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MLA थप्पड़ कांड : CM फडणवीस बोले - 'जनप्रतिनिधि ऐसे कैसे कर सकते हैं?' | यंग भारत न्यूज Photograph: (Google)
नई दिल्ली, वाईबीएन डेस्क ।महाराष्ट्र की राजनीति में एक बार फिर बवाल मच गया है। विधायक संजय गायकवाड़ पर कैंटीन कर्मचारी को थप्पड़ मारने का आरोप है, जिस पर मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने कड़ी नाराजगी जताई है। महाराष्ट्र विधान परिषद में मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने एक ऐसी घटना पर गहरी चिंता व्यक्त की, जिसने महाराष्ट्र की राजनीति में भूचाल ला दिया है।
मामला एक विधायक द्वारा कैंटीन कर्मचारी को कथित तौर पर थप्पड़ मारने का है। विधायक पर आरोप है कि बासी खाना परोसे जाने को लेकर हुए विवाद के बाद उन्होंने यह कदम उठाया। मुख्यमंत्री ने साफ शब्दों में कहा कि किसी भी जन प्रतिनिधि या किसी अन्य व्यक्ति को कैंटीन में भोजन को लेकर कोई आपत्ति है, तो उसे संबंधित व्यक्ति के संज्ञान में लाना चाहिए और औपचारिक रूप से शिकायत दर्ज कर उचित कार्रवाई करनी चाहिए। यह घटना सिर्फ एक थप्पड़ नहीं, बल्कि जनप्रतिनिधियों के व्यवहार और जनता के प्रति उनकी जवाबदेही पर कई सवाल खड़े करती है।
VIDEO | Maharashtra CM Devendra Fadnavis (@Dev_Fadnavis) condemns Shiv Sena legislator Sanjay Gaikwad allegedly slapping an employee of a canteen at the MLAs' hostel after complaining about being served stale food.
— Press Trust of India (@PTI_News) July 9, 2025
Speaking in Vidhan Parishad, CM Fadnavis said that if any… pic.twitter.com/3AbxyD0BvH
विधायक का 'आपत्तिजनक' व्यवहार
घटना मुंबई के विधायक हॉस्टल की है, जहां शिवसेना विधायक संजय गायकवाड़ पर कैंटीन के एक कर्मचारी को कथित तौर पर थप्पड़ मारने का आरोप लगा है। बताया जा रहा है कि विधायक को परोसा गया खाना बासी था, जिसके बाद उन्होंने कैंटीन कर्मचारी के साथ बहस की और बात इतनी बढ़ गई कि उन्होंने कथित तौर पर कर्मचारी को थप्पड़ मार दिया। यह घटना तुरंत आग की तरह फैल गई और सोशल मीडिया से लेकर राजनीतिक गलियारों तक चर्चा का विषय बन गई। आम जनता भी यह सोचने पर मजबूर हो गई कि क्या चुने हुए प्रतिनिधि इस तरह का व्यवहार कर सकते हैं?
मुख्यमंत्री की दो टूक: 'जनप्रतिनिधि हैं, दबंगई नहीं'
मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस ने इस मामले पर अपनी बात रखते हुए विधान परिषद में स्पष्ट किया कि सार्वजनिक जीवन में रहने वाले व्यक्ति को संयम और मर्यादा बनाए रखनी चाहिए। उन्होंने कहा, "अगर किसी जन प्रतिनिधि या किसी अन्य को विधायक कैंटीन में भोजन के संबंध में कोई आपत्ति है, तो उन्हें इसे संबंधित व्यक्ति के ध्यान में लाना चाहिए और औपचारिक रूप से शिकायत दर्ज करके उचित कार्रवाई करनी चाहिए।" फडणवीस का यह बयान विधायक गायकवाड़ के लिए एक स्पष्ट संदेश था कि इस तरह का व्यवहार अस्वीकार्य है।
क्या है पूरा मामला?
सूत्रों के मुताबिक, यह घटना मंगलवार दोपहर की है, जब विधायक संजय गायकवाड़ ने विधायक हॉस्टल की कैंटीन में दोपहर का भोजन किया। खाने के बाद उन्होंने शिकायत की कि खाना बासी था और इसकी गुणवत्ता खराब थी। इस पर कैंटीन कर्मचारी और विधायक के बीच तीखी बहस हुई, जिसके बाद कथित तौर पर विधायक ने कर्मचारी को थप्पड़ मार दिया। इस घटना के बाद कैंटीन कर्मचारियों में रोष है और उन्होंने इस पर अपनी नाराजगी भी जाहिर की है।
विपक्ष ने साधा निशाना, सत्ता पक्ष भी असहज
इस घटना के बाद विपक्ष को सरकार और विधायक पर हमला बोलने का मौका मिल गया है। विपक्षी नेताओं ने इसे सत्ता के दुरुपयोग और जनप्रतिनिधियों द्वारा अपने पद का गलत इस्तेमाल बताया है। हालांकि, सत्ता पक्ष भी इस घटना से असहज नजर आ रहा है और मुख्यमंत्री के बयान से यह साफ है कि सरकार इस तरह के व्यवहार को बर्दाश्त नहीं करेगी। यह घटना दिखाती है कि जनप्रतिनिधियों पर भी आचार संहिता लागू होती है और उन्हें अपने व्यवहार में संयम बरतना चाहिए।
आखिर क्या कहता है प्रोटोकॉल?
अगर किसी को कैंटीन में परोसे गए भोजन से कोई शिकायत है, तो उसका एक तय प्रोटोकॉल होता है। सबसे पहले, शिकायत को कैंटीन मैनेजर या संबंधित अधिकारी के सामने रखा जाना चाहिए। यदि समस्या का समाधान नहीं होता है, तो औपचारिक शिकायत दर्ज की जा सकती है। जरूरत पड़ने पर खाद्य विभाग या अन्य संबंधित प्राधिकरणों से भी संपर्क किया जा सकता है। किसी भी स्थिति में, हिंसा या किसी कर्मचारी के साथ दुर्व्यवहार पूरी तरह से अस्वीकार्य है।
जनप्रतिनिधियों के व्यवहार पर फिर उठे सवाल
यह घटना एक बार फिर जनप्रतिनिधियों के व्यवहार और उनकी जवाबदेही पर बहस छेड़ रही है। चुने हुए प्रतिनिधि जनता के सेवक होते हैं, और उनसे अपेक्षा की जाती है कि वे उदाहरण स्थापित करें। इस तरह की घटनाएं न केवल उनके पद की गरिमा को कम करती हैं, बल्कि आम जनता के मन में भी निराशा पैदा करती हैं। मुख्यमंत्री फडणवीस का बयान इस बात पर जोर देता है कि कानून सबके लिए समान है और कोई भी अपने पद का दुरुपयोग नहीं कर सकता।
अब देखना यह होगा कि इस मामले में आगे क्या कार्रवाई होती है और क्या विधायक संजय गायकवाड़ पर कोई एक्शन लिया जाता है या नहीं। यह घटना भविष्य में जनप्रतिनिधियों के व्यवहार के लिए एक नज़ीर बन सकती है।
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