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Mohan Bhagwat बोले- भारत में सभी हिंदू, अब ‘धर्म राष्ट्र’ बनाना समय की मांग

आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत ने कहा कि भारत में कोई अहिंदू नहीं, सभी हिंदू सभ्यता से जुड़े हैं। भारत को धर्म राष्ट्र के रूप में स्थापित करना समय की मांग है।

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Dhiraj Dhillon
Mohan Bhagwat

संघ प्रमुख मोहन भागवत Photograph: (X.com)

बेंगलुरु / नई दिल्ली, वाईबीएन डेस्क। राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) प्रमुख मोहन भागवत ने शनिवार को कहा कि भारत में कोई भी अहिंदू नहीं है, सभी हिंदू ह‌ैं। हर व्यक्ति की जड़ें हिंदू सभ्यता से जुड़ी हैं और उसके पूर्वज हिंदू ही रहे हैं। भारत प्राचीन काल से राष्ट्र रहा है और इसकी संस्कृ‌ति हिंदू संस्कृति। बेंगलुरु में संघ की शताब्दी व्याख्यान श्रृंखला को संबोधित करते हुए भागवत ने कहा- भारत को धर्म राष्ट्र के रूप में फिर से स्थापित करने का समय आ गया है। उन्होंने कहा कि आरएसएस का उद्देश्य सत्ता नहीं, बल्कि हिंदू समाज को एकजुट कर भारत माता की प्रतिष्ठा बढ़ाना है। 

भारत की आत्मा सनातन में बसती है: भागवत

भागवत ने कहा- अंग्रेजों ने हमें राष्ट्र नहीं बनाया, भारत प्राचीन काल से एक राष्ट्र रहा है और इसकी संस्कृति हिंदू संस्कृति है। भागवत ने कहा कि चाहे मुस्लिम हों या ईसाई, सभी भारतीय एक ही सभ्यता से उपजे हैं। उन्होंने स्पष्ट कहा- भारत में कोई भी अहिंदू नहीं है, क्योंकि हिंदू होना भारत के प्रति जिम्मेदार नागरिक होने का प्रतीक है।  संघ प्रमुख मोहन भागवत ने कहा कि भारत की आत्मा सनातन धर्म में बसती है और इसे राष्ट्र से अलग नहीं किया जा सकता। उन्होंने कहा-सनातन धर्म की प्रगति ही भारत की प्रगति है। भागवत ने कहा कि अब समय आ गया है कि भारत अपने ‘धर्म-प्रधान राष्ट्र’ के रूप में विश्व में मार्गदर्शन करे, क्योंकि यही विश्व शांति और संतुलन का आधार है।

“संघ का उद्देश्य हिंदू समाज को सशक्त बनाना”

राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ प्रमुख मोहन भागवत ने बेंगलुरु में आयोजित “100 ईयर्स ऑफ संघ जर्नी: न्यू होराइजन्स” व्याख्यान श्रृंखला में कहा कि संघ का उद्देश्य पूरे हिंदू समाज को संगठित और सशक्त बनाना है। उन्होंने कहा- हम ऐसा समाज बनाना चाहते हैं जो एक समृद्ध और शक्तिशाली भारत का निर्माण करे, जो विश्व को धर्म, शांति और सद्भाव का संदेश दे। भागवत ने कहा कि यह कार्य केवल संघ का नहीं बल्कि पूरे समाज और राष्ट्र का है। हमारा एकमात्र लक्ष्य एक संगठित हिंदू समाज है, जो आगे चलकर भारत को विश्वगुरु बनाएगा।

संघ किसी का धर्म नहीं पूछता ः भागवत

आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत ने कहा कि संघ में कोई जाति या धर्म विशेष नहीं आता। संघ में केवल हिंदू ही शामिल हो सकते हैं। मुसलमान, ईसाई या अन्य धर्म के लोग शाखा में आ सकते हैं, लेकिन अपने धर्म या पहचान को अलग रखते हुए। शाखा में आने पर हर व्यक्ति भारत माता का पुत्र और हिंदू समाज का सदस्य माना जाता है। संघ किसी की गिनती या धर्म नहीं पूछता। भागवत ने बताया कि यही संघ का तरीका है, जहां सभी लोग समान रूप से राष्ट्रभक्ति और हिंदू समाज की सेवा के लिए जुड़ते हैं।

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