नई दिल्ली, वाईबीएन डेस्क । अहमदाबाद में हुए एयर इंडिया के ड्रीमलाइनर विमान हादसे ने देशभर में चिंता बढ़ा दी है। हादसे में 241 से अधिक लोगों की जान चली गई है। यह घटना भारतीय विमानन सुरक्षा पर गंभीर सवाल खड़े कर रही है। पायलट अनुभवी था, फिर चूक कहां हुई? भारतीय विमानन सेक्टर में एक बार फिर से सुरक्षा को लेकर गंभीर सवाल खड़े हो गए हैं।
आपको बता दें कि गुरूवार 12 जून 2025 को अहमदाबाद में एयर इंडिया का ड्रीमलाइनर विमान दुर्घटनाग्रस्त हो गया जिसमें क्रू मेम्बर समेत सभी 241 यात्रियों की मौत हो गई। इस घटना से पूरा देश दहल उठा है। यह हादसा कई बड़ी चिंताओं को जन्म दे गया है।
ड्रीमलाइनर जैसे हाई-टेक विमानों के साथ ऐसी घटनाओं का सामने आना अप्रत्याशित है। हादसे के बाद एयर इंडिया, विमान निर्माता बोइंग और विमानन नियामक संस्था DGCA ने संयुक्त जांच के आदेश दिए हैं। सवाल यह है कि जब पायलट के पास 8200 घंटे की उड़ान का अनुभव था, तब यह चूक कहां से हुई?
क्या कहता है विमानन विशेषज्ञों का नजरिया?
एयर इंडिया के पूर्व कार्यकारी निदेशक और वरिष्ठ विमानन विशेषज्ञ जीतेन्द्र भार्गव का कहना है:
"दुर्घटना के बाद मानक संचालन प्रक्रियाएं (SOP) अपने आप सक्रिय हो जाती हैं। एयर इंडिया, बोइंग और DGCA – तीनों ही एजेंसियां मिलकर यह जांचेंगी कि असल में हुआ क्या था और क्यों हुआ। यह ड्रीमलाइनर की पहली दुर्घटना है, इसलिए जल्दबाज़ी में निष्कर्ष निकालना ठीक नहीं होगा।"
उन्होंने यह भी कहा कि जब तक पूरी जांच सामने नहीं आ जाती, तब तक किसी को दोष देना गैर-जिम्मेदाराना होगा।
क्या ड्रीमलाइनर सुरक्षित है?
ड्रीमलाइनर विमान को तकनीक और ईंधन दक्षता के लिहाज़ से सबसे उन्नत माना जाता है। एयर इंडिया के बेड़े में यह गौरवपूर्ण स्थान रखता है। लेकिन इस तरह की दुर्घटना न केवल विमानन प्रणाली बल्कि आम जनता के मन में भी चिंता पैदा करती है।
इससे पहले दुनिया के कई हिस्सों में ड्रीमलाइनर को लेकर कुछ तकनीकी दिक्कतों की रिपोर्ट सामने आ चुकी हैं, लेकिन भारत में यह अपनी पहली बड़ी घटना है।
पायलट का अनुभव, फिर भी क्यों हुआ हादसा?
जांच में यह साफ हुआ है कि विमान के पायलट के पास 8200 घंटे की उड़ान का अनुभव था। ऐसे में पायलट की गलती की संभावना कम मानी जा रही है। तो सवाल फिर वही- क्या यह यांत्रिक गड़बड़ी थी? क्या ग्राउंड स्टाफ से कोई चूक हुई? या फिर कोई अनदेखी?
DGCA की टीम ब्लैक बॉक्स और फ्लाइट डेटा रिकॉर्डर (FDR) के ज़रिए यह पता लगाने में जुटी है कि टेक-ऑफ के समय विमान में क्या असामान्य गतिविधि हुई।
विमानन सुरक्षा पर बड़ा सवाल
इस हादसे ने भारतीय विमानन उद्योग के सुरक्षा मानकों को लेकर बहस छेड़ दी है। हाल के वर्षों में भारत में घरेलू और अंतरराष्ट्रीय उड़ानों की संख्या बढ़ी है, लेकिन तकनीकी संसाधनों और प्रशिक्षित कर्मचारियों की उपलब्धता को लेकर सवाल उठते रहे हैं।
विमानन विशेषज्ञों का मानना है कि SOP को सिर्फ कागजों पर नहीं, बल्कि हर उड़ान से पहले गहराई से लागू करना होगा।
इस तरह की घटनाएं सीधे तौर पर आम नागरिकों के विश्वास पर असर डालती हैं। आज जब भारत दुनिया के सबसे तेजी से बढ़ते विमानन बाजारों में से एक बन चुका है, तब सुरक्षा से जुड़ी घटनाएं पूरी प्रणाली की साख पर असर डाल सकती हैं।
क्या होना चाहिए आगे?
- ड्रीमलाइनर जैसे विमानों की गहन तकनीकी जांच
- SOP की रियल-टाइम प्रैक्टिसिंग
- फ्लाइट क्रू की नियमित ट्रेनिंग
- तकनीकी स्टाफ की भर्ती और अपग्रेड
- विमान संचालन के हर चरण की निगरानी में सुधार
जांच के बाद ही आएगी सच्चाई
यह सच है कि ड्रीमलाइनर की यह पहली दुर्घटना है और पायलट भी अनुभवी था, लेकिन इस घटना ने भारत की विमानन सुरक्षा की नींव को झकझोर दिया है। यह देखना होगा कि जांच में क्या सामने आता है और भविष्य में इस तरह की घटनाओं से कैसे बचा जा सकता है।
क्या आप मानते हैं कि विमानन सुरक्षा को लेकर भारत को और अधिक गंभीर होना चाहिए? क्या SOP का पालन कड़ाई से होना चाहिए? कमेंट मे अपनी राय साझा करें।
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