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75 की उम्र में रिटायर होंगे मोदी और भागवत? पवन खेड़ा ने ली चुटकी! | यंग भारत न्यूज Photograph: (Google)
नई दिल्ली, वाईबीएन डेस्क ।आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत के '75 साल में रिटायरमेंट' वाले बयान ने सियासी गलियारों में हलचल मचा दी है। कांग्रेस नेता पवन खेड़ा ने इस बयान पर चुटकी लेते हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के 75 साल के होने का जिक्र किया है। क्या वाकई देश की राजनीति में एक बड़ा बदलाव आने वाला है, या यह सिर्फ एक राजनीतिक कटाक्ष है?
राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) प्रमुख मोहन भागवत के हालिया बयान ने देश की राजनीति में एक नई बहस छेड़ दी है। उन्होंने कहा कि 75 साल की उम्र के बाद व्यक्ति को रिटायर हो जाना चाहिए। यह बयान ऐसे समय में आया है जब भारतीय जनता पार्टी (BJP) के कई वरिष्ठ नेताओं के लिए '75 साल' का फॉर्मूला पहले से ही चर्चा का विषय रहा है।
कांग्रेस के वरिष्ठ नेता पवन खेड़ा ने इस बयान को हाथों-हाथ लिया और इसे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से जोड़ दिया। खेड़ा ने मजाकिया लहजे में कहा कि यह 'अच्छी खबर' है क्योंकि मोहन भागवत 11 सितंबर को 75 साल के हो रहे हैं, और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी 17 सितंबर को 75 साल के हो जाएंगे। उनका यह बयान तुरंत सोशल मीडिया पर वायरल हो गया और राजनीतिक पंडितों के बीच चर्चा का विषय बन गया।
पवन खेड़ा का तंज: क्या मोदी और भागवत साथ-साथ होंगे रिटायर?
खेड़ा ने अपने बयान में आगे कहा कि अगर नरेंद्र मोदी राजनीति में नहीं होते, तो वह शायद बॉलीवुड में होते। उन्होंने तंज कसते हुए कहा, "बॉलीवुड बच गया, लेकिन देश नहीं।" इस बयान के पीछे छिपा अर्थ यह था कि नरेंद्र मोदी के प्रधानमंत्री बनने से देश को 'अच्छे दिन' नहीं मिले, बल्कि अब उनके रिटायर होने से देश, संविधान और देश की आत्मा को 'अच्छे दिन' देखने को मिलेंगे। यह साफ तौर पर मौजूदा सरकार पर एक सीधा हमला था।
यह पहला मौका नहीं है जब 75 साल की उम्र के फॉर्मूले पर बहस छिड़ी हो। बीजेपी में एक अनौपचारिक नियम रहा है कि 75 साल से अधिक उम्र के नेताओं को चुनावी राजनीति से दूर रखा जाता है और उन्हें मार्गदर्शक मंडल जैसी भूमिकाएं दी जाती हैं। हालांकि, इस नियम को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर लागू नहीं किया गया है, और वह लगातार तीसरी बार देश के प्रधानमंत्री बने हैं। ऐसे में मोहन भागवत का यह बयान कई सवाल खड़े करता है।
VIDEO | Here's what Congress leader Pawan Khera (@Pawankhera) said on RSS chief Mohan Bhagwat's '75-year retirement' remark:
— Press Trust of India (@PTI_News) July 11, 2025
"Yesterday, Mohan Bhagwat ji shared a good news. He said that one should retired after turning 75. Why is this a good news? Mohan Bhagwat is turning 75 on… pic.twitter.com/FuPtZIkt2x
75 साल का फॉर्मूला: क्या बीजेपी में होगा कोई बदलाव?
मोहन भागवत का बयान आरएसएस के भीतर भी 'सेवानिवृत्ति' की संस्कृति पर एक संकेत हो सकता है। आरएसएस में हमेशा से ही नए नेतृत्व को मौका देने पर जोर दिया जाता रहा है। क्या यह बयान बीजेपी के लिए भी एक संकेत है कि उसे भविष्य में अपने नेताओं के लिए 75 साल के नियम को और सख्ती से लागू करना चाहिए?
आरएसएस की परंपरा: संघ में एक निश्चित उम्र के बाद स्वयंसेवकों को नई जिम्मेदारियां सौंपने या सक्रिय भूमिकाओं से मुक्त करने की परंपरा रही है।
बीजेपी का इतिहास: बीजेपी में लालकृष्ण आडवाणी और मुरली मनोहर जोशी जैसे कई वरिष्ठ नेताओं को 75 साल के नियम के चलते सक्रिय राजनीति से दूर किया गया था।
वर्तमान परिदृश्य: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के 75 साल पूरे होने वाले हैं, ऐसे में भागवत का बयान बेहद अहम हो जाता है।
यह देखना दिलचस्प होगा कि इस बयान का क्या राजनीतिक असर होता है। क्या मोहन भागवत और नरेंद्र मोदी सच में रिटायर होने पर विचार करेंगे? या यह सिर्फ एक राजनीतिक जुमला बनकर रह जाएगा? आने वाले समय में यह साफ हो जाएगा कि इस बयान का क्या प्रभाव पड़ता है।
मोहन भागवत के इस बयान ने भविष्य की भारतीय राजनीति की दिशा पर अटकलें तेज कर दी हैं। यदि 75 साल का फॉर्मूला पीएम मोदी पर लागू होता है, तो यह भारतीय राजनीति के इतिहास में एक महत्वपूर्ण मोड़ साबित हो सकता है। फिलहाल, यह देखना होगा कि इस बयान को लेकर बीजेपी और आरएसएस की तरफ से क्या प्रतिक्रिया आती है। कांग्रेस ने तो इस मौके को भुनाने में कोई कसर नहीं छोड़ी है।
मोहन भागवत का यह बयान सिर्फ एक राजनीतिक टिप्पणी से कहीं बढ़कर है। यह नेतृत्व, उम्र और भविष्य की रणनीतियों पर एक बड़ा सवाल खड़ा करता है। क्या भारत सचमुच 'अच्छे दिन' की ओर बढ़ रहा है जैसा कि पवन खेड़ा ने कहा, या यह सब सिर्फ राजनीतिक बयानबाजी है? इसका जवाब तो भविष्य ही देगा।
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