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अब मोबाइल बन जाएगा मिनी TV! बिना Internet डेटा के देखेंगे लाइव क्रिकेट? जानें कैसे? | यंग भारत न्यूज Photograph: (Google)
नई दिल्ली, वाईबीएन डेस्क ।भारत के दूरसंचार क्षेत्र में एक शांत, लेकिन क्रांतिकारी बदलाव की आहट सुनाई दे रही है। केंद्रीय संचार मंत्रालय द्वारा जारी ड्राफ्ट नेशनल टेलीकॉम पॉलिसी (NTP) 2025 में 'डायरेक्ट-टू-मोबाइल' (D2M) तकनीक को पहली बार औपचारिक रूप से शामिल किया गया है, जो देश के डिजिटल भविष्य के लिए मील का पत्थर साबित हो सकता है। यह सिर्फ एक तकनीकी अपडेट नहीं, बल्कि कनेक्टिविटी, शिक्षा और आपातकालीन सेवाओं को घर-घर तक पहुंचाने का एक नया अध्याय है।
क्या आपने कभी सोचा है कि बिना इंटरनेट डेटा खर्च किए आप अपने फोन पर लाइव क्रिकेट मैच देख पाएं या भूकंप जैसी आपदा की चेतावनी सीधे प्राप्त कर सकें? D2M यही वादा करता है। 5G के साथ मिलकर यह तकनीक न केवल बैंडविड्थ बचाएगी, बल्कि दूरदराज के इलाकों में भी हाई-क्वालिटी कंटेंट पहुंचाकर डिजिटल खाई को पाटने का काम करेगी। नेशनल टेलीकॉम पॉलिसी यानि NTP 2025 का यह कदम लाखों भारतीयों के लिए संभावनाओं के नए द्वार खोल रहा है।
D2M क्या है और यह इतना महत्वपूर्ण क्यों है?
Direct-to-Mobile (D2M) तकनीक एक ब्रॉडकास्ट प्रणाली है जो मोबाइल फोन को सीधे रेडियो तरंगों के माध्यम से टीवी, रेडियो और अन्य मल्टीमीडिया कंटेंट प्राप्त करने की सुविधा देती है, ठीक वैसे ही जैसे आप अपने घर के टीवी पर ओवर-द-एयर (OTA) सिग्नल प्राप्त करते हैं। इसका मतलब है कि आपको डेटा पैक या वाई-फाई कनेक्शन की आवश्यकता नहीं होगी। यह विशेष रूप से उन क्षेत्रों के लिए गेम-चेंजर साबित हो सकता है जहां इंटरनेट कनेक्टिविटी कमजोर या महंगी है।
कल्पना कीजिए, देश के किसी भी कोने में बैठा व्यक्ति अपने स्मार्टफोन पर सरकारी योजनाओं की जानकारी, शैक्षिक कार्यक्रम या कोई महत्वपूर्ण सार्वजनिक घोषणा तुरंत प्राप्त कर सके। यह तकनीक केवल मनोरंजन तक सीमित नहीं है। इसका उपयोग आपदा प्रबंधन, आपातकालीन अलर्ट, दूरस्थ शिक्षा और कृषि संबंधी जानकारी साझा करने में भी किया जा सकता है। नेशनल टेलीकॉम पॉलिसी 2025 ने इस तकनीक को 'उभरती हुई तकनीकों' की श्रेणी में रखकर इसके महत्व को रेखांकित किया है।
नेशनल टेलीकॉम पॉलिसी 2025: D2M को मिला 'नीतिगत' समर्थन
ड्राफ्ट नेशनल टेलीकॉम पॉलिसी 2025 के 'इनोवेशन स्ट्रेटेजी' खंड में D2M का उल्लेख एक 'ग्रीनफील्ड बैंड्स' के रूप में किया गया है। पॉलिसी कहती है, "IoT, M2M, V2X, D2M जैसी उभरती हुई तकनीकों के लिए ग्रीनफील्ड बैंड खोलना..." यह सिर्फ एक लाइन नहीं, बल्कि भारत सरकार की ओर से D2M तकनीक के लिए एक स्पष्ट संकेत है। इस नीतिगत समर्थन के साथ, D2M को अब स्पेक्ट्रम आवंटन और नियामक ढांचे में प्राथमिकता मिलने की उम्मीद है, जिससे इसका तेजी से विकास संभव हो सकेगा।
इस नीति से नवाचारों को बढ़ावा मिलेगा। यह भारतीय कंपनियों और स्टार्टअप्स को D2M के लिए नए समाधान विकसित करने, पायलट प्रोजेक्ट चलाने और भारत के लिए एक नया 'मोबाइल-फर्स्ट' ब्रॉडकास्ट लेयर बनाने के लिए आमंत्रित कर रहा है। यह एक ऐसा मौका है जब भारत दूरसंचार के क्षेत्र में न केवल नवाचार कर सकता है, बल्कि दुनिया के लिए एक उदाहरण भी बन सकता है।
New Telecom Policy 2025 sets Mission goals for 2030. https://t.co/YgXMSiyiUYpic.twitter.com/s1dmhmutMX
— Aseem Manchanda (@aseemmanchanda) July 24, 2025
बैंडविड्थ बचाएगा-अनुभव सुधारेगा : D2M + 5G का 'पावर कॉम्बो'
D2M और 5G का मेल दूरसंचार क्षेत्र के लिए एक "बैंडविड्थ-सेविंग पावर कॉम्बो" साबित हो सकता है। जब आप अपने फोन पर एक लाइव इवेंट देख रहे होते हैं, तो आमतौर पर यह आपके मोबाइल डेटा का एक बड़ा हिस्सा खर्च करता है। D2M के साथ, यह डेटा खपत कम हो जाएगी क्योंकि सामग्री सीधे ब्रॉडकास्ट की जाएगी। इसका मतलब है कि नेटवर्क पर दबाव कम होगा, और यूजर्स को बिना बफरिंग के हाई-क्वालिटी कंटेंट मिलेगा।
टेलीकॉम पॉलिसी 2025 इस साझेदारी को कई तरह से समर्थन देती है:
R&D में फंडिंग: 5G/6G, AR/VR और उभरती हुई तकनीकों के अनुसंधान और विकास को बढ़ावा।
प्रायोगिक उपयोग के लिए स्पेक्ट्रम बैंड खोलना: D2M जैसी नई तकनीकों के परीक्षण और कार्यान्वयन के लिए रास्ते खोलना।
अभिनव टेलीकॉम स्टार्टअप्स को समर्थन: नई कंपनियों को D2M समाधान विकसित करने के लिए प्रोत्साहन।
यह संयोजन न केवल नेटवर्क को स्मार्ट और कुशल बनाएगा, बल्कि समावेशी कनेक्टिविटी को भी बढ़ावा देगा, जिससे अधिक लोग डिजिटल सामग्री तक पहुँच प्राप्त कर सकेंगे।
D2M के लिए स्पेक्ट्रम: नीति ने खोला दरवाजा
D2M तकनीक को काम करने के लिए उपयुक्त स्पेक्ट्रम की आवश्यकता होती है। लंबे समय से इस तकनीक के लिए स्पेक्ट्रम की स्पष्टता का इंतजार किया जा रहा था। ड्राफ्ट टेलीकॉम पॉलिसी 2025 आखिरकार इस दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम उठाती है। यह प्रस्तावित करती है:
- "D2M जैसी उभरती प्रौद्योगिकियों के लिए ग्रीनफील्ड बैंड खोलना।"
- "टेराहर्ट्ज (THz) बैंड में प्रायोगिक उपयोग की अनुमति देना।"
यह उन नवाचारकों के लिए एक बड़ा अवसर है जो भारत के लिए एक नया मोबाइल-फर्स्ट ब्रॉडकास्ट लेयर बनाना चाहते हैं। यह नीति निर्माताओं के लिए भी एक संकेत है कि वे एक कुशल सार्वजनिक संचार बुनियादी ढांचे की दिशा में आगे बढ़ रहे हैं। स्पेक्ट्रम के बिना D2M की कल्पना नहीं की जा सकती थी, और यह पॉलिसी इस महत्वपूर्ण आवश्यकता को पूरा करती है।
D2M सिर्फ मोबाइल पर टीवी नहीं, यह बुनियादी ढांचा है
D2M सिर्फ सुविधा से कहीं बढ़कर है—यह लचीलापन है। जैसा कि ड्राफ्ट टेलीकॉम पॉलिसी 2025 में कहा गया है, सरकार का लक्ष्य है:
सामुदायिक वाई-फाई नेटवर्क का पता लगाना: स्थानीय स्तर पर कनेक्टिविटी को मजबूत करना।
कई तकनीकों का उपयोग करके सभी आबाद क्षेत्रों में ब्रॉडबैंड को सक्षम करना: यह सुनिश्चित करना कि कोई भी क्षेत्र कनेक्टिविटी से वंचित न रहे।
नई दूरसंचार सेवाओं के लिए प्रायोगिक प्राधिकरण प्रदान करना: नवाचार और नई सेवाओं के विकास को प्रोत्साहित करना।
ये सभी बिंदु एक लचीले, तकनीक-अज्ञेयवादी दृष्टिकोण की ओर इशारा करते हैं जो अंतिम-मील तक पहुंच सुनिश्चित करता है। और यहीं D2M अपनी जगह बनाता है। यह सार्वजनिक प्रसारण, ग्रामीण शिक्षा और आपात स्थिति के दौरान वास्तविक समय के अलर्ट जैसी महत्वपूर्ण सेवाएं सीधे मोबाइल उपकरणों पर पहुंचाता है। यह केवल नवाचार नहीं, बल्कि समावेश का एक शक्तिशाली साधन है।
मिशन 2030 : भारत का महत्वाकांक्षी लक्ष्य
नेशनल टेलीकॉम पॉलिसी 2025 — 2030 के लिए महत्वाकांक्षी लक्ष्य निर्धारित करती है, जिसमें D2M महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगा। 'सार्वभौमिक और सार्थक कनेक्टिविटी' के मिशन के तहत, कुछ प्रमुख लक्ष्य हैं:
2030 तक 4G और 5G द्वारा 90% आबादी को कवर करना: D2M को व्यापक पहुंच के लिए एक मजबूत नींव प्रदान करना।
सभी गांवों में फाइबर कनेक्टिविटी सुनिश्चित करना: D2M ब्रॉडकास्ट के लिए बैकहॉल इन्फ्रास्ट्रक्चर को मजबूत करना।
डिजिटल साक्षरता और डिजिटल कौशल विकास को बढ़ावा देना: D2M के माध्यम से सूचना और शिक्षा तक पहुंच बढ़ाना।
ICT विकास सूचकांक में शीर्ष 20 देशों में जगह बनाना: तकनीकी नवाचार और विकास के प्रति प्रतिबद्धता दिखाना।
D2M जैसी तकनीक इन लक्ष्यों को प्राप्त करने में मदद करेगी, खासकर उन दूरदराज के इलाकों में जहां पारंपरिक इंटरनेट इंफ्रास्ट्रक्चर पहुंचाना मुश्किल है। यह स्थानीय भाषाओं में सामग्री प्रदान करके और आपातकालीन स्थितियों में महत्वपूर्ण जानकारी प्रसारित करके समावेशी विकास को गति देगा।
नवाचार और स्टार्टअप को बढ़ावा
पॉलिसी का 'मिशन 2: इनोवेशन' खंड सीधे D2M के विकास को गति देगा। इसमें निम्नलिखित रणनीतियाँ शामिल हैं:
कटिंग-एज अनुसंधान को बढ़ावा देना: 5G/6G, क्वांटम सुरक्षा, AI, ब्लॉकचेन, AR/VR जैसी तकनीकों में R&D को प्रोत्साहित करना।
दूरसंचार विनिर्माण और बाजार तक पहुंच को बढ़ावा देना: D2M उपकरणों और समाधानों के निर्माण को समर्थन देना।
उभरती प्रौद्योगिकियों के लिए प्रायोगिक प्राधिकरण: D2M परीक्षणों और कार्यान्वयन के लिए अनुकूल माहौल बनाना।
दूरसंचार स्टार्टअप्स को सक्षम करना: D2M आधारित समाधानों पर काम कर रहे स्टार्टअप्स को वित्तीय और तकनीकी सहायता प्रदान करना।
यह एक स्पष्ट संदेश है कि भारत सरकार D2M को एक महत्वपूर्ण तकनीकी नवाचार के रूप में देखती है और इसके विकास के लिए हर संभव सहायता प्रदान करने को तैयार है। यह भारतीय इंजीनियरों, वैज्ञानिकों और उद्यमियों के लिए एक सुनहरा अवसर है कि वे एक ऐसी तकनीक में अग्रणी बनें जो लाखों लोगों के जीवन को बेहतर बना सकती है।
NTP 2025: सार्वजनिक परामर्श और आगे का रास्ता
दूरसंचार विभाग ने 23 जुलाई, 2025 को ड्राफ्ट नेशनल टेलीकॉम पॉलिसी, 2025 को सार्वजनिक परामर्श के लिए जारी किया है। हितधारकों से 21 दिनों के भीतर सुझाव और प्रतिक्रिया भेजने का अनुरोध किया गया है। यह प्रक्रिया सुनिश्चित करेगी कि नीति व्यापक रूप से विचार-विमर्श के बाद अंतिम रूप ले, जिससे D2M जैसे महत्वपूर्ण प्रावधानों को सबसे प्रभावी तरीके से लागू किया जा सके।
यह नीति भारत के लिए एक डिजिटल रूप से सशक्त भविष्य की आधारशिला रखेगी, जहां सूचना और कनेक्टिविटी हर नागरिक के लिए आसानी से उपलब्ध होगी। D2M इस यात्रा में एक प्रमुख भूमिका निभाएगा, यह सुनिश्चित करते हुए कि कोई भी पीछे न छूटे। यह भारत के दूरसंचार इतिहास में एक रोमांचक क्षण है, और D2M की क्षमताएं हमें एक उज्जवल, अधिक कनेक्टेड कल की ओर ले जा सकती हैं।
डायरेक्ट-टू-मोबाइल (D2M) तकनीक का ड्राफ्ट नेशनल टेलीकॉम पॉलिसी 2025 में शामिल होना भारत के डिजिटल परिदृश्य के लिए एक महत्वपूर्ण मोड़ है। यह सिर्फ एक तकनीकी प्रावधान नहीं, बल्कि एक समावेशी और कुशल डिजिटल भविष्य की दिशा में एक रणनीतिक कदम है।
D2M, 5G के साथ मिलकर, डेटा की बचत करेगा, दूरदराज के क्षेत्रों में कनेक्टिविटी बढ़ाएगा, और आपातकालीन अलर्ट, शिक्षा और सार्वजनिक प्रसारण जैसी महत्वपूर्ण सेवाओं को सीधे मोबाइल फोन तक पहुंचाएगा।
स्पेक्ट्रम आवंटन, R&D में निवेश और स्टार्टअप्स को समर्थन के साथ, भारत D2M नवाचार का केंद्र बनने के लिए तैयार है। यह नीतिगत कदम, सार्वजनिक परामर्श के साथ, यह सुनिश्चित करेगा कि भारत का D2M क्षण केवल एक वादा न रहे, बल्कि एक जीवंत वास्तविकता बन जाए।
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