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अब गुंजन की आवाज से थर्राएगा अंतरिक्ष, मां बोली — "हमारी बहू के बिना यह संभव नहीं था!" | यंग भारत न्यूज
नई दिल्ली, वाईबीएन डेस्क । गुंजन यह नाम सुनकर आप चौंक गए होंगे। जी हां! अंतरिक्ष में इतिहास रचने को बेताब इंडियन एयरफोर्स के ग्रुप कैप्टन शुभांशु शुक्ला को उनके परिजन इसी नाम से पुकारते हैं। यूपी में हरदोई जिला अंतर्गत संडीला निवासी पिता शंभू दयाल शुक्ला और मां आशा शुक्ला के आंखों में खुशियों के आंसू तब बरबस निकल जा रहे हैं जब कोई घर पहुंचकर शुभांशु शुक्ला को बधाई देने पहुंच रहा। माता-पिता दोनों लोग अत्यंत भावुक हैं और आंसुओं से भरी उनकी आंखें और भावुक चेहरे संग कहते हैं कि हमारा गुंजन अब दुनियाभर में देश का नाम रोशन करेगा। उधर, मां आशा शुक्ला कहती हैं कि "हमारी बहू के बिना यह संभव नहीं था!"। अभी पूरा परिवार उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ में रहता है।
आज, भारत एक नया इतिहास रचने जा रहा है। भारतीय वायुसेना के ग्रुप कैप्टन शुभांशु शुक्ला 41 साल बाद अंतरिक्ष में कदम रखने वाले दूसरे भारतीय बनकर देश का नाम रोशन करने को तैयार हैं। यह सिर्फ उनकी नहीं, बल्कि पूरे देश की उड़ान है, एक ऐसा क्षण जब हर भारतीय गर्व से भर उठेगा।
फ्लोरिडा के कैनेडी स्पेस सेंटर से Axiom-4 मिशन के तहत शुभांशु अंतरिक्ष के लिए रवाना होंगे, जहां वे अंतरराष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन (ISS) पर महत्वपूर्ण अनुसंधान करेंगे। उनकी इस यात्रा ने न केवल उनके परिवार, बल्कि पूरे लखनऊ और देश को खुशी और गौरव से भर दिया है। यह लेख आपको शुभांशु शुक्ला के असाधारण सफर, उनके परिवार के सहयोग और इस ऐतिहासिक मिशन से जुड़ी हर महत्वपूर्ण जानकारी से रूबरू कराएगा, जो आपको अंत तक बांधे रखेगा।
अंतरिक्ष में भारत का नया सितारा: शुभांशु शुक्ला की ऐतिहासिक उड़ान!
आज का दिन भारत के इतिहास में स्वर्णिम अक्षरों में लिखा जाएगा। भारतीय वायुसेना के जांबाज ग्रुप कैप्टन शुभांशु शुक्ला अंतरिक्ष की अनंत गहराइयों को नापने के लिए तैयार हैं, ठीक 41 साल बाद जब स्क्वाड्रन लीडर राकेश शर्मा ने यह उपलब्धि हासिल की थी। यह सिर्फ एक व्यक्ति की उड़ान नहीं, बल्कि पूरे देश के सपनों की उड़ान है, जो आज हकीकत का रूप ले रही है। फ्लोरिडा के NASA के कैनेडी स्पेस सेंटर के लॉन्च कॉम्प्लेक्स 39A से Axiom-4 मिशन लॉन्च होने वाला है, और इस मिशन के केंद्र में हैं हमारे अपने शुभांशु।
उनकी इस ऐतिहासिक उड़ान का बेसब्री से इंतजार हो रहा है। पूरे देश की निगाहें उन पर टिकी हैं, हर कोई इस पल का गवाह बनना चाहता है। उनके परिवार में, खासकर उनकी मां आशा शुक्ला और पिता शंभू दयाल शुक्ला के लिए, यह गर्व और खुशी का ऐसा पल है जिसे शब्दों में बयां करना मुश्किल है। उनकी मां ने तो इस सफलता का श्रेय अपनी बहू को दिया, यह दर्शाता है कि इस बड़ी उपलब्धि के पीछे परिवार का कितना गहरा सपोर्ट रहा है। पिता कहते हैं कि शुभांशु ने लखनऊ, उत्तर प्रदेश और पूरे देश का नाम रोशन किया है। यह एक ऐसा मिशन है जो भारत की अंतरिक्ष यात्रा में एक नया अध्याय लिखेगा, और गगनयान जैसे भविष्य के अभियानों के लिए मार्ग प्रशस्त करेगा।
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शुभांशु की मां का भावुक बयान: "हमारी बहू के बिना यह संभव नहीं था!"
ग्रुप कैप्टन शुभांशु शुक्ला की मां आशा शुक्ला की आंखों में गर्व और खुशी के आंसू थे। उन्होंने कहा, "यह हमारे और सभी के लिए गर्व का क्षण है। जगह-जगह पोस्टर लगाए जा रहे हैं। सभी को खुशी है कि इस देश का, इस त्रिवेणी नगर का एक लड़का इतनी ऊंचाई पर पहुंचने जा रहा है। हम उसे अपनी शुभकामनाएं और आशीर्वाद भेज रहे हैं।"
एक बात जो उन्होंने खास तौर पर कही, वह दिल को छू लेने वाली थी: "उसे हमारी बहू का पूरा समर्थन है। उसके बिना यह संभव नहीं हो सकता था। उसने यहां सबसे बड़ी भूमिका निभाई है।" यह दिखाता है कि इस बड़ी उपलब्धि के पीछे परिवार का, खासकर उनकी पत्नी का कितना बड़ा योगदान रहा है। यह सिर्फ शुभांशु की ही नहीं, उनके पूरे परिवार की जीत है, उनके त्याग और समर्पण का परिणाम है।
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पिता शंभू दयाल शुक्ला: "लखनऊ, प्रदेश और देश का नाम रोशन कर रहा है मेरा बेटा!"
शुभांशु के पिता शंभू दयाल शुक्ला भी बेहद उत्साहित और भावुक थे। उन्होंने बताया, "उसका मिशन दोपहर 12 बजे के आसपास लॉन्च होने वाला है। हम उसके मिशन के लॉन्च को देखने के लिए बहुत उत्सुक हैं। हम बहुत खुश हैं। हमारा आशीर्वाद उसके साथ है, और हम भगवान से भी प्रार्थना करते हैं कि उसका मिशन अच्छे से पूरा हो। वह पूरी तरह से तैयार है।"
उन्होंने आगे कहा, "उसके लिए लगाए गए सभी पोस्टर देखकर बहुत अच्छा लग रहा है। वह लखनऊ, राज्य और हमारे देश का नाम रोशन कर रहा है. हमें उस पर गर्व है।" उनके शब्दों में एक पिता का असीम प्रेम और अपने बेटे की उपलब्धि पर गर्व साफ झलक रहा था। यह क्षण सिर्फ उनके परिवार के लिए नहीं, बल्कि पूरे देश के लिए प्रेरणा का स्रोत है।
Axiom मिशन: शुभांशु का चुनाव कैसे हुआ?
यह जानना दिलचस्प है कि शुभांशु शुक्ला को इस महत्वपूर्ण Axiom मिशन के लिए कैसे चुना गया। इसरो ने पिछले साल ही घोषणा की थी कि ग्रुप कैप्टन शुभांशु शुक्ल और एक अन्य भारतीय अंतरिक्ष यात्री ग्रुप कैप्टन प्रशांत बालकृष्णन नायर को आईएसएस के लिए भेजे जाने वाले भारत-अमेरिका के साझा मिशन के लिए चुना गया है। यह चुनाव नासा की तरफ से मान्यता प्राप्त सेवा प्रदाता Axiom Space Inc. की सिफारिश पर किया गया।
शुभांशु शुक्ला को एक प्रधान अंतरिक्ष यात्री (Prime Astronaut) के रूप में चुना गया है, जिसका अर्थ है कि उन्हें उड़ान भरने के लिए मुख्य रूप से चुना गया है। वहीं, प्रशांत बालकृष्णन नायर को एक बैकअप अंतरिक्ष यात्री के तौर पर चुना गया है।
बैकअप अंतरिक्ष यात्री वह होता है जो किसी भी अप्रत्याशित स्थिति में, यदि अंतिम समय में अंतरिक्ष यात्री को बदलने की आवश्यकता हो, तो तैयार रहता है। यह चयन प्रक्रिया बेहद कठिन होती है, जिसमें शारीरिक दक्षता, मानसिक दृढ़ता और तकनीकी ज्ञान का गहन परीक्षण किया जाता है। शुभांशु का चुनाव उनकी असाधारण क्षमताओं और अनुभव का प्रमाण है।
अंतरिक्ष में शुभांशु के साथी: कौन-कौन होगा Axiom-4 मिशन में?
Axiom-4 मिशन को एक्जियोम और नासा एलन मस्क की कंपनी स्पेसएक्स (SpaceX) की मदद से अंजाम देंगे। स्पेसएक्स के ड्रैगन स्पेसक्राफ्ट में शुभांशु शुक्ला के अलावा कई अंतरराष्ट्रीय अंतरिक्ष यात्री भी शामिल होंगे। इस मिशन में अमेरिका की कमांडर पेगी व्हिट्सन, पोलैंड से मिशन स्पेशलिस्ट स्लावोज उज्नान्स्की और हंगरी के मिशन स्पेशलिस्ट टिबोर कापू शुभांशु के साथी यात्री होंगे।
यह अंतरराष्ट्रीय सहयोग अंतरिक्ष अनुसंधान में वैश्विक भागीदारी को दर्शाता है और यह भी दिखाता है कि कैसे विभिन्न देशों के वैज्ञानिक और अंतरिक्ष यात्री मिलकर मानव जाति के ज्ञान को आगे बढ़ाने के लिए काम करते हैं। यह एक टीम वर्क है जो अंतरिक्ष की कठोर परिस्थितियों में सफलता सुनिश्चित करता है।
Axiom-4: गगनयान मिशन की तैयारी का अहम पड़ाव
यह मिशन सिर्फ शुभांशु के लिए निजी तौर पर अहम नहीं होगा, बल्कि Axiom-4 के जरिए वे भारत के अपने महत्वाकांक्षी गगनयान मिशन के लिए भी महत्वपूर्ण तैयारी करेंगे। इस मिशन में हासिल किए गए अनुभव के जरिए शुक्ला गगनयान के बाकी सह-यात्रियों की मदद भी कर सकेंगे। खासकर अंतरिक्ष के माहौल का सीधा अनुभव उनकी और मिशन के लिए काफी फायदेमंद साबित होगा।
अंतरिक्ष में बिताया गया हर पल, हर अनुभव गगनयान जैसे भविष्य के मानव अंतरिक्ष अभियानों के लिए अमूल्य सीख देगा। यह मिशन भारत को मानव अंतरिक्ष उड़ान के क्षेत्र में एक मजबूत पायदान पर खड़ा करने में मदद करेगा। शुभांशु की यह यात्रा भारत के अंतरिक्ष कार्यक्रम के लिए एक महत्वपूर्ण मील का पत्थर है।
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कौन हैं ग्रुप कैप्टन शुभांशु शुक्ला? एक प्रेरणादायक सफर!
ग्रुप कैप्टन शुभांशु शुक्ला का जन्म उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ में 10 अक्तूबर 1985 को हुआ था। तीन भाई-बहनों में सबसे छोटे शुभांशु लखनऊ के अलीगंज में स्थित सिटी मॉन्टेसरी स्कूल में पढ़े और 2001 में अपनी स्कूली शिक्षा पूरी की। उनका परिवार मूलतः उत्तर प्रदेश के ही हरदोई स्थित संडीला से है। हालांकि, उनके पिता शंभू दयाल शुक्ला सत्तर के दशक में लखनऊ आ गए थे। उनकी मां गृहिणी हैं, और उनकी दो बहनें निधि और शुचि हैं।
शुभांशु की पत्नी डॉ. कामना एक डेंटिस्ट हैं और उनका एक प्यारा बेटा भी है, जिसका नाम कियास है। परिजनों और करीबियों के बीच शुभांशु को प्यार से "गुंजन" बुलाया जाता है।
भारतीय वायुसेना में शानदार करियर
2003 में उन्हें प्रतिष्ठित नेशनल डिफेंस एकेडमी (NDA) में चुना गया, जो भारतीय सेना में शामिल होने का एक महत्वपूर्ण कदम था। ट्रेनिंग के बाद शुभांशु ने विमानन क्षेत्र में विशेषज्ञता हासिल की और भारतीय वायुसेना का अभिन्न अंग बने। 17 जून 2006 को शुभांशु भारतीय वायुसेना के फाइटर जेट्स को उड़ाने वाले बेड़े का हिस्सा बने। इसके बाद उन्होंने कभी पीछे मुड़कर नहीं देखा। अपने करियर में आगे बढ़ते हुए, 2019 में उन्होंने विंग कमांडर की रैंक हासिल की।
शुभांशु एक फाइटर कॉम्बैट लीडर और एक टेस्ट पायलट हैं, जिनके पास लगभग दो हजार घंटे की उड़ान का अनुभव है। उन्होंने एसयू-30 एमकेआई, मिग-21, मिग-29, जगुआर, हॉक, डोर्नियर, एएन-32 समेत कई तरह के विमान उड़ाए हैं। उनका यह व्यापक अनुभव और युद्ध कौशल ही उन्हें मानव अंतरिक्ष मिशन के लिए एक आदर्श उम्मीदवार बनाता है।
2019 ही वह साल था, जब भारत ने अपने पहले मानव अंतरिक्ष मिशन- गगनयान के लिए अंतरिक्ष यात्रियों की खोज शुरू की थी। शुभांशु का सैन्य रिकॉर्ड और कॉम्बैट अनुभव यहीं अहम साबित हुआ और वे इस प्रतिष्ठित मिशन के लिए चुने जाने वालों में से एक बने। यह दर्शाता है कि कैसे उनका दृढ़ संकल्प और समर्पण उन्हें इस मुकाम तक ले आया।
NDA और SSB में दोहरी सफलता: नियति का खेल!
भारतीय सेना में शामिल होने वाले शुभांशु अपने परिवार में पहले व्यक्ति हैं। उनके परिजन चाहते थे कि शुभांशु सिविल सेवा में जाएं या फिर डॉक्टर बनें, लेकिन वह तो सैन्य अधिकारी बनने की ठान चुके थे। उनके एनडीए में चयन की कहानी भी बड़ी दिलचस्प है। शुभांशु ने सेना में जाने के लिए सर्विस सिलेक्शन बोर्ड (SSB) का फॉर्म भरा था। उसी दौरान उनका एक दोस्त एनडीए का फॉर्म लेकर आया, लेकिन दोस्त का मन पलट गया और उसने एनडीए का फॉर्म भरने से इनकार कर दिया।
शुरू से ही अवसर को भांपने में माहिर शुभांशु ने अपने दोस्त से एनडीए वाला फॉर्म ले लिया और खुद भर दिया। संयोग से शुभांशु का एसएसबी और एनडीए, दोनों में चयन हो गया, लेकिन उन्होंने अपने जुनून को फॉलो करते हुए एनडीए में जाने का निश्चय किया। यह निर्णय उनके जीवन का एक महत्वपूर्ण मोड़ साबित हुआ, जिसने उन्हें आज इस ऐतिहासिक मुकाम तक पहुंचाया है। यह बताता है कि कैसे दृढ़ इच्छाशक्ति और सही चुनाव व्यक्ति को उसकी नियति तक ले जाता है।
शुभांशु के घर जश्न का माहौल: पोस्टरों से सजी दीवारें!
Axiom मिशन की लॉन्चिंग से पहले शुभांशु के लखनऊ स्थित घर पर जश्न का माहौल है। उनके अंतरिक्ष रवाना होने की खुशी में उनके घर को उनकी जीवन यात्रा से जुड़े पोस्टरों से सजाया गया है। साथ ही इन पोस्टरों में उनको इस बड़ी उपलब्धि के लिए बधाई दी गई है। इनमें वह अलग-अलग कार्यक्रमों में दिख रहे हैं - किसी में प्रधानमंत्री मोदी उनका हौसला अफजाई कर रहे हैं, तो किसी में वह प्रशिक्षण स्थान पर दिख रहे हैं। ये तस्वीरें उनके दृढ़ संकल्प, कड़ी मेहनत और उनके सपनों को साकार करने की यात्रा को दर्शाती हैं। यह माहौल सिर्फ उनके परिवार की खुशी नहीं, बल्कि पूरे देश की खुशी और उम्मीदों को दर्शाता है।
शुभांशु शुक्ला की यह उड़ान केवल एक वैज्ञानिक उपलब्धि नहीं है, बल्कि यह करोड़ों भारतीयों के लिए प्रेरणा का स्रोत है। यह हमें सिखाता है कि दृढ़ इच्छाशक्ति, कड़ी मेहनत और परिवार के सहयोग से कोई भी सपना हासिल किया जा सकता है। उनकी कहानी हमें याद दिलाती है कि असंभव कुछ भी नहीं है, खासकर जब आप अपने देश और उसके सपनों का प्रतिनिधित्व कर रहे हों। उनकी यात्रा भारत के बढ़ते अंतरिक्ष शक्ति का प्रमाण है, और यह सुनिश्चित है कि यह भविष्य में और भी बड़ी सफलताओं का मार्ग प्रशस्त करेगी।
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क्या आपको लगता है कि शुभांशु शुक्ला का यह अंतरिक्ष मिशन भारत के गगनयान कार्यक्रम को गति देगा और देश को मानव अंतरिक्ष उड़ान में एक प्रमुख शक्ति के रूप में स्थापित करेगा? आपके विचार हमें कमेंट बॉक्स में बताएं!
Shubhanshu Shukla | Lucknow |