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Breaking : जम्मू-कश्मीर में NIA की 32 ठिकानों पर छापेमारी, जानिए यह कार्रवाई क्यों अहम है?

NIA ने जम्मू-कश्मीर के 32 ठिकानों पर छापेमारी कर आतंकियों के ओवर ग्राउंड नेटवर्क पर बड़ा प्रहार किया। कुलगाम से श्रीनगर तक फैले अभियान में कई डिजिटल साक्ष्य मिले। कार्रवाई से आतंकवाद के खिलाफ निर्णायक संदेश गया।

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Ajit Kumar Pandey
जम्मू-कश्मीर छापेमारी आतंकी नेटवर्क | यंग भारत न्यूज

जम्मू-कश्मीर छापेमारी आतंकी नेटवर्क | यंग भारत न्यूज

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नई दिल्ली, वाईबीएन डेस्क । जम्मू-कश्मीर में आतंकी नेटवर्क की कमर तोड़ने के लिए राष्ट्रीय जांच एजेंसी (NIA) ने आज गुरूवार 5 जून को सुबह बड़ी कार्रवाई करते हुए कुलगाम समेत 32 जगहों पर छापेमारी कर आतंकियों और उनके ओवर ग्राउंड नेटवर्क (OGW) की कमर तोड़ने की कोशिश की।

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सूत्रों के मुताबिक, यह कार्रवाई आतंकवाद से जुड़े एक चल रहे मामले की जांच के तहत की गई, जिसमें कई आतंकी संगठनों के OGWs के शामिल होने की जानकारी सामने आई थी। जिन क्षेत्रों में यह छापेमारी हुई, उनमें कुलगाम, श्रीनगर, अनंतनाग और जम्मू प्रमुख रहे।

NIA की यह कार्रवाई क्यों अहम है?

जम्मू-कश्मीर में पिछले कुछ समय से आतंकी गतिविधियों में शामिल ओवर ग्राउंड वर्कर्स की भूमिका तेजी से सामने आ रही है। ये लोग सीधे हथियार नहीं उठाते, लेकिन आतंकियों के लिए लॉजिस्टिक सपोर्ट, हथियारों की आपूर्ति, फंडिंग और शरणस्थली उपलब्ध कराते हैं।

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एनआईए के अधिकारी इस पूरे नेटवर्क को खत्म करने के लिए कई महीनों से इनपुट इकट्ठा कर रहे थे। इनपुट की पुष्टि होते ही आज सुबह साढ़े पांच बजे से लेकर दोपहर तक यह एकसाथ कई जिलों में तलाशी अभियान चलाया गया।

किन-किन जगहों पर छापेमारी हुई?

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सूत्रों के अनुसार, एनआईए की टीमें कुलगाम में सबसे ज्यादा एक्टिव रहीं। यहां कई गांवों में एक साथ सर्च ऑपरेशन चलाया गया। इसके अलावा श्रीनगर, अनंतनाग, पुलवामा, शोपियां और जम्मू के कुछ हिस्सों में भी टीमें तैनात की गई थीं।

NIA के साथ जम्मू-कश्मीर पुलिस और सीआरपीएफ की टीमें भी इस अभियान में शामिल रहीं ताकि स्थानीय विरोध की स्थिति में हालात को काबू में रखा जा सके।

कौन हैं ओवर ग्राउंड वर्कर्स (OGWs)?

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OGW यानी ओवर ग्राउंड वर्कर वे लोग होते हैं जो किसी आतंकवादी संगठन के लिए बैकअप सिस्टम की तरह काम करते हैं। ये आतंकी घटनाओं को अंजाम देने वालों को रहने की जगह, सूचना, स्थानीय समर्थन और भागने के रास्ते उपलब्ध कराते हैं।

OGW का नेटवर्क जितना मजबूत होता है, आतंकी संगठन उतना ही लंबे समय तक क्षेत्र में सक्रिय रह पाते हैं। इसी कारण NIA की यह कार्रवाई इतनी अहम मानी जा रही है।

क्या मिला तलाशी में?

अब तक मिली जानकारी के अनुसार, एनआईए की टीमों को कई डिजिटल डिवाइसेज़, संदिग्ध दस्तावेज, मोबाइल फोन और नकदी हाथ लगे हैं। इन सबकी जांच जारी है।

इसके अलावा कुछ ठिकानों पर संदिग्ध गतिविधियों में शामिल लोगों से पूछताछ की गई है। कुछ को हिरासत में लेकर भी पूछताछ की जा रही है। हालांकि, इस पर आधिकारिक पुष्टि देर शाम तक हो सकती है।

एनआईए सूत्रों का कहना है कि अब इस कार्रवाई के आधार पर आगे और गिरफ्तारियां संभव हैं। खासतौर से जो डिजिटल साक्ष्य मिले हैं, उनके विश्लेषण के बाद आतंकी फंडिंग नेटवर्क और गहराई से उजागर हो सकते हैं।

इस ऑपरेशन का उद्देश्य सिर्फ OGW को पकड़ना नहीं, बल्कि उनके माध्यम से पूरे आतंकी सिस्टम की जड़ पर चोट करना है।

जम्मू-कश्मीर में क्यों बढ़ रही है NIA की सक्रियता?

पिछले एक साल में NIA ने जम्मू-कश्मीर में आतंकी फंडिंग, हाइब्रिड आतंकवाद, ड्रोन के जरिए हथियार भेजे जाने और युवाओं के कट्टरपंथी बनने की घटनाओं पर कई केस दर्ज किए हैं।

इन सबका विश्लेषण करके अब एक बड़े OGW नेटवर्क की पहचान हो चुकी है, जिसे खत्म करने के लिए ये अभियान चलाए जा रहे हैं।

जम्मू-कश्मीर में आतंकवाद के खिलाफ यह कार्रवाई साफ संकेत देती है कि केंद्र सरकार और सुरक्षा एजेंसियां अब किसी भी प्रकार की आतंकी गतिविधि या उससे जुड़े नेटवर्क को बर्दाश्त नहीं करेंगी।

OGW जैसे 'गुप्त दुश्मनों' के खिलाफ यह रणनीतिक कदम लंबे समय में आतंकवाद की रीढ़ तोड़ने में मददगार साबित हो सकता है।

क्या आप इससे सहमत हैं कि OGW पर कार्रवाई आतंकवाद के खिलाफ सबसे जरूरी कदम है? अपनी राय नीचे कमेंट में ज़रूर दें।

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