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EVM पर राहुल गांधी के दावे 'झूठ' या 'सच'? चुनाव आयोग ने तथ्यों से किया पर्दाफाश!

राहुल गांधी के महाराष्ट्र विधान सभा चुनाव पर लगाए गए आरोपों पर चुनाव आयोग का तीखा पलटवार! आयोग ने सभी दावों को 'निराधार' और 'कानून के शासन का अपमान' बताया। जानें कैसे ECI ने तथ्यों के साथ हर आरोप का खंडन कर लोकतंत्र की शुचिता बरकरार रखी।

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Ajit Kumar Pandey
राहुल गांधी को चुनाव आयोग ने दिया तथ्यों के साथ जवाब | यंग भारत न्यूज

राहुल गांधी को चुनाव आयोग ने दिया तथ्यों के साथ जवाब | यंग भारत न्यूज

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नई दिल्ली, वाईबीएन डेस्क । कांग्रेस नेता राहुल गांधी के महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव परिणामों पर उठाए गए सवालों पर चुनाव आयोग ने कड़ा रुख अपनाया है। आयोग ने राहुल गांधी के सभी दावों को 'निराधार' और 'कानून के शासन का अपमान' करार दिया है। इस विस्तृत रिपोर्ट में जानिए चुनाव आयोग ने कैसे तथ्यों के साथ राहुल गांधी के हर आरोप का खंडन किया है।

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महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव परिणामों को लेकर कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने जो गंभीर आरोप लगाए हैं, उन पर अब देश के सर्वोच्च निर्वाचन निकाय, भारत निर्वाचन आयोग (ECI) ने करारा जवाब दिया है। आयोग ने राहुल गांधी के हर दावे को 'निराधार' बताते हुए इसे 'कानून के शासन का अपमान' करार दिया है। यह सिर्फ एक बयानबाजी नहीं, बल्कि लोकतंत्र की नींव पर उठे सवालों का तथ्यात्मक खंडन है।

राहुल गांधी ने महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव परिणामों को लेकर कई तरह के सवाल उठाए थे, जिनमें ईवीएम (EVM) की विश्वसनीयता से लेकर चुनाव प्रक्रिया की निष्पक्षता तक पर संदेह व्यक्त किया गया था। इन आरोपों ने न केवल राजनीतिक गलियारों में हलचल मचाई, बल्कि आम जनता के मन में भी कई सवाल खड़े कर दिए। ऐसे में चुनाव आयोग का यह विस्तृत और तथ्यात्मक जवाब बेहद महत्वपूर्ण हो जाता है।

चुनाव आयोग का बेबाक बयान: हर आरोप का सटीक जवाब

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निर्वाचन आयोग ने अपने बयान में राहुल गांधी के हर आरोप का विस्तार से खंडन किया है। आयोग ने स्पष्ट किया कि चुनाव प्रक्रिया पूरी तरह से पारदर्शी और निष्पक्ष रही है। आइए, एक-एक करके जानते हैं कि आयोग ने किन-किन बिंदुओं पर राहुल गांधी के दावों को खारिज किया:

EVM पर सवाल: क्या EVM वाकई 'मैच फिक्सिंग' का जरिया?

राहुल गांधी ने अक्सर EVM की विश्वसनीयता पर सवाल उठाए हैं, उन्हें 'मैच फिक्सिंग' का हिस्सा बताया है। इस पर चुनाव आयोग ने दोहराया कि EVM पूरी तरह से सुरक्षित हैं और इनके साथ किसी भी तरह की छेड़छाड़ संभव नहीं है। आयोग ने बताया कि EVM को कई स्तरों पर सुरक्षा जांच से गुजरना पड़ता है, जिसमें तकनीकी विशेषज्ञ और राजनीतिक दलों के प्रतिनिधि भी शामिल होते हैं।

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प्रत्येक EVM को रैंडमाइजेशन के तहत आवंटित किया जाता है, जिससे किसी भी तरह की पूर्व-निर्धारित गड़बड़ी की संभावना समाप्त हो जाती है। इसके अलावा, VVPAT (Voter Verifiable Paper Audit Trail) की व्यवस्था भी है, जो मतदाताओं को यह सुनिश्चित करने की अनुमति देती है कि उनका वोट सही ढंग से दर्ज हुआ है। VVPAT पर्चियों का मिलान भी किया जाता है, जिससे पारदर्शिता और बढ़ जाती है। आयोग ने बार-बार यह स्पष्ट किया है कि EVM हमारी लोकतांत्रिक प्रक्रिया का एक मजबूत स्तंभ है और इस पर बेवजह के सवाल उठाना जन-विश्वास को कमजोर करता है।

चुनाव प्रक्रिया की शुचिता: क्या आयोग ने पक्षपात किया?

राहुल गांधी ने चुनाव आयोग की भूमिका पर भी सवाल उठाए थे, यह संकेत देते हुए कि आयोग ने पक्षपातपूर्ण तरीके से काम किया है। इस पर आयोग ने तीखी प्रतिक्रिया देते हुए कहा कि ऐसे आरोप 'निराधार' हैं और कानून के शासन का सीधा अपमान है। आयोग ने जोर देकर कहा कि वह एक संवैधानिक निकाय है और स्वतंत्र व निष्पक्ष चुनाव कराने के लिए प्रतिबद्ध है।

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चुनाव आयोग ने अपनी कार्यप्रणाली की पूरी पारदर्शिता और निष्पक्षता का बचाव किया। आयोग ने बताया कि चुनाव आचार संहिता का पालन सभी राजनीतिक दलों पर समान रूप से लागू होता है और आयोग किसी भी उल्लंघन पर बिना किसी भेदभाव के कार्रवाई करता है। चुनाव आयोग ने यह भी कहा कि उसकी हर कार्रवाई नियमों और कानूनों के दायरे में होती है।

मतगणना में पारदर्शिता: क्या वोटों की गिनती में हुई कोई गड़बड़ी?

मतगणना प्रक्रिया को लेकर भी राहुल गांधी ने संदेह व्यक्त किया था। चुनाव आयोग ने स्पष्ट किया कि मतगणना प्रक्रिया भी उतनी ही पारदर्शी है जितनी मतदान प्रक्रिया। मतगणना केंद्रों पर राजनीतिक दलों के प्रतिनिधियों की मौजूदगी में वोटों की गिनती होती है।

हर राउंड की गिनती के बाद परिणाम घोषित किए जाते हैं और इसे सार्वजनिक किया जाता है। किसी भी प्रतिनिधि को संदेह होने पर पुनः गणना का अनुरोध करने का अधिकार होता है, बशर्ते उसके पास वैध आधार हो। आयोग ने कहा कि हर शिकायत का गंभीरता से संज्ञान लिया जाता है और नियमानुसार कार्रवाई की जाती है।

कानून के शासन का अपमान: आरोपों की गंभीरता

निर्वाचन आयोग ने राहुल गांधी के आरोपों को 'निराधार' बताने के साथ-साथ इसे 'कानून के शासन का अपमान' भी करार दिया है। यह एक गंभीर बयान है क्योंकि यह दर्शाता है कि आयोग इन आरोपों को सिर्फ राजनीतिक बयानबाजी के रूप में नहीं, बल्कि संवैधानिक संस्थाओं पर सीधे हमले के रूप में देख रहा है।

लोकतांत्रिक प्रक्रिया पर इस तरह के अनर्गल आरोप लगाना देश के लोकतांत्रिक मूल्यों को कमजोर करता है और जनता के विश्वास को हिलाता है। यह महत्वपूर्ण है कि सभी राजनीतिक दल लोकतांत्रिक प्रक्रिया का सम्मान करें और जिम्मेदारी से बयान दें। भारत निर्वाचन आयोग ने अपनी संवैधानिक भूमिका का दृढ़ता से निर्वहन किया है और ऐसे निराधार आरोपों का जवाब देना आवश्यक था।

लोकतंत्र को मजबूत करने की जिम्मेदारी

यह घटना हमें याद दिलाती है कि एक मजबूत लोकतंत्र के लिए न केवल निष्पक्ष चुनाव प्रक्रिया आवश्यक है, बल्कि उस प्रक्रिया पर जनता का विश्वास भी उतना ही महत्वपूर्ण है। जब संवैधानिक संस्थाओं पर बिना किसी पुख्ता सबूत के आरोप लगाए जाते हैं, तो यह सीधे तौर पर उस विश्वास को ठेस पहुँचाता है। चुनाव आयोग ने जिस तरह से तथ्यों के साथ राहुल गांधी के आरोपों का खंडन किया है, वह उसकी पारदर्शिता और विश्वसनीयता को दर्शाता है।

उम्मीद की जानी चाहिए कि इस स्पष्टीकरण के बाद, राजनीतिक दलों और आम जनता के मन में उठ रहे सवालों का समाधान होगा और लोकतांत्रिक प्रक्रिया में उनका विश्वास और मजबूत होगा। चुनाव आयोग ने यह भी साफ कर दिया है कि वह अपने संवैधानिक कर्तव्यों के प्रति पूरी तरह से कटिबद्ध है और किसी भी कीमत पर देश के लोकतांत्रिक मूल्यों से समझौता नहीं करेगा। चुनाव आयोग ने इस पूरे मामले में एक मजबूत और स्पष्ट संदेश दिया है।

तथ्यों के साथ चुनाव आयोग ने दिया जवाब

  1. महाराष्ट्र में विधानसभा चुनाव के दौरान सुबह 7 बजे से शाम 6 बजे तक मतदान केंद्र पर पहुंचे 6,40,87,588 मतदाताओं ने मतदान किया। औसतन प्रति घंटे लगभग 58 लाख वोट डाले गए। इन औसत रुझानों के अनुसार, लगभग 116 लाख मतदाताओं ने अंतिम दो घंटों में मतदान किया होगा। इसलिए दो घंटों में मतदाताओं की ओर से 65 लाख वोट डालना औसत प्रति घंटे मतदान रुझानों से बहुत कम है।
  2. प्रत्येक मतदान केंद्र पर उम्मीदवारों या राजनीतिक दलों की ओर से औपचारिक रूप से नियुक्त एजेंटों के सामने मतदान आगे बढ़ा। कांग्रेस के नामित उम्मीदवारों या उनके अधिकृत एजेंटों ने अगले दिन रिटर्निंग ऑफिसर (आरओ) और चुनाव पर्यवेक्षकों के सामने जांच के समय किसी भी तरह के असामान्य मतदान के संबंध में कोई आरोप नहीं लगाया।
  3. महाराष्ट्र सहित भारत में मतदाता सूचियां जनप्रतिनिधित्व अधिनियम, 1950 और मतदाता पंजीकरण नियम, 1960 के अनुसार तैयार की जाती हैं। कानून के अनुसार या तो चुनावों से ठीक पहले और या हर साल एक बार मतदाता सूचियों का विशेष संशोधन किया जाता है और मतदाता सूचियों की अंतिम प्रति भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस (INC) सहित सभी राष्ट्रीय या राज्य राजनीतिक दलों को सौंप दी जाती है।
  4. महाराष्ट्र चुनावों के दौरान इन मतदाता सूचियों को अंतिम रूप दिए जाने के बाद 9,77,90,752 मतदाताओं के खिलाफ प्रथम अपीलीय प्राधिकारी (DM) के पास सिर्फ 89 अपीलें दायर की गईं और द्वितीय अपीलीय प्राधिकारी (CEO) के सिर्फ केवल एक अपील दायर की गई। इसलिए यह पूरी तरह से स्पष्ट है कि 2024 में महाराष्ट्र विधानसभा चुनाव के आयोजन से पहले कांग्रेस या किसी अन्य राजनीतिक दल की कोई शिकायत नहीं थी।
  5. मतदाता सूची के संशोधन के दौरान 1,00,427 मतदान केंद्रों के लिए निर्वाचन पंजीकरण अधिकारी की ओर से नियुक्त 97,325 बूथ स्तर के अधिकारियों के साथ-साथ सभी राजनीतिक दलों की ओर से 1,03,727 बूथ स्तर के एजेंट भी नियुक्त किए गए, जिनमें 27,099 कांग्रेस की ओर से नियुक्त किए गए। इसलिए महाराष्ट्र की मतदाता सूची के खिलाफ उठाए गए ये निराधार आरोप कानून के शासन का अपमान हैं।
  6. चुनाव आयोग ने 24 दिसंबर 2024 को ही कांग्रेस को दिए अपने जवाब में ये सभी तथ्य सामने रखे थे, जो ईसीआई की वेबसाइट पर उपलब्ध है। ऐसा प्रतीत होता है कि बार-बार ऐसे मुद्दे उठाते समय इन सभी तथ्यों को पूरी तरह से नजरअंदाज किया जा रहा है।

क्या आप चुनाव आयोग के इस स्पष्टीकरण से सहमत हैं? कमेंट करके अपनी राय बताएं। 

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