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मुस्लिम ने की थी दूसरी शादी, हाईकोर्ट ने मंजूरी देकर बताया- ऐसा करना किन सूरतों में होता है जुर्म

इलाहाबाद हाईकोर्ट ने माना है कि किसी जन्मजात मुस्लिम शख्स ने अगर बहुविवाह किए हैं तो ये अपराध नहीं है। जस्टिस अरुण कुमार सिंह ने कहा कि यदि पहली शादी को अमान्य घोषित कर दिया गया हो तो ऐसा करना अपराध माना जाएगा।

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Shailendra Gautam
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इलाहाबाद हाईकोर्ट ने माना है कि किसी जन्मजात मुस्लिम शख्स ने अगर बहुविवाह किए हैं तो ये अपराध नहीं है। जस्टिस अरुण कुमार सिंह ने कहा कि यदि पहली शादी को अमान्य घोषित कर दिया गया हो तो ऐसा करना अपराध माना जाएगा। हाईकोर्ट ने अपने फैसले में कहा कि अगर पहली शादी विशेष विवाह अधिनियम, विदेशी विवाह अधिनियम, ईसाई विवाह अधिनियम, पारसी विवाह और तलाक अधिनियम या हिंदू विवाह अधिनियम के तहत की गई हो और व्यक्ति इस्लाम धर्म अपनाने के बाद मुस्लिम कानून के अनुसार दूसरी शादी करता है तो ऐसा करना अपराध माना जाएगा। indian marriage | Judiciary 

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अदालत ने दिया संविधान के अनुच्छेद 25 का हवाला

जस्टिस अरुण कुमार सिंह की बेंच ने कहा कि भारत के संविधान के अनुच्छेद 25 के तहत धार्मिक स्वतंत्रता पर कोई बंधन नहीं है। हालांकि कुरान उचित कारण से बहुविवाह की अनुमति देता है, लेकिन पुरुषों ने इसका उपयोग स्वार्थी उद्देश्यों के लिए किया है। उन्होंने कहा कि बहुविवाह का उल्लेख धर्मग्रंथ में केवल एक बार मिलता है, और इसे अनुमति दिए जाने के पीछे एक ऐतिहासिक कारण है।

जस्टिस बोले- कुरान ने बहुविवाह सशर्त मंजूर किया था 

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बेंच ने कहा कि इतिहास में एक समय ऐसा भी था जब अरबों में आदिम कबीलों के बीच होने वाले झगड़ों में बड़ी संख्या में महिलाएं विधवा हो जाती थीं और बच्चे अनाथ हो जाते थे। मदीना में इस्लाम की रक्षा के लिए मुसलमानों को भारी नुकसान उठाना पड़ा था। ऐसी परिस्थितियों में कुरान ने अनाथों और उनकी माताओं को शोषण से बचाने के लिए सशर्त बहुविवाह की अनुमति दी। बेंच ने कहा कि पवित्र पुस्तक में बहुविवाह सशर्त है। कुरान पुरुषों से कहता है कि पहले अनाथों की देखभाल करने के बारे में सोचें और जब उन्हें लगे कि वे अकेले रहकर अनाथों के हितों के साथ न्याय नहीं कर पाएंगे, तभी उन्हें उनकी विधवा माताओं से विवाह करने के बारे में सोचना चाहिए, इस शर्त पर कि नए परिवार के साथ मौजूदा परिवार के समान ही न्याय किया जाएगा।

बेंच ने ये निष्कर्ष फुरकान नामक शख्स की याचिका पर दिए, जिसमें उसने अपने खिलाफ दर्ज द्विविवाह और रेप जैसे मामले को रद्द करने की मांग की थी। यह मामला तब दर्ज किया गया था जब महिला ने आरोप लगाया था कि जब उसने फुरकान से शादी की थी तो उसे यह नहीं बताया गया था कि वह पहले से ही शादीशुदा है। फुरकान ने तर्क दिया कि मुस्लिम कानून उसे चार बार शादी करने की अनुमति देता है।  अदालत ने मामले पर विचार करने के बाद माना कि आरोपी के खिलाफ द्विविवाह और बलात्कार का मामला नहीं बनता है, क्योंकि इस मामले में विवाह वैध है।

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