नई दिल्ली, वाईबीएन डेस्क । मोदी सरकार के 11 साल पूरे होने पर कांग्रेस नेता इमरान मसूद ने तीखा हमला बोला है। उनका कहना है कि देश आज सबसे बुरे दौर से गुजर रहा है, जहां बेरोजगारी चरम पर है, निर्यात गिर रहा है और किसान आत्महत्या करने को मजबूर हैं। जानिए क्या वाकई भारत विश्व गुरु बनने की राह पर पिछड़ रहा है?
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व वाली सरकार को 11 साल पूरे हो चुके हैं। इस लंबी यात्रा में जहां एक ओर सरकार अपनी उपलब्धियों का बखान कर रही है, वहीं दूसरी ओर विपक्षी दल लगातार हमलावर हैं। इसी कड़ी में कांग्रेस के दिग्गज नेता इमरान मसूद ने मोदी सरकार पर सीधा प्रहार किया है। उनका कहना है कि "देश सबसे बुरे हालात में है।" यह बयान अपने आप में कई सवाल खड़े करता है – क्या वाकई भारत उस दिशा में नहीं बढ़ रहा है, जिसकी उम्मीद की गई थी? क्या 'विश्व गुरु' बनने का सपना कहीं पीछे छूट गया है? आइए इस पूरे मामले को गहराई से समझते हैं।
इमरान मसूद ने सरकार के दावों पर उठाए सवाल
इमरान मसूद ने साफ तौर पर कहा कि "हम विश्व गुरु बनने जा रहे थे, लेकिन हमारा देश पिछले 11 सालों में (इस स्तर पर) पहुंच गया है।" यह एक गंभीर आरोप है, जो सीधे तौर पर सरकार के विकास के दावों को चुनौती देता है। मसूद ने अपने बयान में आर्थिक मोर्चे पर सरकार को घेरा है। उनका सवाल है, "हमारा निर्यात क्यों गिर रहा है?" यह सवाल इसलिए भी प्रासंगिक है क्योंकि मजबूत अर्थव्यवस्था के लिए निर्यात में वृद्धि एक महत्वपूर्ण संकेतक मानी जाती है। यदि निर्यात लगातार गिर रहा है, तो यह निश्चित रूप से चिंता का विषय है।
उन्होंने कहा कि "वे रोजगार की बात करते थे, लेकिन देश के अधिकांश युवा बेरोजगार हैं।" यह हकीकत किसी से छिपी नहीं है कि सरकारी नौकरियों की कमी और निजी क्षेत्र में पर्याप्त अवसर न होने के कारण युवाओं में हताशा बढ़ रही है। मसूद ने तो यहाँ तक कहा कि "वे सरकारी नौकरियां खत्म कर रहे हैं।" यदि यह आरोप सही है, तो यह लाखों युवाओं के भविष्य पर प्रश्नचिह्न लगाता है। बेरोजगारी आज एक विकट समस्या बन चुकी है, जिससे निपटने के लिए ठोस कदमों की आवश्यकता है।
सांसद इमरान मसूद ने दुख व्यक्त करते हुए कहा कि "वे किसानों की दुर्दशा के बारे में बात नहीं करना चाहते। वे (किसान) आत्महत्या कर रहे हैं।" यह एक ऐसा दर्दनाक पहलू है, जिसे नजरअंदाज नहीं किया जा सकता। कृषि प्रधान देश में किसानों की स्थिति अगर इतनी बदतर है कि उन्हें आत्महत्या जैसा कदम उठाना पड़ रहा है, तो यह पूरे तंत्र पर सवाल खड़ा करता है। किसान आत्महत्या की बढ़ती खबरें न केवल सरकार के लिए, बल्कि पूरे समाज के लिए एक बड़ी चुनौती हैं। सरकार को इस मुद्दे पर गंभीरता से ध्यान देना होगा और किसानों को राहत पहुंचाने के लिए प्रभावी नीतियां बनानी होंगी।
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