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नेपाल सीमा पर पकड़े गए नकली मानव अंगों के स्मगलर्स, तस्करी के अंतरराष्ट्रीय नेटवर्क का खुलासा

उत्तर प्रदेश के लखीमपुर खीरी में नेपाल सीमा के पास पुलिस ने 2 करोड़ रुपये के 134 नकली मानव अंग जब्त किए। तस्करी के आरोप में दो गिरफ्तार, अंतरराष्ट्रीय रैकेट की आशंका पर जांच तेज़।

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Ajit Kumar Pandey
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लखीमपुर खीरी नेपाल सीमा पर पकड़े गए नकली मानव अंग तस्कर | यंग भारत न्यूज

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नई दिल्ली, वाईबीएन डेस्क । उत्तर प्रदेश के लखीमपुर खीरी जिले में नेपाल सीमा के पास पुलिस ने दो करोड़ रुपये के अवैध कृत्रिम मानव अंग बरामद कर तस्करी के एक बड़े नेटवर्क का खुलासा किया है। पुलिस ने दो संदिग्धों को हिरासत में लेकर उनके घर और वाहन से कुल 134 पैकेट नकली मानव अंग बरामद किए हैं, जो नेपाल के रास्ते भारत में तस्करी करके लाए जा रहे थे। इस मामले में गंभीर आपराधिक धाराओं में केस दर्ज कर जांच शुरू कर दी गई है।

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उत्तर प्रदेश के लखीमपुर खीरी जिले में एक सनसनीखेज मामला सामने आया है जिसने सुरक्षा व्यवस्था और मानव तस्करी के नेटवर्क पर सवाल खड़े कर दिए हैं। नेपाल बॉर्डर से भारत में दो करोड़ रुपये के अवैध कृत्रिम मानव अंग (artificial human organs) तस्करी के जरिए लाए जा रहे थे, जिन्हें पुलिस ने पलिया इलाके में दबोच लिया।

134 पैकेट नकली अंग, दो गिरफ्तार

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लखीमपुर खीरी के पलिया इलाके के पुलिस सर्कल ऑफिसर यादवेंद्र यादव ने जानकारी दी कि खुफिया सूचना के आधार पर पुलिस ने दो संदिग्ध व्यक्तियों को रोका। जांच में पाया गया कि उनके पास मौजूद वाहन से बड़ी मात्रा में कृत्रिम मानव अंग बरामद हुए। इसके बाद जब पुलिस ने आरोपियों के घर की तलाशी ली, तो वहां भी भारी मात्रा में ये नकली अंग पाए गए। कुल मिलाकर 134 पैकेट बरामद हुए हैं, जिनकी बाजार में कीमत करीब 2 करोड़ रुपये आंकी गई है।

पुलिस की शुरुआती जांच में यह साफ हुआ है कि ये कृत्रिम मानव अंग नेपाल के रास्ते भारत में लाए गए थे। यह न केवल सीमा सुरक्षा में सेंध की ओर इशारा करता है, बल्कि अंतरराष्ट्रीय अवैध मानव अंग तस्करी नेटवर्क की मौजूदगी को भी उजागर करता है।

अभी तक मानव अंग तस्करी का मतलब किडनी, लिवर या अन्य वास्तविक अंगों की अवैध खरीद-फरोख्त मानी जाती थी। लेकिन इस मामले ने एक नए रैकेट की परतें खोल दी हैं—नकली या कृत्रिम मानव अंगों की तस्करी, जिनका इस्तेमाल या तो धोखाधड़ी के लिए किया जाता है या गैर-कानूनी मेडिकल प्रक्रियाओं में।

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कृत्रिम मानव अंग की अवैध आपूर्ति किसके लिए?

अब पुलिस इस बात की पड़ताल कर रही है कि इन कृत्रिम अंगों की डिलीवरी किन संस्थानों या लोगों को होनी थी। क्या ये नकली प्रोस्थेटिक लिम्ब्स (Prosthetic limbs) मरीजों को ठगने के लिए तैयार किए जा रहे थे? या किसी और अवैध उद्देश्य से इनका उपयोग होना था?

इस गंभीर मामले के बाद खुफिया एजेंसियां भी सक्रिय हो गई हैं। नेपाल बॉर्डर से आने वाले सभी मार्गों की निगरानी बढ़ा दी गई है। सतर्कता ब्यूरो (Intelligence Bureau) और कस्टम विभाग संयुक्त रूप से जांच में लगे हैं।

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लखीमपुर खीरी जैसे शांत इलाके में इस तरह की बड़ी तस्करी की खबर से स्थानीय नागरिकों में चिंता बढ़ गई है। पुलिस ने बॉर्डर इलाकों में गश्त बढ़ा दी है और संदिग्ध गतिविधियों पर सीसीटीवी कैमरों के जरिए निगरानी की जा रही है।

क्या कहता है कानून?

भारत में मानव अंगों की बिक्री और आयात/निर्यात पर सख्त कानून हैं। "Transplantation of Human Organs and Tissues Act, 1994" के तहत बिना लाइसेंस के किसी भी प्रकार का मानव अंग या उससे जुड़ा प्रॉडक्ट रखना या बेचना अपराध की श्रेणी में आता है।

यह मामला न सिर्फ कानून व्यवस्था, बल्कि सामाजिक और नैतिक पक्षों को भी चुनौती देता है। अगर ये कृत्रिम अंग अवैध उद्देश्य के लिए इस्तेमाल हो रहे हैं, तो इसका मतलब है कि मरीजों, डॉक्टरों और मेडिकल सिस्टम को गुमराह किया जा रहा है।

लखीमपुर खीरी में नेपाल सीमा के पास पकड़ी गई यह 2 करोड़ की नकली मानव अंग तस्करी की घटना एक गंभीर चेतावनी है। यह सिर्फ एक पुलिस केस नहीं, बल्कि भारत की सीमा सुरक्षा, मानवाधिकार और स्वास्थ्य प्रणाली पर सवाल है। अब जरूरत है इस पूरे रैकेट की जड़ तक पहुंचने की।

क्या आप इससे सहमत हैं? क्या नकली मानव अंग तस्करी को राष्ट्रीय सुरक्षा संकट मानना चाहिए? कमेंट करके अपनी राय जरूर बताएं। 

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