
पर्यावरण निगरानी में NISAR का योगदान
NISAR सिर्फ आपदाओं की चेतावनी देने तक सीमित नहीं है। यह जलवायु परिवर्तन के प्रभावों को समझने में भी एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगा।
ग्लेशियर पिघलना: यह ध्रुवीय बर्फ की चादरों और ग्लेशियरों के पिघलने की दर को मापेगा, जिससे समुद्र के स्तर में वृद्धि के अनुमानों को बेहतर बनाने में मदद मिलेगी।
वनस्पति परिवर्तन: यह वनों की कटाई, कृषि भूमि में परिवर्तन और अन्य भूमि-उपयोग परिवर्तनों की निगरानी करेगा, जो कार्बन चक्र को प्रभावित करते हैं।
जल संसाधन: यह उपग्रह नदियों, झीलों और भूजल स्तरों में परिवर्तन का भी पता लगाएगा, जो जल प्रबंधन के लिए महत्वपूर्ण है।
यह समझना ज़रूरी है कि हम अपने पर्यावरण के साथ कैसे बातचीत कर रहे हैं, और NISAR हमें वह समझ प्रदान करेगा। यह उपग्रह हमें एक बेहतर, अधिक सूचित भविष्य की ओर ले जाएगा।
भारत और अमेरिका की साझेदारी का मील का पत्थर
NISAR मिशन भारत और संयुक्त राज्य अमेरिका के बीच वैज्ञानिक सहयोग का एक उत्कृष्ट उदाहरण है। यह दर्शाता है कि कैसे दो देश एक साथ मिलकर मानवता के सामने आने वाली सबसे बड़ी चुनौतियों का सामना कर सकते हैं। यह साझेदारी न केवल वैज्ञानिक प्रगति को बढ़ावा दे रही है, बल्कि दोनों देशों के बीच संबंधों को भी मजबूत कर रही है।
NISAR का सफल प्रक्षेपण केवल एक वैज्ञानिक उपलब्धि नहीं है, बल्कि यह मानव जाति के लिए एक बड़ी छलांग है। यह हमें भविष्य में प्राकृतिक आपदाओं से लड़ने और जलवायु परिवर्तन के प्रभावों को बेहतर ढंग से समझने के लिए तैयार करता है। यह उपग्रह हमें पृथ्वी के रहस्यमयी अंदरूनी हिस्सों को समझने में मदद करेगा और हमें प्रकृति की अप्रत्याशित शक्तियों के खिलाफ एक शक्तिशाली हथियार देगा।
NISAR satellite | Joint ISRO-NASA satellite mission