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Chhattisgarh News : सबसे बड़ी चुनौती नक्सलवाद, क्या मिलेगी मुक्ति? जानिए — CM विष्णु देव साय क्यों चिंतित नजर आए?

मुख्यमंत्री विष्णु देव साय के आज बुधवार 11 जून 2025 के बयान से खुलासा, 77% नक्सलवाद छत्तीसगढ़ में केंद्रित, बाकी पड़ोसी राज्यों में। यह आंकड़ा गंभीर चुनौती। सरकार की नई रणनीति: विकास व विश्वास से नक्सलवाद पर प्रहार। क्या इस बड़ी चुनौती से मिलेगी मुक्ति?

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Ajit Kumar Pandey
Chhattisgarh CM विष्णु देव साय नक्लवाद पर जताई चिंता | यंग भारत न्यूज

Chhattisgarh CM विष्णु देव साय नक्लवाद पर जताई चिंता | यंग भारत न्यूज

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नई दिल्ली, वाईबीएन डेस्क ।छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री विष्णु देव साय ने आज बुधवार 11 जून 2025 को कहा कि राज्य में लगभग 77% नक्सलवाद केंद्रित है, जबकि शेष 23% पड़ोसी राज्यों में फैला है। यह आंकड़ा न केवल छत्तीसगढ़ बल्कि पूरे देश की सुरक्षा और विकास के लिए गंभीर चिंता का विषय है। CM विष्णु देव साय के एक बयान ने एक बार फिर राज्य में नक्सलवाद की गंभीर समस्या को उजागर किया है।

उन्होंने बताया कि भारत में कुल नक्सलवाद का लगभग 77% हिस्सा अकेले छत्तीसगढ़ में केंद्रित है, जबकि शेष 23% पड़ोसी राज्यों जैसे झारखंड, ओडिशा, आंध्र प्रदेश, महाराष्ट्र, मध्य प्रदेश और तेलंगाना में फैला हुआ है। यह आंकड़ा न केवल चिंताजनक है, बल्कि यह भी दर्शाता है कि छत्तीसगढ़ सरकार और सुरक्षा बलों के सामने कितनी बड़ी चुनौती है।

छत्तीसगढ़ में नक्सलवाद का गहरा गढ़

नक्सलवाद की समस्या छत्तीसगढ़ के लिए कोई नई नहीं है। दशकों से यह राज्य इस चुनौती से जूझ रहा है, जिससे यहां का विकास और आम जनजीवन बुरी तरह प्रभावित हुआ है। सुदूर जंगली इलाकों और खनिज संपदा से भरपूर बस्तर संभाग, जहां नक्सलवाद की जड़ें सबसे गहरी हैं, वहां आज भी विकास की किरणें ठीक से नहीं पहुंच पाई हैं। सड़कें, स्कूल, अस्पताल और बिजली जैसी बुनियादी सुविधाएं भी यहां के कई गांवों में एक सपना बनी हुई हैं। मुख्यमंत्री का यह बयान इस बात की पुष्टि करता है कि नक्सलवाद का यह दानव अभी भी पूरी तरह से काबू में नहीं आया है।

आखिर क्यों छत्तीसगढ़ में ही इतना नक्सलवाद?

सवाल उठता है कि आखिर क्यों छत्तीसगढ़ नक्सलवाद का इतना बड़ा केंद्र बन गया है? इसके कई कारण हो सकते हैं। भौगोलिक दृष्टि से, राज्य का घना जंगल और दुर्गम इलाका नक्सलियों को छिपने और अपनी गतिविधियां चलाने के लिए आदर्श माहौल प्रदान करता है। इसके अलावा, सामाजिक और आर्थिक विषमताएं भी एक बड़ा कारण रही हैं। आदिवासी समुदाय, जो अपनी भूमि और जल-जंगल-जमीन पर अधिकारों को लेकर संघर्षरत रहे हैं, कई बार नक्सलियों के प्रभाव में आ गए हैं। अशिक्षा, बेरोजगारी और सरकार तक पहुंच की कमी ने भी कुछ लोगों को नक्सली विचारधारा की ओर धकेला है।

सुरक्षा बलों की भूमिका और चुनौतियां

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नक्सलवाद से निपटने में सुरक्षा बलों की भूमिका अतुलनीय रही है। केंद्रीय रिजर्व पुलिस बल (CRPF), छत्तीसगढ़ पुलिस और अन्य अर्धसैनिक बल लगातार नक्सल विरोधी अभियानों में लगे हुए हैं। उन्होंने कई सफल ऑपरेशन किए हैं और नक्सलियों के गढ़ों को ध्वस्त किया है। हालांकि, उन्हें भी भारी चुनौतियों का सामना करना पड़ता है, जिनमें बारूदी सुरंग के हमले, घात लगाकर हमले और मुश्किल इलाकों में ऑपरेशन चलाना शामिल है। कई जवानों ने अपनी जान की आहुति दी है, लेकिन उनका मनोबल कभी कम नहीं हुआ।

सरकार की नई रणनीति और उम्मीदें

विष्णु देव साय सरकार ने नक्सलवाद से निपटने के लिए एक नई रणनीति अपनाने का संकेत दिया है। मुख्यमंत्री ने जोर देकर कहा है कि सरकार विकास और विश्वास के साथ नक्सलवाद पर प्रहार करेगी। इसका मतलब है कि केवल सैन्य कार्रवाई ही नहीं, बल्कि प्रभावित क्षेत्रों में विकास कार्यों को गति देना, लोगों का विश्वास जीतना और उन्हें मुख्यधारा में लाना भी सरकार की प्राथमिकता होगी। शिक्षा, स्वास्थ्य, रोजगार और बुनियादी सुविधाओं के विकास से ही नक्सलवाद की जमीन को कमजोर किया जा सकता है।

हाल ही में, सरकार ने कई विकास परियोजनाओं को मंजूरी दी है, खासकर उन क्षेत्रों में जहां नक्सली प्रभाव ज्यादा है। सड़कों का निर्माण, संचार सुविधाओं का विस्तार और स्थानीय युवाओं को रोजगार के अवसर प्रदान करना इस रणनीति का अहम हिस्सा है। उम्मीद है कि इन प्रयासों से नक्सलवाद की कमर तोड़ने में मदद मिलेगी।

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पड़ोसी राज्यों का सहयोग क्यों जरूरी?

मुख्यमंत्री के बयान में पड़ोसी राज्यों में भी नक्सलवाद के प्रसार का जिक्र इस बात पर जोर देता है कि यह समस्या केवल छत्तीसगढ़ तक सीमित नहीं है। झारखंड, ओडिशा, आंध्र प्रदेश, महाराष्ट्र, मध्य प्रदेश और तेलंगाना में भी नक्सलवाद की उपस्थिति है। ऐसे में, इस समस्या से प्रभावी ढंग से निपटने के लिए इन राज्यों के बीच आपसी समन्वय और सहयोग अत्यंत आवश्यक है। खुफिया जानकारी साझा करना, संयुक्त अभियान चलाना और सीमावर्ती क्षेत्रों में एक साथ काम करना नक्सलवाद को जड़ से खत्म करने में सहायक होगा।

क्या नक्सलवाद से मिलेगी मुक्ति?

यह एक बड़ा सवाल है कि क्या छत्तीसगढ़ और देश को नक्सलवाद से पूरी तरह मुक्ति मिल पाएगी? विशेषज्ञों का मानना है कि यह एक लंबी और जटिल लड़ाई है। इसे केवल बंदूक के दम पर नहीं जीता जा सकता। विकास, विश्वास और संवाद के त्रिकोण पर काम करके ही इस समस्या का स्थायी समाधान निकाला जा सकता है। सरकार को स्थानीय लोगों के साथ मिलकर काम करना होगा, उनकी समस्याओं को सुनना होगा और उन्हें मुख्यधारा में लाने के लिए हरसंभव प्रयास करने होंगे।

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हमें उम्मीद करनी चाहिए कि मुख्यमंत्री विष्णु देव साय के नेतृत्व में छत्तीसगढ़ सरकार नक्सलवाद की समस्या पर नकेल कसने में सफल होगी और राज्य में शांति और विकास का एक नया दौर शुरू होगा।

क्या आप इससे सहमत हैं? कमेंट करें। 

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