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नई दिल्ली, वाईबीएन डेस्कः 2014 में नरेंद्र मोदी जब प्रधानमंत्री बने तो उसके बाद से संसद की कार्यवाही अमूमन उनके इशारे पर ही चली। सरकार ने जो चाहा वो किया। मोदी के पहले कार्यकाल के दौरान सरकार के सामने थोड़ी बहुत मुश्किलें संसद में तब पैदा हुईं जब विपक्ष ने नोटबंदी के मसले पर संसद को ठप करा दिया। कई बार के गतिरोध के बाद संसद को अनिश्चित काल के लिए स्थगित करना पड़ गया है। ये मोदी का पहला कार्यकाल था।
2019 के बाद से 2024 तक के दौरान मोदी के लिए संसद में खासी मुश्किलें नहीं पैदा हुईं। जब तब विपक्ष ने हंगामा किया लेकिन सरकार के लिए उसमें घबराने वाली बात कुछ नहीं थी। 2024 चुनाव में बीजेपी के औसत प्रदर्शन के बाद मोदी सरकार बैकफुट पर है। पहलगाम हमले के बाद से शुरू हुए पिछले कुछ घटनाक्रमों को देखा जाए तो कहा जा सकता है कि नरेंद्र मोदी सरकार के लिए ये सबसे मुश्किल संसद सत्र साबित हो सकता है। विपक्ष कई चीजों को लेकर अपनी कमर कसे है। सबसे बड़ी मुश्किल ये है कि बिहार चुनाव सामने है। संसद में अगर कुछ भी बड़ा हुआ तो इसका असर बिहार के चुनाव पर पड़ता दिखाई दे सकता है।
संघ पहले से ही मोदी पर शुरू कर चुका है हमले
नरेंद्र मोदी के लिए मुश्किल ये है कि संघ पहले से ही उसको घेरने की कोशिश शुरू कर चुका है। संघ प्रमुख 75 बाद रिटायर होने की बात को प्रमुखता से उठा रहे हैं। बीजेपी अध्यक्ष को लेकर संघ पहले से दबाव दे रहा है। अगर संसद में विपक्ष हावी होने लग गया तो बीजेपी में विरोध दिखना शुरू हो सकता है। संघ प्रमुख जो बात कह चुके हैं उस पर अड़े हुए हैं।modi | Indian parliament debate | Indian Parliament not
पहलगाम अटैक से हुई थी गहमागहमी की शुरुआत
22 अप्रैल 2025 को जम्मू और कश्मीर के अनन्तनाग जिले में पहलगाम के पास बायसरन घाटी पर एक आतंकवादी हमला हुआ जिसमें 26 पर्यटकों की जान गई। और क़रीबन 17 से अधिक लोग घायल हो गए। हमलावरों ने हिंदू पुरुषों को मुस्लिम पुरुषों से अलग किया और उन्हें गोली मार दी। कुछ पर्यटकों से कलमा पढ़ने को कहा गया, ताकि उनका धर्म पहचाना जा सके। कुछ हिंदू पुरुषों को नमाज न पढ़ पाने और खतना न होने पर पैंट उतारने पर मजबूर किया गया और फिर करीब से गोली मारी गई। हमले के शिकार हुए अधिकतर लोग पर्यटक थे, जो अपने परिवारों के साथ 'मिनी स्विट्जरलैंड' कहे जाने वाले बायसरन घूमने आए थे। 2019 में पुलवामा में हुए आतंकी हमले के बाद सबसे बड़ा हमला है। ये हमला ऐसे वक्त हुआ, जब पीएम मोदी देश से बाहर थे और अमेरिका के उपराष्ट्रपति जेडी वेंस भारत दौरे पर थे। आतंकी हमले में अब तक छह आतंकियों के शामिल होने की बात सामने आई थी। हमलावरों में दो पाकिस्तानी और दो स्थानीय आतंकी शामिल थे। दो अन्य के बारे में जानकारी अभी सामने नहीं आ सकी है। हमले में शामिल तीन संदिग्ध आतंकियों के स्केच जारी किए हैं। इनके नाम आसिफ फौजी, सुलेमान शाह और अबु तल्हा बताए गए हैं। कहा जा रहा है कि घटनास्थल पर आतंकी देवदार के घने जंगलों के रास्ते आए थे। यह माना जा रहा है कि आतंकी किश्तवाड़ के रास्ते आए और फिर कोकरनाग के जरिए दक्षिण कश्मीर के बायसरन पहुंचे। फिर कत्ले आम कर दिया। 2019 के पुलवामा हमले के बाद ये सबसे बड़ा आतंकी हमला रहा।
पाकिस्तान के सिर फोड़ा और मिसाइल अटैक
सरकार ने हमले का ठीकरा पाकिस्तान के सिर फोड़ा और मिसाइल अटैक कर दिया। सरकार का कहना था कि उसने आतंकियों के ठिकानों को अपना निशाना बनाया। यहां तक सब ठीक था। आपरेशन सिंदूर खत्म हुआ तो सरकार सबकुछ हासिल कर चुकी थी। जनता का विश्वास सरकार के साथ था तो विपक्ष चुप्पी मारकर बैठा था। पाकिस्तान डरा हुआ था। एक दिन अचानक सीज फायर की घोषणा होती है। तब भी कुछ नहीं बिगड़ता। लेकिन जैसे ही अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प कहते हैं कि सीज फायर मैंने कराया मोदी सरकार कटघरे में खड़ी होनी शुरू हो जाती है। मोदी ने सामने आकर ट्रम्प के बयान को आजतक खारिज नहीं किया। इस वाकये के बाद विपक्ष ने स्पेशल सेशन बुलाने की मांग की थी पर मोदी नहीं माने। अब मानसून सत्र में विपक्ष अपनी कमर कसकर बैठा है। वो सरकार को कई मसलों पर घेरना चाहता है। उसके सवाल इस तरह के हो सकते हैं।
-पहलगाम में आतंकी कैसे पहुंचे। अब तक उनका पता क्यों नहीं चला।
-आपरेशन सिंदूर में भारतीय सेना पाकिस्तान को दबाव में ले चुकी थी तो सीज फायर किन शर्तों पर किया गया।
-अमेरिकी राष्ट्रपति के बयान का पीएम मोदी ने खुलकर विरोध क्यों नहीं किया।
-अगर सीज फायर अमेरिका ने नहीं कराया तो ये कैसे किया गया।
-33 देशों में जो प्रतिनिधिमंडल भेजे गए थे उनसे क्या हासिल हुआ। राहुल गांधी शुरू से कह रहे हैं कि चीन पाकिस्तान के नजदीक जा रहा है।
सीडीएस के बयान पर मच सकता है हंगामा
आपरेशन सिंदूर के दौरान चीफ आफ डिफेंस स्टाफ ने कहा था कि कुछ लड़ाकू विमान पाकिस्तानी सेना का शिकार बन गए। सरकार कुछ नहीं बोल रही पर सीडीएस ने ये कहकर सरकार को कटघरे में ला खड़ा किया कि कुछ विमान जंग के दौरान निशाना बने थे। विपक्ष सरकार से इस मामले में जवाब तलब करेगा। सरकार नहीं बोलेगी तो हंगामा होगा।
बिहार के एसआईआर को लेकर माहौल हो सकता है सरगर्म
पहलगाम और आपरेशन सिंदूर के अलावा सरकार के लिए बिहार की एसआईआर भी है। विपक्ष का सवाल है कि सरकार चुनाव से चार महीने पहले ही क्यों जागी। वोटर रिवीजन होना था तो पहले क्यों नहीं कराया। ये मसला काफी अहम है क्योंकि संसद में जो भी सवाल जवाब होंगे वो बिहार के लोगों तक पहुंचेंगे। सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद सरकार बैकफुट पर है।
जस्टिस यशवंत वर्मा पर हो सकती है तकरार
दिल्ली हाईकोर्ट के जज यशवंत वर्मा के खिलाफ मानसून सत्र के दौरान महाभियोग प्रस्ताव लाने की तैयारी में सरकार है। लेकिन कपिल सिब्बल समेत कुछ नेताओं ने पहले ही इस बात का संकेत दे दिया है कि वो इसका विरोध करेंगे। उनका सवाल है कि यशवंत वर्मा पर एक्शन तो जस्टिस शेखर यादव को सरकार क्यों जाने दे रही है। उन पर भी एक्शन हो। यशवंत वर्मा के घर से नोटों की जखीरा मिलने की बात कही गई थी। सीजेआई संजीव खन्ना ने खुद सरकार से महाभियोग चलाने की सिफारिश की थी। इलाहाबाद हाईकोर्ट के जस्टिस शेखर यादव के खिलाफ हेट स्पीच का केस है। विपक्ष राज्यसभा में महाभियोग प्रस्ताव दे चुका है पर सभापति जगदीप धनखड़ ने उसे ठंडे बस्ते में डाल दिया है। सरकार यशवंत वर्मा का जिक्र जैसे ही संसद में करेगी विपक्ष अरुण वर्मा को लेकर हंगामा करेगा।
वैसे जानकार कहते हैं कि सरकार चाहेगी कि संसद का हंगामा जस्टिसेज के मामले में उलझकर रह जाए। आपरेशन सिंदूर, डोनाल्ड ट्रम्प, वायु सेना के विमानों और बिहार की एसआईआर तक बात पहुंची तो बखेड़ा खड़ा हो सकता है। छोटी सी चूक बिहार में बीजेपी के लिए भारी पड़ सकती है। बिहार कीअहमियत इस बात को लेकर भी है कि 237 सांसद लेकर बैठी बीजेपी की सरकार नीतीश कुमार और चिराग पासवान के बगैर नहीं चल सकती। बिहार कमजोर पड़ा तो चंद्रबाबू नायडू और एकनाथ शिंदे सिर उठा सकते हैं।
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