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नई दिल्ली, वाईबीएन डेस्क ।कोलकाता की चर्चित इन्फ्लुएंसर शर्मिष्ठा पनोली इस वक्त जेल में हैं, लेकिन उनकी हालत दिन-ब-दिन बिगड़ रही है। वकील का दावा है- जेल में न तो साफ-सफाई है और न ही बुनियादी सुविधाएं। गुर्दे में पथरी के बावजूद उन्हें जरूरी इलाज और मानसिक राहत नहीं मिल रही। बुज़ुर्ग मां की तरह अदालत से उम्मीद लगाए बैठी हैं शर्मिष्ठा। क्या यही है वेस्ट बंगाल की महिला मुख्यमंत्री का महिलाओं के प्रति न्याय कि उन्हें माफी मांगने के बाद भी जेल भेजा जाए! क्या ये सिस्टम किसी महिला कैदी के संवैधानिक अधिकार भी नहीं मानता?
कोलकाता की सोशल मीडिया इन्फ्लुएंसर शर्मिष्ठा पनोली अलीपुर महिला जेल में बंद हैं और उनकी तबीयत गंभीर बताई जा रही है। वकील मोहम्मद समीमुद्दीन ने अदालत में याचिका दी है कि उन्हें मेडिकल देखभाल, अखबार-पत्रिका पढ़ने और बेहतर स्वच्छता जैसी बुनियादी सुविधाएं नहीं दी जा रहीं। गुर्दे में पथरी की शिकायत के बावजूद इलाज नहीं हो पा रहा। वकील ने कहा- 13 जून से पहले उन्हें जमानत दिलाने की हर कोशिश करेंगे।
बुनियादी सुविधाओं से वंचित शर्मिष्ठा
सोशल मीडिया पर लाखों फॉलोअर्स रखने वाली शर्मिष्ठा पनोली इस वक्त कानून की गिरफ्त में हैं, लेकिन सवाल ये उठ रहा है कि क्या एक आरोपी को जेल में इंसानी बर्ताव मिल रहा है? उनके वकील मोहम्मद समीमुद्दीन ने साफ कहा है कि शर्मिष्ठा को अखबार-पत्रिका तक पढ़ने की इजाजत नहीं, जिससे उनका मानसिक संतुलन प्रभावित हो रहा है।
मेडिकल इमरजेंसी और प्रशासन की चुप्पी
शर्मिष्ठा के गुर्दे में पथरी है और वे दर्द में हैं। लेकिन जेल प्रशासन से कोई मेडिकल सुविधा नहीं मिल रही। वकील का दावा है कि स्वच्छता की स्थिति इतनी खराब है कि बीमारी और बढ़ सकती है। कोर्ट में दायर याचिका में इन तमाम बातों को जोरदार तरीके से रखा गया है।
वकील बोले- “हम पूरी ताकत से कोशिश कर रहे हैं”
वकील समीमुद्दीन ने कहा है- "हम आज इस मामले पर विस्तार से चर्चा कर रहे हैं। 1-2 दिनों में अगली कानूनी रणनीति तय की जाएगी। हमारा लक्ष्य है कि 13 जून से पहले शर्मिष्ठा को जमानत पर रिहा कराया जाए। वह निर्दोष है और उसके साथ अन्याय हो रहा है।"
#WATCH | Kolkata, West Bengal: Influencer Sharmishta Panoli's Advocate Md Samimuddin says, "We are trying our best to get her out of jail before June 13. We will sit down on the matter today and discuss it. We will take a call in one or two days about what we will do... She is… pic.twitter.com/rzKheTXJl6
— ANI (@ANI) June 2, 2025
महिला अधिकारों पर भी सवाल
ये मामला सिर्फ एक व्यक्ति का नहीं, महिला बंदियों के प्रति हमारे सिस्टम की सोच का भी आईना है। क्या जेलों में महिलाओं के लिए कोई मानक प्रक्रिया नहीं? क्या मेडिकल इमरजेंसी के बावजूद कार्रवाई में देरी उचित है?
सोशल मीडिया पर भी उठे सवाल
शर्मिष्ठा पनोली को फॉलो करने वाले कई यूज़र्स सोशल मीडिया पर #JusticeForSharmishtha ट्रेंड कर रहे हैं। वे पूछ रहे हैं कि क्या एक महिला को सिर्फ इसलिए इतना मानसिक और शारीरिक कष्ट झेलना चाहिए क्योंकि वह आरोपी है?
शर्मिष्ठा पनोली का मामला न सिर्फ कानूनी बल्कि मानवीय दृष्टिकोण से भी महत्वपूर्ण है। मेडिकल सुविधा, मानसिक राहत और बुनियादी अधिकार किसी भी आरोपी का हक हैं।
क्या आप भी मानते हैं कि जेल में ऐसे हालात नहीं होने चाहिए? अपनी राय नीचे कमेंट करें।
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