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अब जम्मू-कश्मीर में सुरक्षा बलों के सामने नई चुनौती : जानें कौन हैं 'बेडरूम जिहादी'?

जम्मू-कश्मीर में 'बेडरूम जिहादी' नाम का नया खतरा सामने आया है। ये लोग सोशल मीडिया से फेक न्यूज और सांप्रदायिक तनाव फैला रहे हैं। इनका मकसद क्षेत्र की शांति भंग करना है, और इनके पीछे पाकिस्तान स्थित हैंडलर्स का हाथ होने का संदेह है।

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Ajit Kumar Pandey
अब जम्मू-कश्मीर में सुरक्षा बलों के सामने नई चुनौती : जानें कौन हैं 'बेडरूम जिहादी'? | यंग भारत न्यूज

अब जम्मू-कश्मीर में सुरक्षा बलों के सामने नई चुनौती : जानें कौन हैं 'बेडरूम जिहादी'? | यंग भारत न्यूज Photograph: (Google)

नई दिल्ली, वाईबीएन डेस्क ।जम्मू-कश्मीर में सुरक्षा एजेंसियां एक नई चुनौती से जूझ रही हैं - 'बेडरूम जिहादी'। ये वो लोग हैं जो अपने घरों से सोशल मीडिया का इस्तेमाल करके गलत सूचनाएं फैलाते हैं और सांप्रदायिक तनाव भड़काते हैं। पारंपरिक आतंकवादियों के विपरीत, ये एक अदृश्य दुश्मन हैं जो इंटरनेट को जंग का मैदान बनाकर कश्मीर की शांति भंग करने की कोशिश कर रहे हैं।

जम्मू-कश्मीर, जिसकी वादियां सालों से आतंकी हमलों की गूंज से सहमी रही हैं, अब एक नए और ज्यादा पेचीदा खतरे से जूझ रहा है। ये खतरा हथियारों से नहीं, बल्कि स्मार्टफोन और कंप्यूटर से आ रहा है। इन्हें अधिकारियों ने 'बेडरूम जिहादी' नाम दिया है। ये कोई आम सोशल मीडिया यूजर नहीं, बल्कि वो लोग हैं जो घर में बैठकर इंटरनेट के पीछे छुपकर नफरत और गलत सूचनाएं फैलाते हैं। इनका मकसद केवल एक है- जम्मू-कश्मीर की शांति और सद्भाव को खत्म करना। ये इंटरनेट की दुनिया में एक 'युद्ध' छेड़ रहे हैं, जहां हथियार की जगह शब्द और अफवाहें हैं।

कौन हैं 'बेडरूम जिहादी' और इनका तरीका क्या है?

ये 'बेडरूम जिहादी' एक ऐसा "छिपा हुआ दुश्मन" हैं, जिन्हें ट्रैक करना सुरक्षा एजेंसियों के लिए बेहद मुश्किल है। ये लोग घरों से काम करते हैं, गुमनाम अकाउंट्स बनाते हैं और सीमा पार से आने वाले निर्देशों के तहत काम करते हैं। इनका तरीका बहुत ही चालाकी भरा है।

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फेक न्यूज और अफवाहें फैलाना: ये लोग हजारों ऑनलाइन चैट ग्रुप्स और सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स में झूठी खबरें और अफवाहें फैलाते हैं। जिससे सामाजिक अशांति पैदा हो। हाल ही में मुहर्रम के दौरान एक सोशल मीडिया पोस्ट से दो मुस्लिम समुदायों के बीच तनाव पैदा हुआ था जिसे श्रीनगर पुलिस ने समय रहते काबू कर लिया।

फेक अकाउंट का इस्तेमाल: ये 'X' जैसे प्लेटफॉर्म्स पर नकली प्रोफाइल बनाते हैं ताकि उनकी असली पहचान छिपी रहे। इन्हीं अकाउंट्स से वे सीमा पार से दिए गए एजेंडे को आगे बढ़ाते हैं।

डिजिटल स्पेस में घुसपैठ: वे जानबूझकर जम्मू-कश्मीर के स्थानीय ऑनलाइन कम्युनिटीज में घुसपैठ करते हैं और भड़काऊ सामग्री फैलाते हैं।

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डेटा लीक करना: हाल ही में कश्मीरी पंडितों के व्यक्तिगत डेटा को लीक किया गया था ताकि समुदाय में डर और असुरक्षा पैदा हो। इस मामले में एक स्थानीय युवक को गिरफ्तार भी किया गया था जिसे सीमा पार से निर्देश मिल रहे थे।

इस नई जंग का असली मकसद क्या है?

इन 'बेडरूम जिहादियों' का अंतिम लक्ष्य केवल डिजिटल अशांति फैलाना नहीं है। इनके पीछे एक गहरा एजेंडा है जिसका खुलासा सुरक्षा एजेंसियों की जांच में हुआ है।

साम्प्रदायिक तनाव पैदा करना: इनका मुख्य उद्देश्य समुदायों के बीच टकराव पैदा करना है।

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सामाजिक अशांति फैलाना: फेक न्यूज और अफवाहों के जरिए लोगों को एक-दूसरे के खिलाफ भड़काना।

स्थिर सरकार को कमजोर करना: जम्मू और कश्मीर में चुनी हुई सरकार को अस्थिर करना और उसकी विश्वसनीयता पर सवाल उठाना।

इसके पीछे कौन हैं?

जांच से पता चला है कि इन ऑनलाइन गतिविधियों को सीमा पार बैठे हैंडलर्स नियंत्रित कर रहे हैं। एक रिपोर्ट के मुताबिक पाकिस्तान में स्थित कुछ आतंकी संगठन और उनके समर्थक इस नेटवर्क को चला रहे हैं। ये लोग स्थानीय युवाओं को ऑनलाइन माध्यम से फंसाकर उन्हें इस डिजिटल जंग का हिस्सा बनाते हैं।

सुरक्षा एजेंसियों के लिए चुनौतियां

इस नए खतरे से निपटना सुरक्षा एजेंसियों के लिए एक बड़ी चुनौती है।

पहचान करना मुश्किल: सशस्त्र आतंकवादियों के विपरीत ये लोग अपने घरों में सुरक्षित रहते हैं। उन्हें ट्रैक करना 'घास के ढेर में सुई ढूंढने' जैसा है।

अफवाहों का तेजी से फैलना: चैट ग्रुप्स में फेक न्यूज इतनी तेजी से फैलती है कि उसे रोकना लगभग असंभव है। एक छोटी सी अफवाह मिनटों में वायरल हो जाती है।

गुमनाम अकाउंट्स: हजारों की संख्या में गुमनाम अकाउंट्स होने के कारण फेक नैरेटिव्स के असली रचनाकारों को खोजना बेहद जटिल है।

सरकार की जवाबी कार्रवाई

इस खतरे का मुकाबला करने के लिए सरकार और सुरक्षा एजेंसियां पूरी तरह से तैयार हैं।

गहन जांच: हजारों सोशल मीडिया पोस्ट, कमेंट और निजी संदेशों की जांच की जा रही है ताकि दुर्भावनापूर्ण नेटवर्क्स की पहचान हो सके।

अकाउंट्स ब्लॉक करना और गिरफ्तारियां: अधिकारी सक्रिय रूप से उन अकाउंट्स को ब्लॉक कर रहे हैं और भड़काऊ प्रचार में शामिल व्यक्तियों को गिरफ्तार कर रहे हैं।

निवारक हिरासत (Preventive Detention): सीमा पार से हैंडलर्स के साथ संपर्क रखने वाले कई संदिग्धों को निवारक हिरासत में रखा गया है।

'बेडरूम जिहादियों' का यह उदय दिखाता है कि आतंकवाद अब केवल बंदूक और बम तक सीमित नहीं रहा। यह एक मनोवैज्ञानिक युद्ध बन गया है जो इंटरनेट के जरिए लड़ा जा रहा है। इसका मकसद लोगों के बीच विश्वास को तोड़ना और आपसी सौहार्द को खत्म करना है। सुरक्षा एजेंसियों की कड़ी मेहनत और जनता की जागरूकता ही इस नए खतरे का मुकाबला कर सकती है।

आपका नजरिया इस खबर पर क्या है? क्या आपको लगता है कि सोशल मीडिया पर फैलाई जा रही अफवाहें इतनी खतरनाक हो सकती हैं? अपनी राय नीचे कमेंट करें।

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