असम में बाढ़ का संकट, अब तक 16 की मौत, 117 गांव डूबे, जानें - जमीनी हकीकत
असम में बाढ़ से हालात गंभीर बने हुए हैं। मोरीगांव जिले के 117 गांव अब भी जलमग्न हैं। अब तक 16 की मौत बाढ़ से और 5 की मौत भूस्खलन से हुई। 5.60 लाख लोग 19 जिलों में प्रभावित हैं।
नई दिल्ली, वाईबीएन डेस्क ।असम के मोरीगांव जिले में बाढ़ का पानी कुछ हद तक घटा है, लेकिन हालात अब भी बेहद चिंताजनक हैं। जिले के 117 गांव अब भी जलमग्न हैं। राज्यभर में अब तक 16 लोगों की मौत बाढ़ और 5 की मौत भूस्खलन से हो चुकी है। 19 जिलों में 5.6 लाख से ज़्यादा लोग प्रभावित हैं।
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असम इस समय भीषण बाढ़ की चपेट में है। हालाँकि मोरीगांव जिले में पानी थोड़ा कम हुआ है, लेकिन ज़मीनी हकीकत अब भी डरावनी बनी हुई है। राज्य आपदा प्रबंधन प्राधिकरण (ASDMA) की रिपोर्ट के अनुसार, अब तक बाढ़ से 16 लोगों की मौत हो चुकी है, वहीं भूस्खलन की घटनाओं में 5 अन्य लोगों ने अपनी जान गंवाई है।
मोरीगांव जिले में 117 गांव अब भी पूरी तरह जलमग्न हैं, जिससे हजारों लोग बेघर हो चुके हैं और जनजीवन पूरी तरह ठप है। 5.60 लाख से ज़्यादा लोग 19 जिलों में प्रभावित हुए हैं, जो असम की बाढ़ की भयावहता को बयान करता है।
मोरीगांव: राहत की बजाय चिंता बढ़ा रहा है घटता जलस्तर
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मोरीगांव जिले में जलस्तर में थोड़ी गिरावट जरूर आई है, लेकिन राहत शिविरों में लोगों की तादाद बढ़ती जा रही है। खेतों में खड़ी फसलें नष्ट हो चुकी हैं, घरों में घुटनों तक पानी भरा है और बिजली-पानी की आपूर्ति भी बुरी तरह प्रभावित हुई है।
असम में बाढ़ से बिगड़े हालात | यंग भारत न्यूज
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राहत शिविरों में हालात
प्रशासन ने दर्जनों राहत शिविर बनाए हैं।
लेकिन भोजन, दवा और साफ पानी की भारी कमी है।
बच्चे और बुजुर्ग बीमार हो रहे हैं, लेकिन चिकित्सा सेवाएँ सीमित हैं।
बाढ़ के पीछे क्या हैं कारण?
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असम हर साल बाढ़ का सामना करता है, लेकिन इस बार हालात ज्यादा गंभीर हैं। इसके पीछे कई कारण हैं:
असम की भौगोलिक स्थिति – ब्रह्मपुत्र और उसकी सहायक नदियाँ जब उफान पर आती हैं तो निचले इलाके जलमग्न हो जाते हैं।
भारी मानसून बारिश – इस साल औसत से ज्यादा वर्षा हुई है।
अवैध निर्माण और वनों की कटाई – जल निकासी के प्राकृतिक रास्ते बाधित हो गए हैं।
बुनियादी संरचना की कमी – बाढ़ नियंत्रण तंत्र कमजोर है।
भूस्खलन बना नया खतरा
बाढ़ के साथ-साथ अब भूस्खलन की घटनाओं में भी बढ़ोतरी हुई है। असम के पर्वतीय और ऊँचाई वाले क्षेत्रों में मिट्टी ढहने से सड़कों का संपर्क टूट गया है, जिससे राहत कार्यों में बाधा आ रही है। अब तक 5 लोगों की मौत भूस्खलन की वजह से हो चुकी है।
असम में बाढ़ से बिगड़े हालात | यंग भारत न्यूज
इन जिलों में हालात सबसे ज़्यादा खराब
बाढ़ से सबसे अधिक प्रभावित जिले हैं
मोरीगांव
दरंग
नगांव
बारपेटा
होजई
इन जिलों में स्कूल बंद कर दिए गए हैं, परिवहन रुक गया है और लोगों को सुरक्षित स्थानों पर पहुंचाया जा रहा है।
राज्य सरकार की तैयारी और प्रशासन की चुनौतियां
राज्य सरकार और ASDMA की टीमें चौबीसों घंटे राहत और बचाव कार्यों में जुटी हैं। नावों और हेलिकॉप्टरों से लोगों को सुरक्षित निकाला जा रहा है, लेकिन कई गांव ऐसे हैं जहाँ अब तक कोई मदद नहीं पहुँची है।
संपर्क टूट चुके हैं।
रास्ते जलमग्न हैं।
संक्रमित जल से बीमारियाँ फैलने का खतरा बढ़ गया है।
किसानों पर भारी पड़ी बाढ़, फसलें बर्बाद
मोरीगांव समेत कई जिलों में किसान किस्मत के भरोसे हैं। उनकी तैयार फसलें पूरी तरह डूब गई हैं। धान, जूट, मक्का जैसी फसलें बर्बाद हो चुकी हैं। यह ग्रामीण अर्थव्यवस्था पर बड़ा असर डालेगा।
बाढ़ से परेशानी, जानें पीड़ितों की ज़ुबानी
मोहम्मद अली, मोरीगांव के एक पीड़ित किसान ने बताया – "मेरी पूरी फसल बह गई। अब खाने तक का इंतजाम मुश्किल है। सरकार ने जो अनाज दिया, वह एक दिन भी नहीं चला।"
मीना देवी, राहत शिविर में रह रही हैं – "पानी घट रहा है, लेकिन बीमारी बढ़ रही है। बच्चों को बुखार है, डॉक्टर तक नहीं हैं।"
5.6 लाख लोग प्रभावित: आंकड़े जो डराते हैं
मुख्य बिंदु
स्थिति
प्रभावित लोग
5.60 लाख
मृतक (बाढ़)
16
मृतक (भूस्खलन)
5
जलमग्न गांव
117 (केवल मोरीगांव में)
जिले प्रभावित
19
सरकार का क्या कहना है?
असम के मुख्यमंत्री हिमंता बिस्वा सरमा ने कहा है कि – "राज्य सरकार पूरी तरह सतर्क है और हर प्रभावित व्यक्ति तक मदद पहुँचाना प्राथमिकता है। सेना और एनडीआरएफ की टीमें सक्रिय हैं।"
हालांकि स्थानीय लोगों की शिकायतें बनी हुई हैं कि राहत की गति बहुत धीमी है और ज़रूरतमंदों तक संसाधन पहुँच नहीं रहे।
राज्य सरकार को अब दीर्घकालिक रणनीति पर ज़ोर देना होगा। हर साल बाढ़ असम में कहर ढाती है, लेकिन स्थायी समाधान अब भी सपना बना हुआ है।
वर्षा जल संचयन को बढ़ावा देना होगा
जलनिकासी तंत्र को आधुनिक बनाना होगा
नदी किनारे पुनः वनीकरण ज़रूरी है
मौसम पूर्वानुमान तंत्र को मजबूत करना होगा
क्या आपकी नज़र में असम को हर साल बाढ़ से बचाने के लिए केंद्र सरकार को और ज़्यादा सक्रिय होना चाहिए? अपनी राय नीचे कमेंट में ज़रूर दें।