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जस्टिस यशवंत वर्मा को तेजी से निपटाने की कोशिश में नरेंद्र मोदी सरकार

जस्टिस वर्मा को लेकर सरकार इतनी ज्यादा संजीदा है कि तीन जजों की कमेटी को जल्दी रिपोर्ट देने के लिए कहा जा सकता है। कानूनन जो जांच कमेटी सभापति बनाते हैं उसको तीन माह के भीतर अपनी रिपोर्ट सबमिट करनी होती है।

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Shailendra Gautam
न्यायमूर्ति यशवंत वर्मा

Photograph: (Google)

नई दिल्ली, वाईबीएन डेस्कः नरेंद्र मोदी सरकार पूरा मन बना चुकी है कि जस्टिस यशवंत वर्मा को मानसून सेशन में ही निपटा दिया जाए। उनको जलील करके न्यायपालिका से बाहर करने का रास्ता सरकार बना रही है। सरकार खुद विपक्षी दलों से मिलकर इस मसले पर महाभियोग प्रस्ताव लाने की तैयारी में है। कानून मंत्री किरण रिजेजु का कहना है कि न्यायपालिका में करप्शन को बर्दाश्त नहीं किया जा सकता। इसी वजह से वो खुद विपक्षी दलों से संपर्क करके एक ऐसा महाभियोग प्रस्ताव तैयार करने की कोशिश कर रहे हैं जिसमें सभी की सहमति हो। प्रस्ताव को संसद के किस सदन में पेश करना है ये आने वाला वक्त बताएगा। संसद का मानसून सत्र 21 जुलाई से शुरू होना है। पहले ये 12 अगस्त तक चलना था लेकिन अब इसका समय बढ़ाकर 21 अगस्त कर दिया गया है। माना जा रहा है कि इसका कारण जस्टिस वर्मा भी हैं। 

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जांच समिति की समय सीमा को घटाने के मूड में सरकार

इंडियन एक्सप्रेस की एक रिपोर्ट कहती है कि जस्टिस वर्मा को लेकर सरकार इतनी ज्यादा संजीदा है कि तीन जजों की कमेटी को जल्दी रिपोर्ट देने के लिए कहा जा सकता है। कानूनन जो जांच कमेटी सभापति बनाते हैं उसको तीन माह के भीतर अपनी रिपोर्ट सबमिट करनी होती है लेकिन जस्टिस वर्मा के मामले में सरकार इस टाइम लिमिट को घटाने के मूड में है। 

जस्टिस वर्मा के घर से मिला था नोटों का जखीरा

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जस्टिस वर्मा उस वक्त सुर्खियों में आए थे जब उनके घर से जले हुए नोट बरामद किए गए। उनके घर में बने स्टोर रूम में आग लगने की घटना के बाद दमकल वहां पहुंची थी। आग बुझाने की कवायद के दौरान जले हुए नोटों के साथ नोटों का जखीरा देखा गया। हालांकि जस्टिस वर्मा उस वक्त अपने परिवार के साथ भोपाल गए थे। लेकिन घटना के अगले ही दिन वो वापस लौट आए। जब ये मामला सुर्खियों में आया तो तत्कालीन चीफ जस्टिस आफ इंडिया संजीव खन्ना ने एक इंक्वायरी कमेटी बना दी। तीन जजों की कमेटी की अगुवाई पंजाब व हरियाणा हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस शील नागू ने की थी। कमेटी ने अपनी रिपोर्ट में जस्टिस वर्मा को दोषी माना था। 

शील नागू की कमेटी ने जस्टिस वर्मा को माना था दोषी

चीफ जस्टिस शील नागू की कमेटी का कहना था कि नोटों का जखीरा जस्टिस वर्मा का ही था। उनके घर के नौकरों और सुरक्षा कर्मियों ने अपने बयान में साफ कहा था कि जिस जगह आग लगी वहां उनको जाने की परमिशन नहीं थी। घटना के बाद जस्टिस के निजी सचिव, उनकी बेटी और एक खासमखास नौकर ने स्टोर रूम की सफाई की थी। कमेटी का ये भी कहना था कि अगर जस्टिस वर्मा के खिलाफ साजिश हुई तो उन्होंने नोटों के बारे में दिल्ली हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस को क्यों नहीं बताया। वो दिल्ली पुलिस के पास शिकायत लेकर क्यों नहीं गए। 

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