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MP News : 700 काले हिरणों का खूनी खेल, कहानी सुनकर दहल जाएगा दिल! यंग भारत न्यूज
नई दिल्ली, वाईबीएन डेस्क । इंदौर(मध्य प्रदेश) के शांत जंगलों में वर्षों से एक खूनी खेल चल रहा था, जिसका पर्दाफाश हाल ही में हुआ है। काले हिरण के मांस की तस्करी में पकड़े गए एक आरोपी इम्तियाज के मोबाइल ने जो राज़ उगले हैं, वो किसी भी संवेदनशील इंसान की रूह कंपा देंगे। सैकड़ों तस्वीरें और वीडियो मिले हैं जिनमें शिकारी खुलेआम हिरणों और चीतलों का शिकार करने के बाद, बंदूकों के साथ शान से तस्वीरें खिंचवाते दिख रहे हैं।
ये महज तस्वीरें नहीं, बल्कि वन्यजीवों पर हुए अत्याचार और कानून के राज को चुनौती देने वाले जघन्य अपराधों के जीते-जागते सबूत हैं। गूगल स्निपेट के लिए, यह चौंकाने वाली कहानी है मध्य प्रदेश में सक्रिय एक ऐसे दुर्दांत शिकारी गिरोह की, जिसने 700 से अधिक बेजुबान हिरणों और चीतलों का बेरहमी से शिकार किया। उनके मोबाइल से मिली तस्वीरें वन्यजीव अपराधों की भयावहता बयां करती हैं, जिसने पूरे देश को हिलाकर रख दिया है। यह गिरोह सिर्फ भारत ही नहीं, बल्कि अंतरराष्ट्रीय स्तर पर मांस और खाल की तस्करी में भी शामिल था, जिसका नेटवर्क अरब देशों तक फैला हुआ था।
जंगल के खूनी खेल का काला सच
मध्य प्रदेश, जो अपनी प्राकृतिक सुंदरता और वन्यजीवों के लिए जाना जाता है, अब एक ऐसे काले सच से रूबरू हुआ है जिसने इसकी छवि पर दाग लगा दिया है। कल्पना कीजिए, शांत जंगलों में घूमते भोले-भाले हिरण और चीतल, अचानक एक खूंखार शिकारी के हत्थे चढ़ जाते हैं। यह कोई इक्का-दुक्का घटना नहीं थी, बल्कि एक सुनियोजित, बड़े पैमाने पर चलाया जा रहा अभियान था, जिसका खुलासा तब हुआ जब स्टेट टाइगर स्ट्राइक फोर्स (एसटीएसएफ) ने काले हिरण के 65 किलो मांस के साथ इम्तियाज नाम के एक शख्स को पीथमपुर से पकड़ा।
लेकिन, जो असल में चौंकाने वाला था, वो उसके मोबाइल से मिली सामग्री थी। सैकड़ों तस्वीरें और वीडियो, जिनमें इम्तियाज खुद शिकार किए गए हिरणों और चीतलों के साथ खड़ा था, हाथों में बंदूक लिए, मानों अपनी 'उपलब्धियों' पर गर्व कर रहा हो। कुछ तस्वीरों में तो हिरण की खाल निकाली जा रही थी और उनके सिर की तस्वीरें भी थीं। ये तस्वीरें बताती हैं कि कैसे एक संगठित गिरोह बरसों से वन्यजीव संरक्षण के नियमों को धता बताकर, कानून की धज्जियां उड़ा रहा था।
700 से ज़्यादा हत्याएं: एक रोंगटे खड़े कर देने वाला आंकड़ा
एसटीएसएफ के अधिकारियों के मुताबिक, जांच में सामने आया है कि यह गिरोह 2012-13 से लगातार सक्रिय था। यानी लगभग एक दशक से भी ज़्यादा समय से ये शिकारी खुलेआम जंगलों में मौत का तांडव कर रहे थे। अनुमान है कि इस दौरान उन्होंने 700 से ज़्यादा हिरणों और चीतलों का शिकार किया। 700! ये आंकड़ा सिर्फ एक संख्या नहीं है, यह हजारों बेजुबान जानवरों की चीखें हैं जो आज भी उन घने जंगलों में गूंज रही होंगी।
ये आंकड़े उस भयावह सच को उजागर करते हैं कि कैसे लालच इंसान को कितना क्रूर बना सकता है। ये शिकारी, इन निरीह जानवरों को सिर्फ मारते ही नहीं थे, बल्कि उनके मांस की बोली लगाते थे, लाखों रुपये कमाते थे। सोचिए, एक जानवर को मारना और फिर उसके शव के साथ तस्वीरें खिंचवाना... ये किस तरह की मानसिकता है?
मुंबई से अरब तक फैला था तस्करी का जाल
इस गिरोह की काली करतूतें सिर्फ मध्य प्रदेश के जंगलों तक सीमित नहीं थीं। जांच में पता चला है कि इस गिरोह का नेटवर्क मुंबई तक फैला हुआ था, जहां काले हिरण का मांस बड़ी-बड़ी पार्टियों में बेचा जाता था। सुनने में अविश्वसनीय लगता है, लेकिन ये सच है कि उद्योगपति और फिल्मी हस्तियों के लिए रखी जाने वाली पार्टियों में इस अवैध मांस की डिमांड थी। इम्तियाज के मोबाइल से कई ऐसे नंबर भी मिले हैं जिनकी एसटीएसएफ जांच कर रही है। भोपाल का एक निशानेबाज अमीर, जो अभी फरार है, उसकी भी तलाश जारी है।
लेकिन सबसे चौंकाने वाली बात यह सामने आई कि इस गिरोह का संपर्क एक अंतरराष्ट्रीय तस्करी नेटवर्क से भी था। आरोपितों ने खुलासा किया कि मांस को मुंबई से समुद्री मार्ग के ज़रिए अरब देशों में भेजा जाता था। कल्पना कीजिए, मध्य प्रदेश के जंगलों से शिकार किए गए जानवरों का मांस अरब देशों तक पहुंच रहा है! यह दिखाता है कि इस गिरोह की जड़ें कितनी गहरी थीं और इसका संचालन कितना पेशेवर तरीके से हो रहा था। सिर्फ मांस ही नहीं, बल्कि हिरण और चीतल की खाल को भी विदेशों में बेचा जाता था। वन्यजीवों के अंगों की अंतरराष्ट्रीय बाज़ार में भारी मांग है, और यही मांग ऐसे गिरोहों को बढ़ावा देती है।
वन विभाग की मिलीभगत और कानून का लचर रवैया?
जीव रक्षा संस्था के जिलाध्यक्ष मोखराम धारणियां और महासचिव रामकिशन डेलू ने गंभीर आरोप लगाए हैं। उनके मुताबिक, यह गिरोह मध्य प्रदेश के जंगलों में वन विभाग के कुछ कर्मचारियों की मिलीभगत से ही इतने बड़े पैमाने पर शिकार करने में सफल हो रहा था। उन्होंने कहा कि शिकारी बिना किसी रोक-टोक के जंगल में घूमते थे और जानवरों को मारते थे। अगर यह सच है, तो यह बेहद चिंताजनक है। वन विभाग, जिसका काम ही वन्यजीवों की रक्षा करना है, अगर उसी के कुछ कर्मचारी ऐसे अवैध शिकारियों से मिले हुए हैं, तो यह सीधे-सीधे देश के वन्यजीव संरक्षण प्रयासों पर कुठाराघात है।
इस मामले में कानून का लचर रवैया भी सवालों के घेरे में है। 3 दिसंबर को इम्तियाज, सलमान और जौहर को 65 किलो काले हिरण के मांस के साथ पकड़ा गया था। उनके पास से दो मोबाइल और एक रिवॉल्वर भी जब्त की गई थी। मोबाइल को तो फोरेंसिक लैब में जांच के लिए भेजा गया, लेकिन रिवॉल्वर की रिपोर्ट अभी तक नहीं मिली है। इस वजह से अवैध हथियार का प्रकरण नहीं बन पाया है। छह महीने के इंतजार के बाद मोबाइल खोला जा सका। यह देरी भी जांच प्रक्रिया पर सवाल खड़े करती है। जब तक ऐसे तस्करों को कड़ी सजा नहीं मिलेगी और भ्रष्ट कर्मचारियों पर कार्रवाई नहीं होगी, तब तक यह अवैध शिकार रुकने वाला नहीं है।
शिकारियों की लोकेशन और आगे की जांच
एसटीएसएफ को मोबाइल कंपनी की तरफ से आरोपितों की लोकेशन के बारे में भी जानकारी मिली है। इम्तियाज की अंतिम लोकेशन सतपुड़ा टाइगर रिजर्व की मिली है। इसके अलावा नेशनल पार्क और लटेरी के जंगलों में भी आरोपितों की लोकेशन देखी गई है। यह दर्शाता है कि ये शिकारी मध्य प्रदेश के कई प्रमुख वन्यजीव अभयारण्यों में सक्रिय थे, जो उनकी निर्भीकता और पहुंच को दर्शाता है।
अधिकारी अभी भी जांच में जुटे हुए हैं, और उम्मीद है कि इस जांच से और भी गहरे राज़ खुलेंगे और इस पूरे नेटवर्क का पर्दाफाश होगा। आरोपित फिलहाल जेल में बंद हैं, लेकिन सिर्फ इनका जेल में होना ही काफी नहीं है। जब तक इस पूरे नेटवर्क को जड़ से उखाड़ नहीं फेंका जाता और इसमें शामिल हर दोषी को कड़ी से कड़ी सजा नहीं मिलती, तब तक वन्यजीवों पर यह खतरा मंडराता रहेगा।
वन्यजीव संरक्षण: एक सामूहिक जिम्मेदारी
यह घटना हमें याद दिलाती है कि वन्यजीव संरक्षण सिर्फ सरकारों या वन विभाग का काम नहीं है, यह हम सबकी सामूहिक जिम्मेदारी है। हमें अपनी प्राकृतिक संपदा को बचाने के लिए जागरूक होना होगा। अगर हम अपने आसपास ऐसे किसी भी अवैध गतिविधि को देखते हैं तो तुरंत अधिकारियों को सूचित करना चाहिए। वन्यजीव हमारे पारिस्थितिकी तंत्र का एक अभिन्न अंग हैं, और उनका अस्तित्व हमारे अपने अस्तित्व के लिए भी महत्वपूर्ण है। अगर हम आज इन बेजुबान जानवरों को नहीं बचाएंगे, तो कल प्रकृति इसका खामियाजा हमें भुगतने पर मजबूर कर देगी।
क्या आप भी इस खूनी खेल को रोकने के लिए अपनी आवाज़ उठाना चाहेंगे? इस खबर पर आपके क्या विचार हैं? कमेंट बॉक्स में ज़रूर बताएं और इस खबर को ज़्यादा से ज़्यादा लोगों तक पहुंचाएं ताकि वन्यजीव अपराधों के खिलाफ एक बड़ा आंदोलन खड़ा हो सके!
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